Sunday, July 16, 2006

अनुगूंज २१-कुछ चुटकुले

http://web.archive.org/web/20140209181355/http://hindini.com/fursatiya/archives/158

अनुगूंज २१-कुछ चुटकुले

अनुगूंज-२०
गुंडो से दुनिया डरती है। हम भी डरे या न डरें लेकिन डरने का बहाना जरूर करते हैं। लिहाजा रवि रतलामी से डर कर कुछ चुटकुले टाइप कर रहे हैं। खुदा झूठ न बुलाये जितने चुटकुले टाइप किये उससे कहीं ज्यादा जब्त करने पड़े काहे से कि वे सारे हास्टल बिरादरी के हैं। बहरहाल यहां जो चुटकुले हैं उनमें से पहले २०
चुटकुले हमने भारतेंन्दु हरिशचन्द्र रचनावली से लिये हैं। खासकर यह बताने के लिये कि आज से १०० साल से भी कुछ पहले किस तरह के चुटकुले चलते थे। उनमें से कुछ आज भी चलते हैं-अंदाज बदलकर।
अंतिम चुटकुला कहना न होगा एकदम लेटेस्ट है जो कि ‘जयपुर ब्लागर-मीट’ से लौटे हुये एक जीव ने मुझे सुनाया। वैसे सच तो यह है कि आखिरी कहानी भी चुटकुला ही थी लेकिन अब चूंकि जीतेंदर मेरे ब्लाग पर टिप्पणी करके अपनी कुवैत वापसी का डंका पीट चुके हैं लिहाजा इसे उनके स्वागत में दागी गयी तोप की सलामी माना जाये।
आशा है रवि रतलामी हमारी फिरौती से खुश हो जायेंगे तथा हमारा अपहरण का इरादा मुल्तवी कर देंगे।
१.एक मियाँ साहेब परदेस में सरिश्तेदारी पर नौकर थे। कुछ दिन पीछे घर का एक नौकर आया और कहा कि मियाँ साहब,आपकी जोरू राँड हो गई। मियाँ साहब ने सिर पीटा,रोए गाए,बिछौने से अलग बैठे, सोग माना, लोग भी मातम-पुरसी को आए। उनमें उनके चार पाँच मित्रों ने पूछा कि मियाँ साहब आप बुद्धिमान हो के ऐसी बात मुँह से निकालते हैं,
भला आपके जीते आपकी जोरू राँड होगी। मियाँ साहब ने उत्तर दिया-”भाई बात तो सच है,खुदा ने हमें भी अकिल दी है,मैं भी समझता हूँ कि मेरे जीते मेरी जोरू कैसे राँड होगी। पर नौकर पुराना है,झूठ कभी न बोलेगा।
२.दो कुमारियों को एक जादूगरनी ने खूब ठगा,उनसे कहा कि हम एक रुपये में तुम दोनों को तुम्हारे पति का मुख दिखा देंगे और रुपया लेकर उन दोनों को एक आईना दिखा दिया। बिचारियों ने पूछा,” यह क्या”? तो बह डोकरी बोली-”बलैया ल्यौ जब ब्याह होगा तो यही मुंह दूल्हे का हो जायेगा।”
३.एक नामुराद आशिक से किसी ने पूछा,”कहो जी तुम्हारी माशूक तुम्हें क्यौ नहीं मिली?”बेचारा उदास होके बोला,”यार कुछ न पूछो। मैंने इतनी खुशामद की कि उसने अपने को सचमुच की परी समझ लिया और हम आदमियों से बोलने में भी परहेज किया।
४.लाला रामसरन लाल ने देर होने पर रामचेरवा से खफा होकर कहा,”क्यौं बे नामाकूल आज तू इतनी देर कर आया कि और नौकरों के काम शुरू किये एक घंटा से ज्यादा गुजर गया”। वह नटखट झट बोला,”तब लालाजी ओमें बात को हौ ! सांझ के हम और लोगन से एक घंटा अगौंऐं चल जाब हिसाब बराबर होय जाइब”।
५.एक धनिक के घर उसके बहुत से प्रतिष्ठित मित्र बैठे थे,नौकर बुलाने को घंटी बजी। मोहना
भीतर दौड़ा पर हंसता हुआ लौटा और नौकरों ने पूछा,”क्यौं बे हंसता क्यौं है?” तो उसने जबाब दिया,”भाई,सोलह हट्टे-कट्टे जवान थे उन सभी से एक बत्ती बुझाये न बुझी। जब हम गये तब बुझाई।”
६.किसी अमीर ने जरा सी शिकायत के लिये हकीम को बुलाया। हकीम ने आकर नब्ज देखी
और पूछा-
आपको भूख अच्छी तरह लगी है?
अमीर ने कहा- हाँ।
हकीम ने फिर सवाल किया-आपको नींद भरपूर आती है?
अमीर ने जवाब दिया-हाँ।
हकीम बोला- तो मैं कोई दवा ऐसी तजबीज़ करता हूँ जिससे यह सब बातें जाते रहें।
७.अमेरिका के एक जज ने किसी गवाह की हाजिरी और हलफ लाने के लिये हुक्म दिया।
वकीलों ने इत्तिला दी कि वह शख्स बहरा और गूंगा है।
जज ने कहा,”मुझे इससे कोई गरज़ नहीं कि वह बोल सकता है या नहीं। यूनाइटेड स्टेट्‌स का कानून यह मेरे सामने मौजूद
है। इसके मोताबिक हर आदमी को अदालत में बोल सकने का हक हासिल है और जब तक मैं इस अदालत में हूँ हर्गिज कानून के बखिलाफ तामील होने की इजाजत न दूंगा जिसमें किसी की हकतलबी हो। जो कानून की मनशा है उस पर उसको जरूर अमल करना पड़ेगा।”
8.मिलटन की बीबी निहायत बदमिजाज थीं मगर खूबसूरत भी हद से ज्यादा थी। लार्ड बकिंगहेम ने एक रोज मिलटन के सामने उसकी नजाकत की तारीफ करते हुये उसकी उपमा गुलाब के फूल से दी।
मिलटन ने कहा ,”चूंकि मैं अंधा हूँ और नजाकत नहीं देख सकता तो भी आपकी बात की सचाई पर गवाही देता हूँ। हकीकत में वो गुलाब का फूल है क्योंकि कांटे अक्सर मेरे भी लगते रहते हैं।
९.एक डाक्टर साहिब कहीं बयान कर रहे थे कि दिल और जिगर की बीमारियाँ औरतों से
ज्यादा मर्दों को होतीं हैं।
एक जवान खूबसूरत औरत बोल उठी,” तभी मर्दुए औरों को दिल देते फिरते हैं।”
१०.एक शख्स ने किसी से कहा कि अगर मैं झूठ बोलता हूँ तो मेरा झूठ कोई पकड़ क्यों
नहीं पाता?
