Tuesday, May 27, 2008

ब्लाग की हाफ़ लाइफ़ का हिंदी अनुवाद

http://web.archive.org/web/20140419215819/http://hindini.com/fursatiya/archives/437

ब्लाग की हाफ़ लाइफ़ का हिंदी अनुवाद

ज्ञानजी आज साइंस पढ़ाने लगे। कुछ -कुछ मास्टर मोतीराम की तरह। आज का विषय रहा ब्लाग की हाफ़ लाइफ़!
इस लेख का हिंदी अनुवाद कुछ यों होगा।
संसार में तमाम तरह के रेडियो एक्टिव पदार्थ पाये जाते हैं। ब्लाग भी उनमें से एक है। ब्लाग से पोस्टें रेडियो एक्टिव किरणॊं के रूप में निकलती हैं। कुछ किरणें हानिकारक होती हैं कुछ लाभदायक। कुछ किरणें बस ऐं-वैं टाइप होती हैं।
ब्लाग ऐसा रेडियो धर्मी पदार्थ होता है जिसे चलाने के लिये एक ब्लागर की आवश्यकता होती है। जैसे एक्सरे के लिये रेडियोलाजिस्ट चाहिये होता है वैसे ही ब्लाग के लिये ब्लागिस्ट चाहिये होता है। जैसे रेडियोलाजिस्ट अच्छा होने से एक्सरे अच्छा आता है वैसे ही ब्लागिस्ट अच्छा होने से ब्लाग से उत्सर्जन होता है। जैसे खराब रेडियोलाजिस्ट कामचोरी के चलते एक्सरे मशीन खराब करके सुर्ती मलता है, पान-मसाला खाता है और ऐंडि़याता रहता है वैसे ही ब्लागिस्ट तमाम तरह के बहाने बनाकर ब्लागिंग से कतराता है। कुछ तो ऐसे भी होते हैं जो खाली इसीलिये ब्लाग उत्सर्जन कम कर देते हैं ताकि उनको समथिंग डिफ़रेंट टाइप का माना
कुछ ब्लागिस्ट अपनी ब्लाग मशीन मोहल्ले की शुरुआती गली में रखते हैं। जो आता है उसका एक्सरे उतार देते हैं। अगर फ़ीस चुकाने से कम रहा तो उसका गमछा उतार लेते हैं। इज्जत तो वे मशीन पर लेटाते ही उतार देते हैं। उनका मानना है आदमी जितना हलका रहे उतना अच्छा।
कुछ अगड़म -बगड़म टाइप के ब्लागिस्ट क्या करते हैं कि इधर-उधर के एक्सरे की कापी करके आपको दिखा देते हैं। कहते हैं इस एक्सरे ने टाप किया था जी एक्सरे इम्हान में। आप इसे अपना ही मानो। लोग माले मुफ़्त दिले बेरहम समझ कर मान लेते हैं।
कुछ लोग अपनी एक्सरे मशीन आसमान में उड़ाते हैं। ऊपर से ही फोटो खींचते हैं। गूगल अर्थ से सेटिंग है। फ़्री फोटो बांटते हैं। टिप अलग से। लोग मस्त रहते हैं। सोचते हैं ऊपर वाला भेजिस है। क्या फोटो है।
जिसकी ब्लागिस्ट की दुकान कम चलती है वह अपनी दुकान बन्द करने की धमकी दे देता है। साथ ब्लागिस्ट अपने कुछ ग्राहक उसके यहां भेज देते हैं। जाओ भैया – शिवकुमार की दुकान से एक्सरे करवा लो। बेचारे दुखी हैं। भुनभुनाता अलग होगा- कहीं ऐसे दुकान चलती है। लिखेंगे डायरी कलमुंहे दुर्योधन की और सोचेंगे ग्राहक आयें। ग्राह्क दुर्योधन की डायरी काहे पढ़ेगा। खुद बनेगा नहीं दुर्योधन ?
कुछ फ़ुरसतिया टाइप के ब्लागर होते हैं उनको देखकर लगता है कि शायद आंख के अन्धे नाम नयन सुख इनके लिये ही खास तौर पर बनाया गया है। बात फ़ुरसत फ़ुर्सत की करते हैं और हर बार रोते हैं टाइम नहीं है। इनके समय की कमी के मगरमच्छी आंसू देखकर वे वीर बालक याद आते हैं जो महिलाओं / वंचितों की लड़ाई लड़ते हुये उनकी इज्जत उतारते रहते हैं ताकि वे हल्की रहें और प्रगति की राह में फ़ुर्र-फ़ुर्र उड़ें। इसे अंग्रेजी में कहते हैं- आधुनिक समाज का द्बंदात्मक प्रगतिवाद।
देखिये कित्ते मन से हम पढ़ा रहे थे आपको। लेकिन कोई शैतान घंटा बजा दिया। कायदे से पढ़ाने भी नहीं देते। इसीलिये देश में शिक्षा का स्तर हिंदी ब्लागिंग के स्तर से होड़ ले रहा है।
बहरहाल, हम बड़े दुखी मन से जा रहे हैं। कभी फिर बतायेंगे। सुनियेगा? :)
फ़ीड बैक बताइये कैसा लगा ये पाठ?

