Wednesday, March 19, 2008

खुशबू निकली फ़ूल से

http://web.archive.org/web/20140419215704/http://hindini.com/fursatiya/archives/406

खुशबू निकली फ़ूल से


फ़ूल
सेंसेक्स छलिया जीव है, बढ़त-बढ़त घटि जात।
आज छुये आकाश को, कल औंधे मुंह गिरि जात॥
मंहगाई एकल मार्ग है, एक तरफ़ ही जाये।
दुनिया चाहे जो करे, ये केवल बढ़ती जाये ॥
खुशबू निकली फ़ूल से, संगै सखी सुवास,
हमें भगाया फ़ूल ने, करता तितलिन संग परिहास॥
ब्लागिंग में हैं गुन बहुत, सदा कीजिये ब्लाग।
बिनु तबला, ढोलक बिना, बजे क्रांति का राग॥

13 responses to “खुशबू निकली फ़ूल से”

  1. दिनेशराय द्विवेदी
    फूलन के रंग देख-देख, तन में बाढे़ आग।
    नर-नर रंग्यो मदन-रंग, सखि अइसन आयो फाग।।
  2. Ghost Buster
    फुरसतिया के दोहरे…
    (आगे बनाना अपने बस का नहीं)
  3. anitakumar
    :) होली मुबारक हो॥
    होली तो अभी दूर है आप के ब्लोग पर पहले ही अबीर गुलाल उड़ रहा है
  4. आलोक पुराणिक
    भई वाह वाह।
    फुरसतिया के दोहरे, ज्यों राखी के नैन
    चोट भयी एक मिनट में, टीस उठे दिन रैन
  5. सृजन शिल्पी
    वाह-वाह…एक से बढ़कर एक।
  6. ज्ञानदत्त पाण्डेय
    बहुत अच्छा, बिन ढ़ोलक/तबला आप क्रांति करें। आपके साथ ही रहेंगे हम। वाद्य बजाना नहीं आता। आपके साथ ताली बजायेंगे या मेज थपथपायेंगे!
  7. समीर लाल
    वाह जी वाह…ब्लॉगिंग कबीर.
  8. प्रियंकर
    फागुनी दोहों का रंग अच्छा जमा . फूल तो पीले और चटक लाल शोभायमान हैं ही .
  9. Dr. Chandra Kumar Jain
    अनूप जी !
    आप मेरे ब्लॉग पर तो आए .
    मुझे यकीन है
    जो मेरी कविता में आए हैं
    वे होली पर भी ज़रूर आएँगे.
    या यूँ कहूँ जब वे आएँगे तब होली हो जाएगी.
    और होली पर आपकी ही धुन में
    आपकी निराली शैली को बधाई . . .
    बजे क्रांति का राग,न हो फुर्सत में कोई
    लिखो ज़बरिया यार कहा कर लइहे कोई !
  10. सागर नाहर
    बहुत ही मजेदार.. हमें कवितामयी टिप्पणी नहीं आती। आलोक जी की टिप्पणी को कॉपी पेस्ट कर लेवें। :)
  11. Isht Deo Sankrityaayan
    बहुत खूब!
  12. sushil sharma
    very nice Mr. Anoop i am ur fan.
  13. : फ़ुरसतिया-पुराने लेखhttp//hindini.com/fursatiya/archives/176
    [...] खुशबू निकली फ़ूल से [...]

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