उसने जवाब दिया -आपके मुंह से झूठ इस कदर जल्दी-जल्दी निकलता है कि कोई उसे पकड़ नहीं सकता।
११.एक वकील ने बीमारी की हालत में अपना सब माल और असबाब पागल, दीवाने और
सिड़ियों के नाम कर दिया।
लोगों ने पूछा, “यह क्या किया?”
उसने जवाब दिया,” यह माल मुझे ऐसे ही आदमियों से मिला था इसीलिये अब उनका माल उनको ही दिये जाता हूँ।”
१२.एक काने ने किसी आदमी से यह शर्त बदी कि जो मैं (काना) तुमसे(आदमी से) ज्यादा देखता हूँ तो पचास रुपया जीतूँ और जब शर्त पक्की हो चुकी तो काना बोला कि लो मैं जीत गया।
आदमी ने पूछा-कैसे?
काने ने जवाब दिया-”मैं तुम्हारी दोनों आंखे देखते हो और तुम मेरी एक ही देख पाते हो।”
१३.एक राजपूत बहुत अफीम खाता था। संयोग से उसे विदेश जाना पड़ा। वहां किसी अड्डे पर रुका तो लोगों ने सावधान किया-ठाकुर साहब!यहाँ चोरी बहुत होतीं हैं। आप चौकसी से रहियेगा। यह बात सुनकर रात तो उसने जागकर काटी,पर यह बात जी में रखी कि चोरी बहुत होती है। भोर होते ही वो घोड़े की पीठ लगाकर एक नगर के बीच चला जाता था कि एका एकी पीनक से चौंक कर पुकारा,अरे रमचेरा!अरे रमचेरा! घोड़ा कहाँ? वह बोला महाराज! घोड़े पे तो बैठेही जाते हो,और घोड़ा कैसा? अफीमची ठाकुर साहब बोले,” ये तो हमें भी पता है कि हम घोड़े पर ही बैठे हैं। इस बात की कुछ चिंता नहीं पर सावधान रहना अच्छा है।”
१४.किसी बड़े आदमी के पास एक ठठोल आ बैठा था,और इनके यहां कहीं से गुड़ आया।उसने ठठ्ठे में कहा कि महाराज! मैंने जनम भर में तीन बिरिया गुड़ खाया है।
बोला,बखान कर। ठठोल बोला,’एक तो छठौ के दिन जनमघूंटी में खाया था ;और एक कान छिदाये थे; और एक आज खाऊंगा।
उन्ने कहा,जो मैं न दूं तो? वो ठठोल बोला तो दो ही सही!
१५.एक सौदागर किसी रईस के पास एक घोड़ा बेचने को लाया और बार-बार उस की तारीफ में कहता ,”हुजूर यह जानवर गजब का सच्चा है”।
रईस साहब ने घोड़े को खरीदकर सौदागर से पूछा कि घोड़े के सच्चे होने से तुम्हारा क्या मतलब है।
सौदागर ने जवाब दिया”हुजूर जब कभी मैं इस घोड़े पर सवार हुआ तो इसने हमेशा गिरने का खौफ दिलाया और सचमुच इसने आज तक कभी झूठी धमकी नहीं दी।”
१६.एक दिल्लगीबाज शख्स एक वकील से ,जिसने किसी मजनून पर एक वाहियात सा रिसाला लिखा था, राह में मिला और बेतकुल्लफी से कहा,”वाह जी तुम भी अजब आदमी हो कि मुझसे आज तक अपने रिसाले का जिकर भी न किया। अभी कुछ वरक जो मेरी नजर से गुजरे उसमें मैंने ऐसी उम्दा चीजें पाईं कि जो आज तक किसी रिसाले में देखने में न आईं थीं।
वह शख्स इस लाइक आदमी की ऐसी राय सुनकर खुशी के मारे फूल उठा और बोला,”मैं आपकी कद्‌रदानी का निहायत ही शुक्रगुजार हुआ-मेहरबानी करके बतलाइये कि वह कौन-कौन सी चीजें हैं जो आपने उस रिसाले में इस कदर पसंद कीं।”
उसने जवाब दिया ,”आज सुबह को मैं एक हलवाई की दुकान की तरफ से गुजरा तो क्या देखा कि एक लड़की आपके
रिसाले के वरकों में गर्मागर्म समोसे लपेटे लिये जाती है। ऐसी उम्दा चीज आज तक किसी रिसाले में देखने में न आईं थीं।”
१७.मोहिनी ने कहा-न जानैं हमारे पति से ,जब हम दोनों की राय एक ही है, तब फिर क्यों लड़ाई होती है।
क्योंकि वह चाहते हैं कि मैं उनमें दबूं और यही मैं भी चाहती हूँ।
१८.एक मौलवी साहब अपने एक चेले के यहाँ खाने गये। जब मेज पर खाना लग चुका तो चेले ने मौलाना साहब से दुआ मांगने को कहा।
एक लड़के ने जो वहाँ हाजिर था घबड़ाकर अपने बाप से पूछा,”बाबा जब यह कहीं खाने आते हैं तब हमेशा हाथ उठा कर बड़ी मिन्नत करते हैं। क्यो जो आरजू न करें तो लोग बुला कर भी इन्हें भूखा फेर(लौटा) दें।”
१९.किसी लायक मौलवी ने एक बार निहायत उम्दा और दिलचस्प तौर पर तकरीर की कि खैरात के बराबर दुनिया में कोई अच्छा काम नहीं है।
एक मशहूर कंजूस जो वहां मौजूद था बोला,”इस तकरीर में यह अच्छी तरह साबित हो जाता है कि खैरात करना फर्ज है इसलिये मेरा भी जी चाहता है कि फकीर हो जाऊं।”
२०.लार्ड केम्स अक्सर अपने दोस्तों से एक शख्स का किस्सा बयान किया करते थे जिससे उनके मुलाकाती होने का बड़ा पक्का पता बतलाया गया था। लार्ड साहब जिन दिनों जज थे एक बार किसी सफर में राह भूल गये और एक आदमी से जो सामने पड़ा दर्खास्त की कि भाई हमें रास्ता बता देना।
उसने बड़ी मोहब्बत से जबाब दिया,”हुजूर मैं निहायत खुशी से आपकी खिदमत में हाजिर हूँ। क्या हुजूर ने मुझे पहचाना नहीं ? मेरा जान …है और मैं एक बार बकरी चुराने की इल्लत में हुजूर के सामने पेश होने की इज्जत हासिल कर चुका हूँ।”
“अहा जान,मुझे बखूबी याद है। और तुम्हारी जोरू किस तरह है? उसने भी तो मेरे सामने होने की इज्जत हासिल की थी क्योंकि उसने चोरी की बकरियों को जानबूझकर घर में रख छोड़ा था।”
हुजूर के इकबाल से बहुत खुश है।हम लोग उस बार काफी सबूत न होने की बदौलत छूट गये थे। अब तक हुजूर की बदौलत वही पेशा किये जाते हैं।
लार्ड केम्स बोले,”तब तो हम लोगों को एक दूसरे से मुलाकात की फिर भी कभी इज्जत हासिल होगी।”
२१. एक नौजवान जोड़ा किसी हिल स्टेशन में हनीमून के लिये गया। होटल में खाने के रेट वगैरह तय हो गये। संयोग कुछ ऐसा हुआ कि वे रोज बाहर घूमने जाते तो रात का खाना बाहर ही खाकर आते । तथा इस दौरान वे होटल में मना भी नहीं कर पाते कि वे रात का खाना नहीं खायेंगे।
होटल से चलते समय जब बिल मिला तो उसमें डिनर के पैसे जुड़े थे। पति बोला-भई डिनर तो हमने कभी लिया नहीं। ये डिनर के पैसे कैसे जोड़ दिये?
