Wednesday, April 16, 2008

…और समीरलाल गाने लगे

http://web.archive.org/web/20140419212754/http://hindini.com/fursatiya/archives/424

…और समीरलाल गाने लगे

हमारी कनपुरिया मिलन कथा के विवरण पढ़कर कंचन का दिल टुकड़े-टुकड़े हो गया और उन्होंने लिखा-

अरे..! हमें तो ये पढ़ने के बाद कुछ पढ़ने में आ ही नही रहा है कि मेरे आने के बाद उन सुमन भाभी जी ने गीत सुनाया, जिन्हें हम अपना दिल दे आये थे….और आज ये खबर सुनने के बाद दिल तो चकनाचूर हो गया… बताइये भला हम जब तक रहे तब तो बस रसोई..रसोई..और हमारे आने के बाद चाँद..चाँद..! हम भी दो बोल सुन लिये होते तो सुमन की गंध में कमी तो आ न गई होती…और समीर लाल जी भी मुझे ऐसे पक्षपातपूर्ण रवैये की आशा होती तो मैं वहाँ से हिलती ही मत..!
अब पहले इस सदमे से उबर लूँ तब कुछ कहूँ
समीरलाल भी अभ तक उबर नहीं पाये थे और लिखते भये
-अब कंचन जी सदमें से उबरें तब हम अपने आप से उबर कर कुछ लिखें…अति आनन्ददायी शाम का बड़ा ही दिलचस्प नजारा पेश किया आपने …आभार. :)
वो शाम एक यादगार शाम बन कर हमेशा जहन में रहेगी.

अवधेश सिंह चौहान
लेकिन सबसे ज्यादा भरे बैठे थे कंचन के बड़े भैया अवधेश सिंह चौहान जो उस दिन घटनास्थल पर थे और कई धांसू शेर भी उन्होंने सुनाये थे। उनकी व्यथा उनके ही शब्दों में सुनी जाये-

हम तो पहले से ही भरे बैइठे हैं, अब हमार मुंह न खुलवाओ। केवल जान-पहिचान वालों के फोटो हैं। हमको किनारे बैठा कर के कहा-नाश्ता-पानी करो। हम तो पकौड़ी खाने के चक्कर में रह गये। बाद में मालूम चला कि गंजे लोगों की फोटो डिजिटल कैमरा लेने से मना कर देता है। पहली बार ये सोच के इतनी दूर से गये थे कि ब्लागर वाले फोटो निकाल कर कम्प्यूटर में ट्रान्सफ़र कर देते हैं। जब चाहे किसी किसी दोस्त को कम्प्यूटर में ब्लाग में अपनी फोटो दिखा सकते हैं। खैर कोई बात नहीं । अगली बार देखा जायेगा।

