Friday, August 26, 2005

सुभाषित वचन-ब्लाग,ब्लागर,ब्लागिंग

http://web.archive.org/web/20110925123253/http://hindini.com/fursatiya/archives/36

Akshargram Anugunj
१.ब्लाग दिमाग की कब्ज़ और गैस से तात्कालिक मुक्ति का मुफीद उपाय है।
२.ब्लाग पर टिप्पणी सुहागन के माथे पर बिंदी के समान होती है।
३.टिप्पणी विहीन ब्लाग विधवा की मांग की तरह सूना दिखता है।
४.अगर आप इस भ्रम का शिकार हैं कि दुनिया का खाना आपका ब्लाग पढ़े बिना हजम नहीं होगा तो आप अपना अगली सांस लेने के पहले ब्लाग लिखना बंद कर दें। दिमाग खराब होने से बचाने का इसके अलावा कोई उपाय नहीं है।
५.अनावश्यक टिप्पणियों से बचने के लिये किये गये सारे उपाय उस सुरक्षा गार्ड को तैनात करने के समान हैं जो शोहदों से किसी सुंदरी की रक्षा करने के लिये तैनात किये जाते हैं तथा बाद में सुरक्षा गार्ड सुंदरी को उसके आशिकों तक से नहीं मिलने देता।
६.जब आप अपने किसी विचार को बेवकूफी की बात समझकर लिखने से बचते हैं तो अगली पोस्ट तभी लिख पायेंगे जब आप उससे बड़ी बेवकूफी की बात को लिखने की हिम्मत जुटा सकेंगे।
७.किसी पोस्ट पर आत्मविश्वासपूर्वक सटीक टिप्पणी करने का एकमात्र उपाय है कि आप टिप्पणी करने के तुरंत बाद उस पोस्ट को पढ़ना शुरु कर दें। पहले पढ़कर टिप्पणी करने में पढ़ने के साथ आपका आत्मविश्वास कम होता जायेगा।
८.अगर आपके ब्लाग पर लोग टिप्पणियां नहीं करते हैं तो यह मानने में कोई बुराई नहीं है कि जनता की समझ का स्तर अभी आपकी समझ के स्तर तक नहीं पहुंचा है। अक्सर समझ के स्तर को उठने या गिरने में लगने वाला समय स्तर के अंतर के समानुपाती होता है।
९.जब आप किसी लंबी पोस्ट को बाद में इत्मिनान से पढ़ने के लिये सोचते हैं तो उस पोस्ट की हालत उस अखबार जैसी ही होती है जिसे आप कोई अच्छा लेख पढ़ने के लिये रद्दी के अखबारों से अलग रख लेते हैं लेकिन समय के साथ वह अखबार भी रद्दी के अखबारों में मिलकर ही बिक जाता है-अनपढ़ा।
१०.जब आप कोई टिप्पणी करते समय उसे बेवकूफी की बात मानकर ‘करूं न करूं’ की दुविधा जनक हालत में ‘सरल आवर्त गति’ (Simple Hormonic Motion) कर रहेहोते हैं उसी समयावधि में हजारों उससे ज्यादा बेवकूफी की टिप्पणियां दुनिया की तमाम पोस्टों पर चस्पाँ हो जाती हैं।
११.अगर आपके ब्लाग जलवा पूरी दुनिया में फैला हुआ है तथा कोई आपकी आलोचना करने वाला नहीं है तो यह तय है कि या तो आपने अपने जीवनसाथी को अपना लिखा पढ़ाया नहीं या फिर जीवनसाथी को सुरक्षा कारणों से पढ़ने-लिखने से परहेज है।
१२. अगर आप अपने जीवन साथी से तंग आ चुके हैं तथा उससे निपटने का कोई उपाय आपको समझ में नहीं आ रहा तो आप तुरंत ब्लाग लिखना शुरु कर दीजिये।
१३.नियमित,हरफनमौला तथा बहुत धाकड़ लिखने वाले ब्लाग पढ़ने के बाद अक्सर यह लगता है कि ‘लिंक लथपथ’ यह ब्लाग पढ़ने से अच्छा है कि कोई अखबार पढ़ते हुये कोई बहुत तेज चैनेल क्यों न देखा जाये।
१४.’कामा-फुलस्टाप’,'शीन-काफ’ तक का लिहाज रखकर लिखने वाला ‘परफेक्शनिस्ट ब्लागर’ गूगल की शरण में पहुंचा वह ब्लागर होता हैं जिसने अपना लिखना तबतक के लिये स्थगित कर रखा होता है जब तक कि ‘कामा-फुलस्टाप’ ,’शीन-काफ’ को ‘यूनीकोड’ में बदलने वाला कोई ‘साफ्टवेयर’ नहीं मिल जाता।
१५.अनजान टिप्पणियां अक्सर खुदा के नूर की तरह होती हैं जो आपको तब भी राह दिखाती हैं जबकि आप चारो तरफ से प्रशंसा के कुहासे में घिरे होते हैं।
१६. अगर आप अपने ब्लाग पर हिट बढ़ाने के लिये बहुत ही ज्यादा परेशान हैं तो तमाम लटके-झटकों का सहारा छोड़कर किसी चैट रूम में जाकर उम्र,लिंग,स्थान की बजाय अपने ब्लाग का लिंक देना शुरु कर दें।
१७.अगर आप अपना ब्लाग बिना किसी अपराध बोध के बंद करना चाहते हैं तो किसी स्वनाम धन्य लेखक को अपने साथ जोड़ लें।
१८. अच्छा लिखने वाले की तारीफ करते रहना आपकी सेहत के लिये भी जरूरी है। तारीफ के अभाव में वह अपना ब्लाग बंद करके अलग पत्रिका निकालने लगता है। तब आप उसकी न तारीफ कर सकते हैं न बुराई।
१९.ऊटपटांग लिखने वाले का अस्तित्व आपके बेहतरीन लिखने का खुशनुमा अहसास बनाये रखने के निहायत जरूरी है। घटिया लिखने वाला वह नींव की ईंट है जिसपर आपका बढ़िया लिखने के अहसास का कगूंरा टिका होता है।
२०. बहुत लिखने वाले ‘ब्लागलती’ को जब कुछ समझ में नहीं आता तो वह एक नया ब्लाग बना लेता है,जब कुछ-कुछ समझ में आता है तो टेम्पलेट बदल लेता है तथा जब सबकुछ समझ में आ जाता है तो पोस्ट लिख देता है। यह बात दीगर है कि पाठक यह समझ नहीं पाता कि इसने यह किसलिये लिखा!
२१. जब आपका कोई नियमित प्रशंसक,पाठक आपकी पोस्ट पर तुरंत कोई प्रतिक्रिया नहीं व्यक्त करता तो निश्चित मानिये कि वो आपकी तारीफ में दो लाइन लिखने की बजाय बीस लाइन की पोस्ट लिखने में जुटा है। उन बीस लाइनों में आपकी तारीफ में केवल लिंक दिया जाता है जो कि अक्सर गलती संख्या ४०४(HTML ERROR-404) का संकेत देता है।