मालिक बोला-आपने तो मना भी नहीं किया। हम रोज बनाते रहे कि हमारे ग्राहक भूखे न रहें। आपके लिये खाना तो तैयार था। आप न खायें तो हमारा क्या दोष ? पैसे तो डिनर के बिल में जुड़ेंगे।
आदमी ने पैसे दे दिये। सूटकेस उठाकर बाहर की तरफ चलने लगा। अचानक उसने होटल मालिक की गरदन पकड़ ली।
बोला ,”तुमने मेरी बीबी को छेड़ा कैसे? पांच हजार रुपये दो तुरंत नहीं तो पुलिस को रिपोर्ट करता हूँ।”
होटल वाला बोला मैंने कहां छेड़ा? मैंने तो उसकी तरफ आंख उठाकर भी नहीं देखा।
पति गरदन दबाते हुये बोला-”तुमसे उसे छेड़ा नहीं तो इसमें उसकी क्या गलती? वो तो तैयार थी!”
२२.एक मूर्ख से लड़के की शादी हो गयी। शादी के बाद ससुराल वालों को पता चला कि लड़का बेवकूफ है। लेकिन न इसकी पुष्टि हो पायी न खंडन। लिहाजा वे चुप रहे। शादी के कुछ दिन बाद गौने के लिये अपनी दुलहन को लेने के लिये लड़का ससुराल जाने लागा तो उसकी समझदार मां ने समझाया-बेटा ससुराल में सब बडों को प्रणाम करना ,आदर केसाथ बोलना
तथा छोटों से प्यार से बोलना।
लड़के ने कहा -अच्छा अम्मा। अउर कुछ?
मां बोली-हां बेटा । एक बात और करना कि वहां जो बोलना शुद्ध-शुद्ध बोलना ।
लड़का बोला-शुद्ध-शुद्ध बोलना ! यहिका का मतलब है?
मतलब यह कि बेटा वहां जब कोई पूछे खाना कइस बना है ? तो यह न कहना कि खाना नीक (अच्छा)बना है। कहना-भोजन बड़ा स्वादिष्ट है। और हां,पानी को पानी न कहना जल कहना ताकि लोग समझें कि दामाद पढ़ा-लिखा विद्वान है।
लड़के ने बात गांठ बांध ली तथा ससुराल के चल पड़ा।
ससुराल में उसके सभ्य व्यवहार से सब लोग चकित रह गये। वे समझे कि किसी ने उनको भड़काने के लिये दूल्हे के बारे में अफवाह उड़ा दी है कि वह पागल है। ऐसा विनयी,मितभाषी दामाद उन लोगों ने आसपास कहीं नहीं देखा था।
फिर भी गांव की महिलाओं में उत्सुकता थी सो वे खाना खिलाने के समय किसी न किसी बहाने आंगन में जमा थीं।
खाने के दौरान सास ने पूछा-बेटा ,खाना कइस बना है?
