Sunday, May 27, 2007

‘टेंशन नहीं लेना बेटा’ बना एनर्जी बूस्टर

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‘टेंशन नहीं लेना बेटा’ बना एनर्जी बूस्टर


आनंद अपनी बड़ी बहन से मिठाई खाते हुये
दो दिन पहले सी.बी.एस.ई. इंटर बोर्ड के नतीजे आये। कानपुर से सबसे ज्यादा नंबर लाने वाले आनंद चौरे के पिता श्री अरुण कुमार चौरे हमारी ही फ़ैक्ट्री में जूनियर वर्क्स मैनेजर हैं। हमारी ही कालोनी में रहते हैं। मेरे घर के बिल्कुल पास। आनंद अर्मापुर स्थित जिस केंद्रीय विद्यालय में पढ़ते हैं मैं उस विद्यालय का फ़ैक्ट्री प्रबंधन की तरफ़ से नामित अधिकारी हूं। इसलिये अक्सर विद्यालय जाना होता रहता था। मुझे आनंद की सफलता से कोई आश्चर्य नहीं हुआ। यह प्रत्याशित था। मुझे इसका इंतजार था।
आनंद के हाई स्कूल में ९४ प्रतिशत अंक आये थे। अब इंटर में ९५.६० प्रतिशत अंक पाकर शहर में सबसे अधिक अंक हासिल किये। पढ़ने के अलावा अन्यतमाम गतिविधियों में आनंद को समय-समय पर इनाम मिलते रहे लेकिन उसकी पहली रुचि पढ़ाई ही रही। यह पूछने पर कि जब लगाव नहीं था तो कैसे विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों और गतिविधियों में भाग लेते और इनाम पाते रहे आनंद ने बताया- स्कूल में सरजी लोग कहते थे इसलिये भाग लेता था।
घर के बगल में ही रहने के बावजूद मैं दो दिन से चौरेजी के घर मिठाई खाने न जा सका। जबकि फैक्ट्री में आते-जाते,मिलते-जुलते मैं उनसे आनंद की पढाई के बारे में दरियाफ्त करता रहता- आनंद की पढ़ाई कैसी चल रही है।