अवधेशजी की शिकायत दूर करने की कोशिश करते हुये हम उनकी फोटो अलग से लगा देते हैं।
भड़काने वाले भी थे। कमलेश मदान ने प्रयास किया -
हाः) हाः) हाः) , लेकिन एक बात कहूंगा कि स्लाइड शो में समीरलाल जी का एक पुराना फ़ोटो भी रखा हुआ है- सफ़ेद शर्ट वाला.
वैसे समीरलाल जी को झेलना एक बहुत बड़ा काम-लाइक- भारत रत्न के बराबर है जीः)
आपने झेल लिया !मतलब आप भी भारत रत्न की कतार में हैं.
हमारे इस अंदाज पर चाहे साधना भाभी कुछ ज्यादा ही फिदा हो गयीं और बोलीं बाहर से चले जाते तो आपका यह मजेदार अंदाज ( जो कि हमारा स्वाभाविक अंदाज है) भी देखने से रह जाते।
ये लाइन समीरजी ने पढ ली तो कहीं भी भाभी को लेकर नहीं आयेंगेः)– लाइन को जरा सुधार लें वरना…. समीर जी आपको सुधार देंगेः)
अब कमलेश जी को क्या पता कि भाभी अपना नया नाम पिंकी पाकर कित्ती खुश हुयीं। और जब वे खुश तो समीरलाल की क्या विसात कि वे हमारी खबर ले सकें सिवाय यह कहने के कि -अति आनन्ददायी शाम का बड़ा ही दिलचस्प नजारा पेश किया आपने …आभार. :)
पाण्डेयजी जब से मालगाड़ी महकमें के इंचार्ज हो गये तबसे वे हर चीज को वजन के चश्में से देखते हैं। हर जगह उनको वजन की चिंता सताती है। यह चिंता उनकी टिप्पणी से भी झलकती है-
समीर लाल और राजीव टण्डन का औसत वजन एक आदर्श भरतीय के लिये अदर्श वजन होगा। इन विभूतियों को साथ प्रस्तुत करने का आदर्श काम आपने किया है। बधाई। आज हुयी रीयल फुरसतिया पोस्ट।
अमित गुप्ता समझदार हैं वे ही हुनर-पारखी हैं और तारीफ़ करते हैं दिल से-
माशाल्लाह आप वाकई फोटुओं का स्लाईडशो लगाने में सफ़ल हुए हैं, और माशाल्लाह फोटुएँ भी धाकड़ सी आई हैं!! इंशाल्लाह आप आगे भी ऐसे ही ब्लॉगर मीट में शिरकत करते रहें और मज़ेदार अंदाज़ को बनाए रखें, मज़ा लेने के लिए इंशाल्लाह हम भी जल्द ही आपकी शहर तशरीफ़ लाएँगे। :)
आइये अमित भाई हम आपका इंतजार कर रहे हैं।
अजित वडनेरकर जी ने भड़काने का प्रयास किया और कहा- 
आपने जान बूझकर समीरलाल जी की कविताओं को रिकार्ड नहीं किया। खुन्नस थी। यादव जी के गीत पर भाभीश्री की प्रस्तुति शानदार थी, समीर लाल की दाद भी जानदार थी। धन्यवाद ब्लागर मीट की रिपोर्ट के लिए…
कुछ यही अन्दाज सुजाता का था जो समीरलाल के लिये बोलीं- बस बीच बीच मे समीर जी का -बहुत बढिया ,बहुत बढिया ….थोड़ा डिस्टर्ब करता रहा :-)
बहरहाल , शाम तक समीरलाल जी ने अपनी आवाज में अपनी में कविता भेज दी। इसी को उन्होंने हमारे यहां अपना स्वर दिया। लिखी भी खुद ही है। जिस कमरे में गायी वह कमरा अभी भी स्पंदित हो रहा है। आप भी सुनिये और समीरलालजी की तारीफ़ करने के अवसर का लाभ उठाइये। युनुस जी देख लीजिये हमारी टीम सच्ची में पूरी है। बता दीजिये सुभाष घई को कि भाई लोग आ रहे हैं :)

अब समीरलाल की कविता सुनिये

18 responses to “…और समीरलाल गाने लगे”