दामाद जी विनम्रता से बोले-माताजी ,भोजन तो बड़ा स्वादिष्ट बना है।
इस पर सास से अपनी प्रसन्नता छिपाये नहीं छिपी- वह आसपास की महिलाओं से उलाहने के स्वर में बोली- देखा,झुट्ठै सब लोग कहत रहलीं कि हमार दमाद पागल है,हमार दमाद पागल है। सबके दमाद तो कइसी अइली-गइली बतियात हैं। हमार दमाद तो देखा केतना बड़ा ज्ञानी है कहत है -’भोजन बड़ा स्वादिष्ट है।’
लड़के ने भी इस कनफुस-वार्ता को सुन लिया। उससे भी रहा न गया। वह बोला-तू त इतनैं मा छिटकै लगलू। अगर हम जो कहूँ पानी का जल कहि देब तौ तो तुम्हार छतियै फाटि जाई।
(तुम तो इतने में ही उछलने लगी। अगर मैं पानी को जल कह दूंगा तो तो तुम्हारी जान ही निकल जायेगी।)
२३.एक ट्रक के पीछे बहुत से कुत्ते हांफते हुये भाग रहे थे। किसी ने एक कुत्ते से पूछा, “तुम कहां जा रहे हो?” कुत्ता हांफते हुये बोला, “मेरे आगे वाले से पूछो। जहां वह जा रहा है, वहीं मैं भी जा रहा हूं”। आगे वाले ने भी यही जवाब दिया। जब सबसे आगे वाले से पूछा गया तो वह हांफते हुये बोला, “यह तो नहीं पता हम कहां जा रहे हैं। बस इस ट्रक के पीछे लगे हैं। ट्रक में लदे हैं बांस। यह ट्रक जहां तक जायेगा हम वहां तक जायेंगे। जहां ट्रक रुकेगा, बांस उतारे जायेंगे, फिर गाड़े जायेंगे। जहां बांस गड़ेंगे हम वहीं मूत के भाग आयेंगे।”
(निरंतर के अप्रैल ,२००५ के अंक में पूर्व प्रकाशित)
२४.एक बार देखादेखी जंगल के जानवरों को भी चुनाव का चस्का लग गया।वहां भी जनता कीकी बेहद मांग पर चुनाव कराये गये।वोट पडे।संयोग कुछ ऐसा कि सबसे ज्यादा वोट बंदर को मिले।लिहाजा बंदरराजा बन गया।शेर ने बंदर को चार्ज दे दिया।
एक दिन बंदर के पास एक बकरी आयी।बोली —महाराज शेर मेरे बच्चे को उठा ले गया है।आप कुछ करो नही तो मेरा बच्चा मारा जायेगा।
बंदर बोला—शेर की यह हिम्मत?ऐसा कैसे किया उसने?अब वो कोई राजा तो है नहीं कि जो मन आये करता रहे।राजा तो मैं हूं।बताओ कहां है शेर ?मैं अभी उसे देखता हूं।
बकरी उसको ले के गयी शेर के पास।शेर एक पेड के नीचे मेमने को अपने पंजे में दबोचे बैठा था।खाने की तैयारी में।
बकरी ने कहा–महाराज बचाइये मेरे बच्चे को।
बंदर ने त्वरित निर्णय लिया और उसी पेड के ऊपर चढ गया जिसके नीचे शेर बैठा था।वह एक डाल से दूसरी डाल,दूसरी से तीसरी डाल कूदता।पसीने -पसीने हो गया पर कूदना जारी रखा।
काफी देर हो जाने पर बकरी बोली —महाराज, कुछ करिये नही तो मेरा बच्चा मारा जायेगा।
इस पर बंदर हांफते हुये बोला–”देखो ,तुम्हारा बच्चा रहे या मारा जाये।हमारी दौड-धूप में कोई कमी हो तो बताओ।”
(अक्षरग्राम में पूर्व प्रकाशित)
२५.जयपुर पहुंचने पर जब सारे ब्लागर औंघाये हुये सबेरे नास्ते की मेज पर जमा थे तो जीतेंदर की नजर अपनी मेज पर अपनी सूंढ नचाती,आंखे मटकाती मक्खी पर पड़ी। उसकी उनींदे होने के कारण खूबसूरती पर कुछ ज्यादा नजर डाल पाये लेकिन खुश हुये कि यहां भी कोई मादा ,छोटी ही सही,उनके इतने नजदीक है। लेकिन सफाई का ख्याल करते हुये उसे मेज से भगाना चाहा। वह और पास आ गयी। उनसे सट सी गयी । जीतेंदर गुदगुदायमान होते हुये बोले-सब लोग देख रहे हैं। कम से कम एक ई-मेल की दूरी पर तो बैठ और उसे मेन्टेन कर! सबके सामने चिपक मत। पता नहीं कौन चला दे कैमरा।
मक्खी बोली,नहीं मैं दूर नहीं जाऊंगी। आप जब तक मेरी समस्या का हल नहीं करेंगे तब तक मैं यहां से हटूंगी नहीं। मर जाऊंगी लेकिन बिना मामले को निपटाये जाऊंगी नहीं।
जीतेंदर बोले- क्या समस्या है? तुम्हारे ब्लाग में पोस्ट नहीं हो पा रही है या कोई कमेंट नहीं कर रहा या तुम्हारे भी सूटकेस का ताला बंद हो गया है। या तुमने भी अपनी जन्म-कुंडली मानोशीजी के पास भेजी थी जिसके विवरण सुनकर तुम घबरा सी गयी हो! या तुम्हें भी भाषा इंडिया वालों ने इनाम के लिये चुना नहीं। या तुम्हें अपने ब्लाग में कचरा दिखता है? तुम्हें स्वामी का सांड अपनी पीठ पर बैठने नहीं देता। कुछ बताओ तभी तो मैं कुछ करने की सोचूं।
मक्खी बोली-नहीं भाई साहब,ये सब फालतू की कोई समस्यायें नहीं हैं मेरे पास। मैं उतनी सिरफिरी नहीं कि ब्लागिंग में समय बरबाद करूं। वैसे भी जितनी देर में आप एक पोस्ट लिखते हैं उतनी देर में मैं एक बच्चा पैदा करके ज्यादा उत्पादक काम कर लेती हूँ। और हमारे सांड़ भाई भी इतने तंगदिल नहीं हैं की खाली एचवन वीसा वालों को अपने ऊपर बैठने दें।
मक्खी के मुंह से ‘भाई साहब’ सुनते ही जीतेंद्र हुमायूं हो गये तथा मक्खी को वे रानी कर्मवती की नजरों से देखने लगे।अपनी सारी कनपुरिया खुराफाती भावनाओं को मन के रिसाइकिल बिन में डाल के बिन खाली कर दी तथा उदार,महान भावनाओं के ढेर सारे फोकटिया जुगाडी़ लिंक वाले साफ्टवेयर दनादन डाउनलोड करने लगे।चेहरे को ‘याहू’ का मेसेंजर मानते हुये ‘व्यस्त’ का ‘आइकन’ चिपकाया तथा वार्ताक्रम शुरू किया।
बोले-बताओ बहन क्या समस्या है तुम्हारी ? मैं अभी नारद से कहकर उसे रफा-दफा करवाता हूँ।
मक्खी बोली- मैं किसी को प्यार करती हूँ। मैं उससे शादी करना चाहती हूँ। मैं उसके बिना जी नहीं सकती। मैं…..। इस तरह की तमाम बातें वह कहती गई,कहती गई,कहती गई।
जीतू बोले- काश,तुम लड़की होती तो मैं अपने दोस्त से तुम्हारी शादी की बात चलाता। करा भी देता। यहीं पर देखो अमित साथ में है,आया कुंवारा है लेकिन उसे ले जाता शादी शुदा। उधर चेन्नई में हमरा कुंवारा दोस्त आशीष है ।उसको जो भी कन्या मिली उसी ने उसे (गाड)फादर बना लिया। अब तुम मिली भी तो ‘मानवी’ नहीं हो। भगवान भी क्या-क्या गुल खिलाता है।
खैर ,देखते हैं क्या कर सकते हैं तुम्हारे लिये। अच्छा ये बताओ,क्या उमर है तुम्हारी?