फ़ुरसतिया

अनूप शुक्ला: पैदाइश तथा शुरुआती पढ़ाई-लिखाई, कभी भारत का मैनचेस्टर कहलाने वाले शहर कानपुर में। यह ताज्जुब की बात लगती है कि मैनचेस्टर कुली, कबाड़ियों,धूल-धक्कड़ के शहर में कैसे बदल गया। अभियांत्रिकी(मेकेनिकल) इलाहाबाद से करने के बाद उच्च शिक्षा बनारस से। इलाहाबाद में पढ़ते हुये सन १९८३में ‘जिज्ञासु यायावर ‘ के रूप में साइकिल से भारत भ्रमण। संप्रति भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत लघु शस्त्र निर्माणी ,कानपुर में अधिकारी। लिखने का कारण यह भ्रम कि लोगों के पास हमारा लिखा पढ़ने की फुरसत है। जिंदगी में ‘झाड़े रहो कलट्टरगंज’ का कनपुरिया मोटो लेखन में ‘हम तो जबरिया लिखबे यार हमार कोई का करिहै‘ कैसे धंस गया, हर पोस्ट में इसकी जांच चल रही है।

19 responses to “सुभाषित वचन-ब्लाग,ब्लागर,ब्लागिंग”

  1. जीतू
    कुछ हमारी तरफ से भी जोड़ लीजिये….
    ब्लागिंग का सिद्दान्त “टिप्पणी दो टिप्पणी पाओ” के पारस्परिक विनिमय पर चलता है.
    यदि शुक्ला जी बहुत बार भी चैट पर आपके मैसेज का जवाब ना दे, तो यकीन मानिये वे नयी पोस्ट के ड्राफ्ट लिख लिख कर मिटा रहे होंगे.
    यदि आप ये सोचते है कि आप तभी लिखेंगे जब कोई विषय आपके सामने आयेगा, तो जनाब आपमे साहित्यकार वाले गुण है, ये ब्लागिंग व्लागिंग आपके बस की नही.
    ब्लाग की टिप्पणिया कई तरह की होती है, इस पर काफी शोध किया जा चुका है, लिंक ये रहा.
    http://www.jitu.info/merapanna/?p=113
  2. विनय
    हा हा हा..
    हा हा हा हा….
  3. विनय
    मेरी पिछली (और इस) टिप्पणी के बारे में स्पष्टीकरण चाहें तो सुभाषित सं. १० देखें।
    उफ़्फ़.. हा हा..
  4. देबाशीष
    Anup bhai bahut badhiya :) Bindu kramank: 14 aur 18 ka ishaara samajh gaya hoon, jaldi hi phir likhna shuru karta hoon. Kasam se ;)
  5. अनुनाद
    इनको सुभाषिते की श्रेणी में रखा जाय या भौंकाच की ?
    अनुनाद
  6. अनुनाद
    ..जरा ठीक करके पढा जाय ..
    १) उपर की गयी टिप्पणी में “सुभाषिते ” की जगह “सुभाषित” पढा जाय |
    २) ब्लाग पर की गयी टिप्पणी और धनुष से निकला हुआ वाण वापस नहीं लिये जा सकते |
  7. पंकज नरुला
    मिंया जी यह तो ब्लॉगिंग के नियम हो गए जैसे आइसेक एसीमोव के रोबिटिक्स के नियम हैं। भई इस की तो प्रतियोगिता होनी चाहिए कि कौन सा नम्बर वन है और कौन नम्बर दो।
    पंकज
  8. Sunil
    अनूप जी, यह सुभाषित अभी तक के सभी सुभाषितों से अच्छे लगे. ६ नम्बर से मैं पूरी तरह सहमत हूँ. सुनील
  9. Laxmi N. Gupta
    फुरसतिया जी,
    पोस्ट पढ़ने के बा टिप्पणी लिख रहा हूँ इसलिये आत्मविश्वास कुछ कम है नियम ७ के मुताबिक। थोड़ा सा ज़ुकाम हो रहा था। पोस्ट पढ़ने के बाद ऐसा हँसी का दौर आया कि हमारे कनपुरिया मुहावरे में तबीयत झक्क होगयी। आप भी तो शायद कनपुरिया हैं। ऐसे ही लिखतेउ रहौ, ऐसे ही बतियाव।