आनंद
आज सबेरे-सबेरे बाजार में चौरे जी से जब एक बार फिर मुलाकात हुई तो साथ में आनंद भी था। आनंद को बधाई दी और मैंने कहा हम आज ही आते हैं आपके यहां मिठाई खाने।
कुछ देर में गया मैं। आनंद के कुछ दोस्त आये थे। थोड़ी देर में वे चले गये। इसके बाद हम थे और आनंद के घर वाले -मम्मी, पापा, आनंद, सोते से उठा ली गयी आनंद की दीदी और आनंद का हरफ़नमौला छोटा भाई। घर में चारो तरफ़ कानपुर शहर से निकलने वाले पिछले दो दिन के सारे अखबार मेज पर पसरे थे। सभी में आनंद के और कानपुर के अन्य टापरों के बारे में खबरें छपीं थी। हम लोग आपस में बतियाते रहे। हम आनंद से पूछताछ भी करते रहे।
यह पूछने पर कि दो दिन से इंटरव्यू लेने वाले आ रहे हैं कैसा लग रहा है! आनंद ने थोड़ा झिझकते हुये तथा हल्का सा मुस्कराते हुये बताया-अच्छा लग रहा है। सभी विषयों में से कम्प्यूटर साइंस में सबसे अधिक ९८% अंक पाये आनंद का पसंदीदा विषय रसायन शास्त्र है। कारण पूछने पर बताया – पूनम शाह मैडम बहुत अच्छा पढ़ाती हैं। अन्य विषयों के अध्यापकों की भी उसने तारीफ़ की कि वे बहुत अच्छा पढ़ाते हैं। प्रधानाचार्य (रामचन्द्र जी) का भी कुछ योगदान है तुम्हारी सफलता में जब मैंने यह पूछा तो उसने बताया- हां, सरजी से जब भी मैं मिलता था सरजी प्रोत्साहित करते थे और कहते थे इंटर में हाईस्कूल से ज्यादा नंबर लाने हैं।
घर में वैसे तो सभी का सहयोग मिला लेकिन मां श्रीमती सीमा चौरे ने बेटे के लिये लगातार मेहनत की। पढ़ाई के चलते उससे घर का कोई काम नहीं कराया गया,
उसकी पसंद-नापसंद का हमेशा ख्याल रखा। श्रीमती चौरे से जब मैंने उनकी शिक्षा के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया ग्याहरवीं के बाद ही शादी हो जाने के कारण आगे पढ़ाई न हो पायी। हमने कहा- अब बच्चों के साथ स्नातक बनिये। :)
मुझे लगता है कि जिन लोगों को सच में बचपन में पढ़ाई छूट जाने का अफसोस हो उनको आगे समय मिल पाने पर उस अफसोस को खतम कर देना चाहिये। पढ़ाई करते रहना चाहिये।
चौरेजीने मेकेनिकल में डिप्लोमा करने के बाद रात्रि कालीन कक्षाओं में बी.ई. किया। आजकल फ़ैक्ट्री में देर रात तक काम के चलते रुकना होता है। जिस दिनबच्चे की सफलता की गाथा सुनते हुये अखबार वाले उनके घर में कैमरे चमका रहे थे चौरे जी एक मीटिंग में थे। रात दस बजे घर लौटे। हां, आयुध निर्माणियों में सच में ऐसा होता है कि कभी-कभी अधिकारी सबेरे साढ़े आठ बजे जाकर रात दस बजे तक भी वहीं बना रहे।
आनंद से हमने काफ़ी देर बातचीत की। तमाम तरह की। कुछ सवाल भी पूछे। ये सवाल-जवाब यहां दिये जा रहे हैं-
सवाल- तुम्हारे व्यक्तित्व की सबसे अच्छी ताकतवर चीज क्या है?
जवाब- मुझमें उत्सुकता बहुत है। कोई भी नई चीज के बारे में जानने के लिये हर तरह की कोशिश करता हूं। किताबें, नेट, अध्यापक। सब जगह खोजता हूं।
सवाल- और सबसे कमजोर पहलू क्या है?
जवाब- कभी-कभी चीजें मौके पर क्लिक नहीं होतीं। आती हुयी चीजें नहीं बता पता।
सवाल- ऐसा कैसे? जैसे कोई उदाहरण बताओ?
जवाब- जैसे इस बार इंटर में प्रैक्टिकल में वाइवा में मैडम ने पूछा- फास्फेट का ग्रुप का चार्ज ( आवेश) क्या होता है तो मैं ठीक से बता नहीं पाया।
सवाल- स्कूल में कभी शैतानी भी करते हो? कोई की हो तो बताओ!
जवाब- एक बार हमारे क्लास की एक लड़की का जन्मदिन था। हम लोग फिजिक्स प्रैक्टिकल की क्लास छोड़कर कैंटीन चले गये उसकी जन्मदिन मनाने। वहां समोसे खा रहे थे कि टीचर ने पकड़ लिया! :)