मक्खी लजाते हुये बोली-कुछ खास नहीं, कम ही है !
कुछ खास नहीं पर जीतू हड़बडा़कर अपने को संभालते हुये बोले-क्या आपका नाम निधि है ? इस तरह भेष बदलकर क्यों आयी हैं ब्लागर मीट में। ये तो अच्छी बात नहीं है। बता देना था हम साथ ले आते आपको बाजे सहित।
अरे हम हम लोगों को नाम से क्या लेना-देना। जितनी देर में या नामकरण होता है उतनी देर में तो हमारा जीवन चक्र पूरा हो जाता है। सो किसलिये रखें नाम-वाम। क्या धरा है इस चोंचले में! लेकिन आप क्यों पूछते हैं मादा जाति से उमर। हम कोई नौकरी थोड़ी न मांग रहे हैं आपसे । न ही आप कोई रोजगार दफ्तर हो।
जीतू इस अदा से खुश हुये लेकिन डांटने का नाटक करते हुये बोले- अरे,उमर इसलिये पूछ रहे हैं कि शादी की उमर होती है। अगर उससे कम होगी तो अवैध हो जायेगी। हम भी अंदर हो जायेंगे।
मक्खी ने जो भी बताया हो लेकिन फिर पता चला कि जीतू ने शादी कराने का बीड़ा उठा ही लिया। बोले हम अपने मोहल्ले के वर्माजी की लड़की की शादी तो न करा पाये लेकिन तुम्हारी करा के रहेंगे। बताओ लड़के का नाम,पता,कुल,गोत्र,दहेज की रकम के बारे में।
मक्खी ने बताया कि वो एक नौजवान मच्छर से प्यार करती है। उसके बिना जी नहीं सकती।उसकी तरह मच्छर का भी कोई नाम नहीं है। पते के नाम पर बस यही कि वो जब उसे देखता है आसपास मंडराता रहता है। पहली मुलाकात उनकी तब हुई थी जब वो नाली के पास एक पत्तल पर बैठी जूठन से अपना पेट भर रही थी। वहीं उसने अपने सपनों के राजकुमार को पहली बार देखा पहली ही बार में उसकी आंखों में प्यार भी देख लिया । तब से वो उसे अपना साजन बनाने के लिये बेकरार थी। मच्छर के कामधाम के बारे में उसे यही पता था कि वो भी आम हिंदुस्तानी लड़कों की तरह आवारा ,गाना गाते हुये ,घूमता रहता है। दहेज-वहेज की कोई बात ही नहीं क्योंकि वह लड़का नहीं मच्छर था और मच्छरों ने अभी बिकना नहीं सीखा।
जीतेंदर अपने माथे का पसीना पोंछते हुये बोले- लेकिन तुम एक मच्छर से कैसे प्यार करने लगी? अपनी बिरादरी में नहीं मिला कोई ?
मक्खी अचानक फिलासफर हो गई। गम्भीरता से बोली-आप तो सनीमा देखते रहते हैं। जानते होंगे कि प्यार किया नहीं जाता ,हो जाता है।
जीतू अचानक जिम्मेदार भी होगये। बोले बात सिर्फ शादी तक ही नहीं है। यह भी सोचना होगा कि शादी के बाद तुम कैसे रहोगी? बाल-बच्चे कैसे होंगे? संतति का क्या होगा?तुम लोगों का यौन जीवन कैसे चलेगा?
मक्खी बोली-ये सब बातें सोचकर मैं अपने प्यार का दीवानापन नहीं कम करना चाहती। प्यार में पागल लोग इतनी दूर तक की नहीं सोचते। सोचने लगें तो हममें और मिडिलची आदमी के बच्चों में फर्क क्या रह जायेगा जो प्यार अपनी मर्जी से करते हैं लेकिन शादी मां-बाप की मर्जी से करते हैं।
रही बात संतति यौन जीवन की तो सुना है इटली में कोई डाक्टर सुनील हैं वे विकलांगों के यौन जीवन के बारे में तमाम उपाय बताते हैं तो कोई हमारे बारे में भी कुछ न कुछ करेगा। अब आप इस सब में हमारा समय न बरबाद न करें। जल्दी से कुछ करें वर्ना मैं जी नहीं पाऊंगी। यहीं जान दे दूंगीं।
पहले राजस्थान में रानियां पति के मरने पर जौहर करतीं थीं लेकिन अगर आपने मेरी शादी मेरे प्यारे मच्छर से न कराई तो मैं कुंवारी आग में कूद जाऊँगी। सारा दोष आपको ही लगेगा।
राजस्थान का गुलाबी शहर,हुमायूं-कर्मवती की परम्परा,मक्खी का प्रेम वियोग आदि-इत्यादि ने जीतेंदर को अपनी सारी लापरवाही त्यागने पर मजबूर कर दिया।
वैसे भी जब एक राजस्थानी के ब्लाग लिखना छोड़ने मात्र की खबर ने जब सारी दुनिया में हड़कम्प मचा दिया था तो किसी मादा प्रजाति के दुनिया छोड़ने की धमकी का असर समझा जा सकता है।
यहां तक कि चम्पी कराते समय भी वे मक्खी-मच्छर पाणिग्रहण का उपाय तथा प्रोग्राम लिखने में मशगूल थे। बीच -बीच में देबाशीष देव का स्मरण करते जा रहे थे तथा पंकज चालीसा भी दोहरा रहे थे ताकि प्रोग्राम में कोई चूक न होने पाये।
होते करते सारा कुछ मामला बन गया। अमित“>अमित ने जिम्मेदार कुंवारे की तरह शादी का सारा इंतजा़म किया।आगरा निवासी प्रतीक पाण्डेय को लगा दिया गया कि नियमित ब्लागरों के अलावा कोई दूसरा सिरफिरेपन की कोई हरकत न कर पाये। नीरज दीवान को मीडिया कवरेज का काम सौंप दिया गया। इस तरह आदर्श विवाह संपन्न हुआ। दिगदिगांतर में अपनी यह मानकर कि जो अपने ब्लाग में हिंदी-अंग्रेजी का काम एक साथ कर सकता है वह ब्रह्मांड की सारी भाषायें जानता होगा ,इटली निवासी रामचंद्र मिश्र को मक्खी-मच्छर-ब्लागर के बीच ‘तिभाषिये’ के रूप में लगा दिया गया। शादी होते समय जब जयमाल नुमा कुछ कार्यक्रम हो रहा था तब पता चला कि कन्या पक्ष वालों वालों को कुछ ऊलजलूल हरकतें करनी पड़ती हैं।