    लक्ष्मीनारायण
  10. रवि
    यह तो वाक़ई झन्नाट (मालवा में, तेज मिर्च युक्त, गर्म कचोरी (कचौड़ी?, समोसा जैसा) पर ऊपर से छेद कर उसमें कड़ाही का गर्म तेल डालने के बाद, उसे हरीमिर्च-हरीधनिया की उतनी ही तेज चटनी के साथ जब परोसा जाता है, तो उसे झन्नाट कचोरी कहते हैं) है!
    मज़ा आ गया. सी… सी…
  11. छींटे और बौछारें » क्या आपने खाया है गब्बर सिंह का झन्नाटे दार…
    [...] ��ो रही हैं. मालवी-झन्नाट की परिभाषा यहाँ देखें, और इस चित्र को देखते हुए का� [...]
  12. अक्षरग्राम  » Blog Archive   » नारद जी व्यस्त हैं
    [...] �� देना न भूलें आखिर इस प्रविष्टि की सूनी माँग(नियम २,३) भी तो भरनी है। साथ ही आज� [...]
  13. श्रीश । ई-पंडित
    यह तो मरफी के टिप्पणी के नियम लगते हैं।
    एक नियम हमारी तरफ से भी:
    अगर आपने फुरसतिया जी की पोस्ट पढ़कर भी टिप्पणी नहीं की तो या तो पोस्ट फुरसतिया जी ने नहीं लिखी या आप को टिप्पणी करना नहीं आता। :)
  14. फुरसतिया » मोहल्ले की प्रकृति और नारद
    [...] जब उपरोक्त बात को बेवकूफी की बात मानकर मैंने लिखना स्थगित किया तो मुझे ब्लाग,ब्लागर,ब्लागिंग के अपनेसुभाषित याद आ गये। इसमें मैंने लिखा था- जब आप अपने किसी विचार को बेवकूफी की बात समझकर लिखने से बचते हैं तो अगली पोस्ट तभी लिख पायेंगे जब आप उससे बड़ी बेवकूफी की बात को लिखने की हिम्मत जुटा सकेंगे। [...]
  15. फुरसतिया » हर सफल ब्लागर एक मुग्धा नायिका होता है
    [...] बहरहाल, इतना लिखते-लिखते हमारे अंदर की मुग्धा नायिका अलसाती अंगड़ाई लेती हुयी उठ खड़ी हुयी। हम अपनी एक पोस्ट को दुबारा देखने लगे। इसमें मैंने ब्लाग, ब्लागर, ब्लागिंग पर कुछ सुभाषित लिखे थे। इनको रविरतलामीजी ने झन्नाट कहा था। मुग्धा नायिका जितनी बार दर्पण में अपना सौन्दर्य देखकर रीझती है उतनी बार थोड़ी क्रीम, पाउडर और पोत लेती है। इसी तरह हमने इसमें कुछ सुभाषित और जोड़े हैं। आप इनको देखें- [...]
  16. टिप्पणी एवं टिप्पणीशास्त्र | सारथी
    [...] पहली दौर के कुछ लेख: ब्लाग पर टिप्पणी का महत्व किलकाती टिप्पणियाँ… अपना ब्लॉग बेचो रे भाई अपने ब्लाग की टी आर पी कैसे बढ़ायें सुभाषित वचन-ब्लाग, ब्लागर, ब्लागिंग पुनि पुनि बोले संत समीरा तू मेरी पीठ खुजा मैं तेरी पीठ खुजाऊँ टिप्पणी-निपटान की जल्दी चिठ्ठे का टी आर पी रेडीमेड टिप्पणियाँ हिंदी में चिट्ठाकारी के कारण पर विचार पीठ खुजाना: पारस्परिक टिप्पणी टिप्पणियों के जुगाड़ कभी कभी अनहिट, निर्लिंक व टिप्‍पणीशून्‍य भी लिखें [...]
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