सवाल- फिर कुछ सजा मिली?
जवाब- हां, टीचरजी ने सबको छोड़ दिया। मुझसे ही कहा- सबसे मुझे मतलब नहीं है लेकिन तुम क्यों गये वहां? तुमको सबको रोकना चाहिये था। तुम भी चले गये।
सवाल- इसका मतलब है तुम्हारे ऊपर अच्छे बच्चे की इमेज हावी है। सजा मिलने का तुम्हें बाद में अफ़सोस हुआ?
जवाब- नहीं ऐसा कुछ नहीं। इतना तो चलता है।
आई.आई.टी. से बीटेक करके आगे मैटेरियल साइंस में रिसर्च की ख्वाहिश रखने वाले आनंद दुर्गा जी के भक्त हैं लेकिन पूजा पांच मिनट में निपटा देते हैं। पिछले दो वर्षों में केवल स्पाइडर मैन थ्री ही अकेली पिक्चर देखी। इसके अलावा अखबार में फिल्मी समीक्षा देख-पढ़कर ही कोटा पूरा कर लेते हैं।
केवल एकाध साथियों से ही दोस्ती रखने वाले आनंद से जब मैंने पूछा- लेकिन एक अखबार में तो छपा है कि तुम्हें दोस्त बनाना बहुत अच्छा लगता है तो उसने बताया वो तो उन्होंने अपने आप छाप दिया।
मुझे लगा -कुछ पत्रकार भी रेडीमेड इंटरव्यू रखते हैं। नाम लगाया सटा दिया।
आजकल जब मां-बाप अपनी ख्वाहिशों को बच्चों के माध्यम से पूरा होते देखना चाहते हैं तो वे उनपर अनावश्यक बोझ डालते हैं। दिन-रात जुटे रहने को कहते हैं। इसके विपरीत आनंद के पिताजी उससे हमेशा कहते रहे- बेटा किसी बात की टेंशन नहीं लेना…जितना अच्छा बन पड़े करो, सब अच्छा होगा।
यही आनंद का इनर्जी बूस्टर बना।
कम्प्यूटर पर सर्फिंग के लिये पनकी तक जाने वाले आनंद का अपना कोई ईमेल खाता नहीं है।:) C++ में अच्छी पकड़ है। हमने कहा- हमको भी प्रोग्रामिंग सिखा दोगे? इस पर आनंद मुस्करा रहा था। जब हमने पूछा कि इसे सीखने के लिये क्या आना चाहिये। जवाब में उसने बताया – कुछ नहीं आना चाहिये। ऐसे ही सीख जायेंगे। लेकिन बिना टीचर के कुछ समझनें में परेशानी होगी क्योंकि कभी-कभी जो चीजें आगे आने वाली हैं उनकी जिक्र पहले आ जाता है।
चलो हम पहले पूरी पढ़ लेंगे तब सीखना शुरू करेंगे कहकर हम उसकी C++ की किताब उठा लाये।
आनंद के घर का कम्प्यूटर खराब होने के कारण अखबार की फोटो स्कैन करने के लिये पास के कैफ़े गये। रास्ते में उसने बताया कि उसने मेरा लेख जो मैंने अपनी
फैक्ट्री मैगजीन में छापने के लिये दिया था वह उसे बहुत अच्छा लगा। हमने टेस्ट करने के लिये पूछा- कौन सा लेख? उसने बताया-हमरी लग गई आंख बलम का बिल्लो ले गई रे…। हमने पूछा कि इसे एक बार में पढ़ा कि एक से ज्यादा बार में? उसने बताया कि पहले तो शीर्षक देख कर उसे कुछ समझ में नहीं आया। लेकिन बाद में पढ़ा तो अच्छा लगा।
कैफ़े में स्कैन कराने गये तो बिजली दगा दे गयी। कुछ देर तक इंतजार के बाद हम घर चले आये। कुछ देर बाद जाकर फिर स्कैन करवा कर लाये।
आगे आनंद और उसके जैसे तमाम बच्चे न जाने किन-किन उपलब्धियों को छुयेंगे। आजकी उसकी सफलता मुझे अपनी सफलता लगती है। ये संभावनाओं के ज्योतिपुंज हैं। कामना है कि ये अपनी ज्योति को सार्थक रोशनी बिखरने में लगा सकें।
आनंद और उस जैसे तमाम बच्चों को देखकर मुझे हमेशा लगता है- मेहनत, लगन और समर्पण से हर कमी को दूर कर देते हैं और सफलता आपके सामने फ़र्शी सलाम करती नजर आती है।
मुझे आज फिर अपने गुरूजी याद आये। जो हमसे अक्सर कहा करते थे- तुम भी यह कर सकते हो।
आनंद अखबारों और पत्र-पत्रिकाओं में टापर्स के इंटरव्यू से प्रेरणा पाते रहे हैं। यह इंटरव्यू भी किसी के लिये प्रेरणा बन सके इस आशा से इसे यहां पोस्ट किया।