यह सवाल उठते ही सबकी निगाहें एक साथ जीतेंदर बाबू के चेहरे पर गड़ गयीं। जीतू के लिये यह धर्म संकट था। अब ऊलजलूल योजनायें बनाना ,बातें करना अलग बात है लेकिन हरकतें करना अलग बात है। इसमें पसीना भी बहाना पड़ता है। ऐसे कठिन समय में जीतू ने सहायता के लिये फुरसतिया को उसी कातरता से याद किया जिस कातरता से द्रोपदी ने चीर हरण के समय भगवान कृष्ण जो याद किया था।
जानकारों की जानकारी के लिये बता दें कि एक बार खेलते हुये कृष्ण के खून निकल आया था तब दौपद्री ने अपना कपड़ा फाड़कर उनके पट्टी बांधी थी। द्रोपदी ने जो चीर बचपन में कृष्ण को बांधा था वही बढ़कर उनकी साड़ियों में तब्दील हो गया । इधर दु:शासन साड़िया खींचते-खींचते परेशान होता गया उधर से कृष्णजी के रिमोट गोडाउन से साड़ियों की थोक सप्लाई होती रही जो कि सीधे दौपद्री के शरीर पर डाउनलोड होती रही। जिन्हें खींचते-खींचते दु:शासन थक गया लेकिन साड़ियों की सप्लाई न रुकी। अंतत: दु:शासन अपना ‘साडी़ कर्षण प्रोग्राम’ ‘क्विट’ करके ‘लाग आउट’ कर गया था।
तो भाइयों जीतू ने भी फुरसतिया के ब्लाग पर किये अनगिनत कमेंट,हेंहेंहें,कानपुर में खिलाये नमकीन चिप्स का स्मरण करते हुये फुरसतिया को याद किया। और ज्योंही याद किया त्योंही आश्चर्यजनक किंतु सत्य उनके दिमाग में सैकड़ों मेगाबाइट ऊलजलूल हरकतों के प्रोग्राम पलक झपकते डाउनलोड हो गये। फिर तो जो हरकतें उन्होंने की उनसे तो वर-वधू पक्ष तथा सारे ब्लागर लहालोट हो गये।
इस तरह होते-करते सारा विवाह कार्यक्रम संपन्न हो गया। मक्खी ने विदा होते समय जीतू की शर्ट पर कुछ आंसू गिराये। जीतू ने भी कुछ गमज़दा होने का विचार किया। लेकिन मच्छरों की तरफ से आये बैंड वाले भनभनाते हुये कह रहे थे-


खुशी-खुशी कर विदा कि रानी बेटी राज करे।
जीतू तथा अन्य साथी ब्लागरों ने अचानक मिल गयी’रानी बेटी’ को उसी तरह से विदा किया जिस तरह से अपनी अचानक मिल गयी बेटी को राजा जनक ने विदा किया था, रोते-रोते कहते हुये-
जा बेटी तू जा,
कहीं पे हीरा ,कहीं पे पन्ना कहीं धान उपजा।
जा बेटी तू जा!
यह अपनी तरह का भूतो न भविष्यति श्रेणी का अनूठा कार्यक्रम था। इसे खतम करके अपने पास के सारे घोड़े बेंच कर सारे ब्लागर बंधु नींद के पहलू में समा गये।
रात को थककर चूर होकर सोते हुये जीतू के कान में भनभनाहट हुई। जीतू ने पहले तो कुनमुनाते हुये करवटें अदल-बदल कर सोने का प्रयास किया। लेकिन भुनभुनाहट थी कि कम होने का नाम ही नहीं ले रही थी। बल्कि भारत में भ्रष्टाचार की तरह बढ़ती ही जा रही थी।
अंतत: परेशान होकर जीतू को लगा कि हो न हो यह कोई मच्छर ही हो जिसके बारे में नाना पाटेकर किसी सिनेमा में कहता है कि एक अकेला मच्छर आदमी को हिजड़ा बनाकर छोड़ देता है।
आंख खुलते ही जीतू ने देखा कि वह सच में मच्छर ही था। उनको अचानक भोपाल वाली शबनम मौसी भी याद आईं उन्होंने शबनम मौसी की याद से बचने के लिये काली भाई भोपाली को याद करना शुरू कर दिया। लेकिन यह समय किसी को याद करने का नहीं था। अपने सामने खड़े हुये ‘हिजड़ा कन्वर्टर वायरस’ से अपने सिस्टम को बचाने का था। मजे की बात ऐसे विकट समय उनको अपनी कोई भी जुगाड़ू लिंक याद नहीं आ रही थी जो उनको इस किसी भी क्षण ‘एक्टिव होने को तत्पर’ वायरस के हमले से बचाने का जुगाड़ बता सके। सो उन्होंने लाल लंगोटे वाले को सुमिरन करते हुये ,हकलाते हुये मच्छर को हड़काया- क्या बात है? सोने क्यों नहीं देते? काहे फुरसतिया की तरह तंग करते हो? वो तो कनपुरिया होने के नाते कुछ भी करें कहें लेकिन तुम्हारी कैसे हिम्मत हुई कि माबदौलत की नींद में खलल डालो।
मच्छर ने विनम्रता पूर्वक कहा- भाई साहब,आपको शायद याद नहीं । मैं वही अभागा मच्छर हूँ जिसके साथ आपकी मुंहबोली मक्खी बहन की शादी पिछले माह हुई थी।
जीतू बोले-पिछले माह कहाँ? ये तो आज सबेरे की बात है।
मच्छर बोला- हाँ सही कह रहे हैं भाई साहब! आपके समय के हिसाब से आज ही हुई लेकिन मच्छर समाज के कैलेंडर के अनुसार तो इस घटना को महीना पूरा हो गया।
जीतू बोले- हाँ सही है। तो बात क्या है? तुम लोगों में किसी बात पर अनबन हो गई क्या?या तुम ‘पति -पत्नी’ के बीच कोई ‘वो’ आ गया है?