  1. yunus
    भईया फुरसतिया हमने सुभाष घई से कहा इत्‍ते सारे लोग आ रहे हैं तो वो भाग खड़े हुए और बोले फिल्‍म निर्माण की पाठशाला विसलिंग वुड्स हम फुरसतिया को सौंपते हैं । आईये संभालिये अब ।
  2. पंकज
    क्या है कि लालजी आजकल अपने आपको हिमेश रेशमीया के द्वितीय अवतार सिद्ध करने को तूले हुए हैं. हीट तो वे पहले से है ही .. :)
    अच्छा गीत सुनाया… कहते हैं गीतकार अच्छा गायक हो तो क्या कहने…
  3. Gyandutt Pandey
    मनोविनोद की भाषा के इतर बात की जाये तो श्री समीरलाल वास्तव में अत्यंत प्रतिभा सम्पन्न व्यक्ति हैं। और प्रतिभा भी अनेक विधाओं में अनेक प्रकार से व्यक्त होती है। एक का परिचय आप ने कराया।
    आप को धन्यवाद।
    वैसे जैसे ये विचार मैने समीर जी के लिये कहे हैं, वैसे ही आपके आपके विषय में भी कहे जा सकते हैं।
  4. प्रियंकर
    टनाटन मंचीय कविता . क्या दौड़ा-दौड़ा कर रिकॉर्ड किया है . समीर भाई हंफियाए से सांस के भरे कैसे लग रहे हैं . या फिर यार-प्यार के चक्कर में एक्स्ट्रा भावुक हो गए .
  5. दिनेशराय द्विवेदी
    आप लोग मिल लेते हैं, मजा लेते हैं और फिर उसे पोस्टिया भी देते हैं। हम इधर एक कोने (कोटा) में बैठ-बैठे भुनते हैं। और तो कुछ होता नहीं, उस दवाई वाले की बरनॉल बिकती रहती है। जब भी लेने जाते हैं तभी पूछता है, कऊन जल गया घऱ माँ। अब उस क्या बताएँ?
  6. mamta
    वाह !
    क्या खूब समीर जी !!
    कुछ भावुक हो गए लगते है।
  7. आभा
    बहुत बढिया, समीर भाई ।
  8. आभा
    बहुत बढिया, समीर भाई ।
  9. आभा
    समीर जी का यह गाना तो बहुत अच्छा है….
  10. AWADHESH SINGH CHAUHAN
    waah waah…ab shayad ham bhi nahi bhul pae.nge aap sabko aur ham bhi aap ko yaar kahane lage hai.n
  11. manish joshi
    सही – समीर लाल जी की भावुक प्रस्तुति पर – यार कहते हैं – बहुत सही, और हाँ कनपुरिया मिलन पोस्ट का ऐसा चकाचक अब दिखा – [एक ठो राजीव टंडन IIT KANPUR में भी होते रहे हम लोगों से सीनिअर; लाला / संजय कोहली की जान पहचान के ? – मनीष
  12. सुनीता शानू
    मै इस पार तू उस पार
    मगर दिल पास रहते हैं
    हमारे देश में यारों
    इसी को प्यार कहते है
    मुझे तुम भूलना चाहो
    बेशक भूला देना
    तुझे भुलू बता कैसे
    तुझे हम यार कहते है…
    इन खूबसूरत पंक्तियों ने मन मोह लिया है…और समीर भाई आपके कहने के अन्दाज के तो क्या कहने…सचमुच आपने समा बाँध दिया है…
  13. फुरसतिया » अनूप शुक्ल के असली किस्से
    [...] तो हुआ यह कि आज सुबह जब अनूप शुक्ल चाय पीते हुये नेट पर ब्लाग देख रहे थे तो सबसे पहले अपने ब्लाग पर आई नई टिप्पणियों को निहारने गये। उनका चेहरा उतर गया। केवल एक टिप्पणी आयी थी। उनको कारण समझ में न आ रहा था। बल्कि सच तो यह है कि तुरन्त समझ में आ गया। असल में अपनी पिछ्ली पोस्ट में अनूप शुक्ल ने समीरलाल का जिक्र किया था। जिक्र ही नहीं किया करेले पर नीम चढ़ाया और उनका गाना भी डाल दिया। लोग भड़क गये और शीर्षक देखकर ही वापस चले गये। अनूप शुक्ल को यह अहसास हुआ कि अगर जहां समीरलाल का जिक्र हुआ वहां बंटाधार पक्का है। ऐसा इतिहास भी बताता है। ज्ञानजी की गाड़ी में बैठे उनके लिखने में झटका लगा। जिससे उबरने के लिये वे आजकल राखी सावंत जी की सेवायें ले रहे थे। सेवाओं से फ़ायदा भी रहा है। ऐसा आलोक पुराणिक जी ने बताया। [...]
  14. anitakumar
    समीर जी का कविता पाठ बहुत ही सुंदर है। अनूप जी का भी साधूवाद जो ये सब मैनेज कर लेते हैं। दिनेश जी बम्बई में भी बरनॉल की काफ़ी शोर्टेज हो गयी है अनूप जी की कृपा से। बरनॉल बनाने वाली कंपनी के साथ अनूप जी का अनुबंध होगा, देखो न अपने ही भाई बंधुओं को जला रहे हैं
  15. मीनाक्षी
    समीरजी का काव्य पाठ सुनकर अच्छा लगा.. हम भी भावुकता से भर गए . अनूपजी आपकी पोस्ट पढ कर तो हम भी घर में बरनॉल ढूँढने लगे :)
  16. गिरीश बिल्लोरे मुकुल
    समीर समीर जी
    गज़ब ढा रहें हैं.
    आज कल वे गुनुनाना छोड़
    गीत पूरा गा रहे हैं .
  17. Dr.Bhawna
    Bahut der se yaha aana hua ..par sunkar utna hi annand aa gaya bahut khub .bahut bahut mubarka aage bhi intjar rahega…
  18. : फ़ुरसतिया-पुराने लेखhttp//hindini.com/fursatiya/archives/176
    [...] …और समीरलाल गाने लगे [...]

No comments:

Post a Comment