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नर-नर रंग्यो मदन-रंग, सखि अइसन आयो फाग।।
होली तो अभी दूर है आप के ब्लोग पर पहले ही अबीर गुलाल उड़ रहा है
फुरसतिया के दोहरे, ज्यों राखी के नैन
चोट भयी एक मिनट में, टीस उठे दिन रैन
आप मेरे ब्लॉग पर तो आए .
मुझे यकीन है
जो मेरी कविता में आए हैं
वे होली पर भी ज़रूर आएँगे.
या यूँ कहूँ जब वे आएँगे तब होली हो जाएगी.
आपकी निराली शैली को बधाई . . .
लिखो ज़बरिया यार कहा कर लइहे कोई !