नहीं भाई साहब ‘वो’ तो कोई नहीं आया लेकिन लगता नहीं कि हमारे बीच कुछ पति-पत्नी जैसे संबंध बन पायेंगे।
पहले तो जीतू को लगा कि शायद ये मच्छर किसी अमेरिकी की तरह महीने भर में ही तलाक का बहाना खोजते हुये अलग होने की बात सोच रहा है लेकिन बाद में सोचा कि पूछते हैं बात करने पर खुद ही सामने बात आ जायेगी। ज्यादा स्मार्ट बनेगा तो दहेज विरोधी अधिनियम में अंदर करवा दूँगा बहनोई को।
लिहाजा बतियाते हुये जीतू ने उसे समझाया कि जाओ घूम फिर आओ। कहीं हनीमून-वनीमून मना आओ। हम तो पुराने हो गये। तुम जाओ विजय वडनेरे से कोई कुछ टिप्स ले आओ वो नये-नये शादी-शुदा हैं। नये मुल्ला हैं कुछ प्याज दे देंगे। या फिर अगर कोई ‘मच्छराना कमजोरी’ हो तो चलें डाक्टर कोठारी के पास। ये अतुल के डाक्टर झटका(16.11.2004) के पास भूल के भी मत जाना जाना। अच्छा खासा केस बिगाड़ देते हैं। अतुल के बताने पर कुवैत के जितने अमीरों को हमने उनके पास भेजा सब ससुरे हमें अरबी में कोसते हैं। वो तो कहो हमें अरबी भी उतनी ही आती है जितनी अंग्रेजी वर्ना हमारे तो कान पक जाते।
मच्छर अपने प्रति की जा रही चिंताओं से अविभूत हो गया।कुछ शर्माते हुये तथा कुछ गमगीनियाते हुये बोला-भाई साहब ,कमजोरी की बात तो तब पता चले जब ताकत आजमाने का कोई मौका मिले। मैं तो आज भी उतना ही कुंवारा हूँ जितना शादी के समय था।
लगता है कि शादी होते ही तुम्हें भी कोई साफ्टवेयर का काम मिल गया जिसमें डूबकर तुम्हारे पास घर-परिवार के लिये समय नहीं मिलता और तुम अपनी अंतर्यामिनी को बिसराकर काम में डूबे रहते हो। काम करना अच्छी बात है लेकिन परिवार भी उतना ही अहम है। इस उमर में ऐसी लापरवाही की सलाह हम तुम्हें नहीं देंगे बरखरदार! -जीतू की आवाज हिंदी फिल्मों में कैरक्टर रोल वाला बुजुर्गानापन घुस गया था।
कहां की व्यस्तता और कहां का काम भाई साहब । मैं अभी भी उसी तरह आवारा घूमता रहता हूँ जिस तरह पहले घूमता था।
तब फिर जरूर तुम लोगों में कोई मन मुटाव हुआ होगा। तुमने पति की औकात की सीमा न समझते हुये कुछ ऐसा व्यवहार जाने -अनजाने कर दिया होगा जिससे तुम्हारे दाम्पत्य जीवन को फेरे के बाद समय ने ‘स्टेचू’ बोल दिया होगा और बोलकर भूल गया होगा। तुम ये रमन कौल जी के अनुभव पढ़ो। इससे उचित आचरण करो।कुंवारे देवता बजरंग बली का स्मरण करो। तुम्हारे दाम्पत्य कष्ट दूर हो जायेंगे।
मच्छर अब उतना ही झल्ला गया था जितना इसे पढ़ते हुये आप तथा खासकर जीतू झल्ला रहे होंगे। बोला- भाई साहब,आप अपनी ही हांके जा रहे हैं। कुछ मेरी भी परेशानी सुनने का कष्ट करिये कि मैं किसलिये परेशान हूँ। किसलिये पत्नी के पास रहकर भी उससे दूर हूँ। किस तरह मैं अपनी प्राणप्यारी से मिलन के लिये परेशान हूँ लेकिन मिलने से वंचित हूँ।
मच्छर को कविता की भाषा में बतियाते देखकर जीतू ने सोचा कि पूछें कि क्या तुम भी गये थे प्रत्यक्षाजी के साथ दक्षिण भारत की यात्रा में जिससे कि संगति के असर के कारण उसके रोम-रोम से कविता फूटने लगी। लेकिन किसी कवि को कविता करने से रोकना किसी कविता के दुश्मन को भी अच्छा नहीं लगता। यह सोचकर वे चुपचाप सुनते रहे।
अंत में मच्छर ने अपने ‘दाम्पत्य दुख’ का बखान किया। बोला कि भाई साहब,आपने अपनी मुंहबोली बहन को भावावेश में आकर जो गेस्ट हाऊस के कमरे का टीवी हमें किसी फोकट की जुगाडू लिंक की तरह दहेज के नाम पर टिकाया था सारी समस्या उसी ने पैदा कर दी।
जीतू ने मुंह बाते हुये पूछा -सो कैसे?
मच्छर बोला -एक तो आपके उस फोकट के उपहार के कारण हमारा दहेज रहित आदर्श विवाह का संकल्प खंडित हो गया। जिससे हमारे तेजबल में कमी आ गई। दूसरे हुआ यह कि हम जब घर पहुंच के सुहाग रात के दिन अपने दोस्तों से टिप्स लेने गये थे तब ही पता नहीं कैसे बोरियत दूर करने के लिये आपकी मुंहबोली बहन हमारी ये टीवी देखने लगी। अब पता नहीं क्या देखा इसने कि जब मैं दोस्तों की सलाहों से लैस होकर वापस आया तो देखा कि ये आडोमास मलकर
,मच्छर प्रतिकर्षक (मास्क्यूटो रिपेलर)लगाकर और मच्छर दानी लगाकर सो रहीं थी।
मैं रात भर आडोमास की बदबू तथा मच्छर प्रतिकर्षक के कोलाहल तथा मच्छर दानी के जालियों से जूझता रहा लेकिन मेरी सारी भनभनाहटों से इसके खर्टाटों पर कोई असर नहीं हुआ।
और भाई साहब ऐसा पहले दिन ही नहीं हुआ ,ऐसा उस दिन से शुरू होकर आजतक हो रहा है।आपने ऐसा क्यों किया? फोकट का टीवी मुझे क्यों दिया?