20 responses to “‘टेंशन नहीं लेना बेटा’ बना एनर्जी बूस्टर”

  1. अफ़लातून
    आनन्द जैसे विद्यार्थियों का सामूहिक आयोजन में अभिनन्दन होना चाहिए । उसे हार्दिक शुभकामना ।
  2. gayatri
    हार्दिक शुभकामना आनन्द …..
  3. हिंदी ब्लॉगर
    आनंद से परिचय कराने के लिए धन्यवाद.
  4. abhay tiwari
    सही है भाई.. अपनी दुनिया अच्छे से दिखाते हैं आप.. और हमें रास्ता..
  5. Jagdish Bhatia
    हमारी तरफ से आनंद को बधाई दीजीयेगा।
    आपका गुरूजी वाला लेख अपनी बेटी को पढ़वाया था, आज यह वाला भी पढ़वाऊंगा।
  6. समीर लाल
    आनन्द और उसके परिवार को हमारी तरफ से बहुत बधाई प्रेषित करें और एक बार हमारी तरफ से भी मिठाई खा आईये. बालक के समस्त सपने पूर्ण हों, इस हेतु हार्दिक शुभकामनाऐं.
  7. eswami
    आनंद के लिये हार्दिक शुभकामनाएं.
  8. सागर चन्द नाहर
    आनंद को हार्दिक बधाई और आपको आनंद का परिचय करवाने के लिये धन्यवाद।
    मुझे लगता है कि जिन लोगों को सच में बचपन में पढ़ाई छूट जाने का अफसोस हो उनको आगे समय मिल पाने पर उस अफसोस को खतम कर देना चाहिये। पढ़ाई करते रहना चाहिये। 
    मुझे लग रहा है कि ये पंक्तियाँ मेरे लिये लिखी गई है, कुछ ना कुछ करना ही होगा अब।
  9. mamta
    आनंद को हार्दिक बधाई और भविष्य के लिए शुभकामना ।
  10. ghughutibasuti
    आनन्द की सफलता के लिए उसे बधाई और उसे टेन्शन मुक्त रखने के लिए उसके माता पिता को बधाई !
    घुघूती बासूती
  11. आदित्य कुमार तिवारी
    धन्यवाद फ़ुरसतिया जी,
    वास्तव में दूसरों को प्रेरणा देने के अलावा ऐसा हर लेख स्वयं उस व्यक्ति के लिये एक energy booster होता है जिसके लिये लिखा जाता है।
    @ अफ़लातून जी,
    रोटरी क्लब आदि संस्थायें ऐसे विद्यार्थियों के लिये सामूहिक अभिनन्दन समारोह आयोजित करती है। आजकल प्रतिभा का सम्मान करने वालों की भी कमी नहीं है।
  12. Sanjeet Tripathi
    आनंद के लिए शुभकामनाएं और आपका शुक्रिया
  13. श्रीश शर्मा
    हार्दिक बधाई आनंद को, इस तरह के होनहार बच्चे ही देश का भविष्य हैं।
  14. ज्ञान दत्त पाण्डेय
    भैया, मुझे तो पोस्ट पर नहीं, पोस्ट लिखने वाले पर लिखना है. इतना बढ़िया और गज भर लिखते हैं कि डेढ़ उंगली से लिखने वाला हमारे जैसा ईर्ष्या से जल मरे.
    सुकुलजी बड़ा इफीरियॉरिटी कॉम्प्लेक्स देते हैं. पर गदहा की तरह हम बार-बार पढ़ने/चरने भी चले आते हैं.
  15. फुरसतिया » हाई स्कूल का टापर- प्रांजल
    [...] कल हमने आपको आनंद के बारे में बताया जिसने कानपुर में इंटर में सर्वाधिक अंक प्राप्त किये। इस पर अभय तिवारीजी ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये लिखा-सही है भाई.. अपनी दुनिया अच्छे से दिखाते हैं आप.. और हमें रास्ता.. [...]
  16. PRAMENDRA PRATAP SINGH
    आनंद को हार्दिक बधाई
  17. आनंद चौरे
    फुरसतिया अंकलजी का धन्यवाद। आपने मेरे बारे में इतना लिखा। फुरसत का समय आप बहुत ही अच्छी तरह से उपयोग करते हैं।
  18. SR Shankhala
    आनंद के लिये हार्दिक शुभकामनाएं
  19. mohnish kahar
    best of luck anand
  20. : फ़ुरसतिया-पुराने लेखhttp//hindini.com/fursatiya/archives/176
    [...] ‘टेंशन नहीं लेना बेटा’ बना एनर्जी बूस… [...]

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