29 responses to “अनुगूंज २१-कुछ चुटकुले”

  1. निधि
    वाह फुरसतिया जी, काफ़ी फ़ुरसत में लग रहे हैं । ई जो आखिरी का चुटकुला आप बनाये हैं, हम सुन रखे हैं । पर आप तो बड़ा विस्तार में सुनाये ई बार । हमेशा की तरह बढ़िया रहा । हमारी मुफ़्त की पब्लिसिटी के लिये धन्यवाद भी स्वीकार कर ही लीजिये :D| अगले महीने हमारा कानपुर का चक्कर लगने वाला है । सो कोई मक्खी अगर आपके घर में आकर खूब भिनभिनाये तो एक बार जाँच कर लीजियेगा कि कहीं हम ही तो नहीं ।
  2. रवि
    चलिए, धमकी का असर जब महाब्लॉगर (बकौल देबाशीष)पर हो गया तो समझिए कि चुटकुलों का अनुगूंजी आयोजन सफल हो गया…
    वैसे भी, भारतेंदु जी के एक एक चुटकुले 100 – 100 चुटकुलों के बराबर वजन रखते हैं…
  3. eshadow
    वाह, पुराने चुटकुले पढकर मजा आया।
  4. anunad
    एक से बढकर एक धराऊँ चुटकिले निकाले हैं। मजा आ गवा।
  5. अवलोकन - चुटकुलों की 21 वीं अनुगूंज at अक्षरग्राम
    [...] चुटकुलों के कुछ मंतव्य ने भी बहुत आनंद प्रदान किया, और होठों पर हँसी वापस आई. मिर्ची सेठ यानी की पंकज भाई अंबाले वाले मिर्ची बेचना छोड़ चुटकुला बेचते दिखाई दिए. मेरा पन्ना  की दुकान के कुछ भयंकर मीठे चुटकुले पढ़ने के बाद तो हँसी रोकने का चूरन लेना पड़ा. फुरसतिया कुछ प्राचीन, वजनदार चुटकुले ढूंढ लाए. खाली पीली चुटकुलों की गूंज भी धमाकेदार रही. चुटकुलों के दो – दो दस्तक बड़े हास्यास्प्रद रहे. प्रतिभास ने एक नहीं, दो नहीं, बल्कि  तीन – तीन दफ़ा हँसाने की कोशिशें कीं. चुटकुलों की कुलबुलाहट तो भई, खूब रही. छाया  के दो दो ठहाके बड़े मस्त मस्त रहे. इन्द्रधनुष के चुटकुले, जाहिर है रंगीन ही रहे. इस बीच छींटें और बौछारें तथा रचनाकार पर क्रमशः चुटकुलों की बौछारों और रचनाओं का दौर जारी था. कुल मिलाकर हजार से ऊपर चुटकुले अंततः सुन-सुना ही लिए गए. [...]
  6. जितेन्‍द्र कुमार
    वाह क्या चुटकुले हैं। लेकिन बहुत पुराने तथा बडें है थोड़ा छोटे होते तो पढ़ने में मजा आता
  7. santosh
    jyada maja nahi aya. bhasha kathin hai. jokes lambe hai
  8. Raj
    Koi naye chutkule lao yaar
  9. Ajit Rai
    श्रीमान जी आपने तो चाट दिया, अच्छा ही हुआ काफी मैल जम गयी थी दिमाग पर|
  10. pawan tiwari
    nice jok
  11. MONU GUPTA
    HIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIII
  12. MONU GUPTA
    APNAN NAM TO BTADO
  13. mong gupta
    aapna nam to bta do
  14. mong gupta
    halooo
  15. कौतुक
    चुटकुला लिखते लिखते आप तो पूरा चाटकुला भी लिख गए. फिर भी अच्छा टाइमपास रहा.
    ५ में ५ दे के जा रहा हूँ. इस से अच्छा चाटने का काम कोई और कर ही नहीं सकता.
  16. Lalit Sharma
    vah! fursatiyaji, chiri ki chuch ko hathi bana kar pesh kiya
    kamal hai!acha bevkuf banaya.
  17. ishan mishra
    bakvas chutkule the
  18. ishan mishra
    kuch naya likho yar yeh to booring hai…………………………..bakvas
  19. K M Mishra
    चुटकुलों पर कोई कापीराइट तो होता नहीं है इसलिये अनुप भइया ई सब हमारे गो डाऊन में जा रहे हैं । जहां छापेगें आपका नाम भी छापेगें । ज्यादा खुश मत होइयेगा अपना नाम पढ़ कर । परनाम ।
    K M Mishra की हालिया प्रविष्टी..दर्द देकर इलाज करनेवाले
  20. sanjay
    क्या यार कुछ दंग का लिखो …………..बकवास लिखा है
  21. RAJ BHUTORIA
    सारे के सारे बकवास फालतू टाइम ख़राब किया ज़रा अच्छा लिखो ताकि पढने वाले को आनंद आये
  22. : फ़ुरसतिया-पुराने लेखhttp//hindini.com/fursatiya/archives/176
    [...] दो अखबार 7.देखा मैंने उसे कानपुर पथ पर- 8.अनुगूंज २१-कुछ चुटकुले 9.एक मीट ब्लागर और संभावित ब्लागर की [...]
  23. amit
    acchha hai
  24. jitendra sharma
    बहुत अच्छा लेख चुट्कुल है पढ़ने में बहुत मज़ा आया
  25. vishal singh
    वाह क्या चुटकुले हैं। लेकिन बहुत पुराने तथा बडें है थोड़ा छोटे होते तो पढ़ने में मजा आता
  26. shefali
    अच्छे हैं जी …..
    shefali की हालिया प्रविष्टी..ड्राफ्ट के इस क्राफ्ट में एक ड्राफ्ट यह भी ………..
  27. चंदन कुमार मिश्र
    कुत्तों वाला और काना वाला या दामाद जी वाला पसन्द आया। लेकिन अन्तिम नहीं पढ़ा। सदी का सबसे बड़ा चुटकुला बनाने का विचार है क्या?
    चंदन कुमार मिश्र की हालिया प्रविष्टी..नीतीश कुमार के ब्लॉग से गायब कर दी गई मेरी टिप्पणी (हिन्दी दिवस आयोजन से लौटकर)
  28. Anonymous
    श्रीमान जी आपने तो चाट दिया, अच्छा ही हुआ काफी मैल जम गयी थी दिमाग पर|
  29. दिनेश वर्मा
    बहुत अच्छे चुटकले है सर जी
    कभी इधर भी तशरीफ लाया करो…
    http://apna-antarjaal.blogspot.com/
    दिनेश वर्मा की हालिया प्रविष्टी..फ्री ओपनर (FREEOPENER ) से ७५प्रकार की फाइल खोलिए

No comments:

Post a Comment