13 responses to “ब्लाग की हाफ़ लाइफ़ का हिंदी अनुवाद”

  1. आलोक
    बढ़िया था।
  2. Neeraj Rohilla
    अनूप जी,
    ज्ञान दद्दा ने ठीक से रेडियो एक्टिविटी नहीं पढी, आज पता चला है | हमे तो पूरा मसौदा मिल गया है एक पोस्ट ठेलने का, आप भी इन्तजार करें :-)
    “जिसकी ब्लागिस्ट की दुकान कम चलती है वह अपनी दुकान बन्द करने की धमकी दे देता है। साथ ब्लागिस्ट अपने कुछ ग्राहक उसके यहां भेज देते हैं। जाओ भैया – शिवकुमार की दुकान से एक्सरे करवा लो। बेचारे दुखी हैं। भुनभुनाता अलग होगा- कहीं ऐसे दुकान चलती है।”
    ऐसा लिखने के लिए चांपू आब्सेर्वेशन कहाँ से लाते हैं :-)
  3. आलोक पुराणिक
    जमाये रहिये
  4. Gyandutt Pandey
    यही गड़बड़ है आपके साथ। पाठशाला हमने खोलनी चाही। आपने उससे बड़े साइनबोर्ड के साथ कोचिंग क्लास शुरू कर दी। मोतीराम मास्टर से क्या खास पढ़ेंगे अब छोरे! मोतीराम मास्टर की आटाचक्की चल जाये तो ही गनीमत! :-)
  5. Ghost Buster
    जबरदस्त रहा जी हमेशा की तरह. ऐसी कोचिंग हो तो हम भी ब्लॉगिंग की ऐ बी सी डी जल्द ही सीख लेंगे.
  6. दिनेशराय द्विवेदी
    टीका अच्छी है। क्या ज्ञान जी और मेरे दादा जी की तरह आपके दादा जी भी कथावाचक थे।
  7. balkishan
    “कुछ लोग अपनी एक्सरे मशीन आसमान में उड़ाते हैं। ऊपर से ही फोटो खींचते हैं। गूगल अर्थ से सेटिंग है। फ़्री फोटो बांटते हैं। टिप अलग से। लोग मस्त रहते हैं। सोचते हैं ऊपर वाला भेजिस है। क्या फोटो है।”
    बड़ी बढ़िया फोटो खींची है.
    बाकी सब सुंदर जमाये है.
  8. Shiv Kumar Mishra
    कल ही पहली बार एक दिन में पाँच लोगों का एक्स रे किए. ऐसे ही ग्राहक मिलते रहे तो हमरी दुकान भी चल निकलेगी.
    पाठ तो बहुत शानदार था. अगली बार पाठ शुरू कीजियेगा तो शैतान लोगों से घंटा छुपा कर रख लीजियेगा….:-)
  9. प्रियंकर
    हम आपकी और ज्ञानजी दोनों की आटाचक्की से सापेक्षता का सिद्धांत समझने की जुगाड़ में हूं . अरे हम कौनो अभियंता थोड़े हैं . कला वर्ग के विद्यार्थी हैं,टैम लेकर धीरे-धीरे तसल्ली से समझेंगे . इससे नींव पुख्ता रहती है और दिमाग थिर (दुनिया ओहका जड़ अउर मोटा न जाने का का बोलती है).
  10. यूनुस
    आपका नहीं कानपुर के हवा-पानी का दोष है सर । जो ये पोसट लिखी गयी है ।
    हम क्‍या करें इलाहाबाद और कानपुर जैसा हवा पानी हमको मिलते ही नहीं ससुर ।
  11. समीर लाल
    मोतीराम मास्टर स्कूल में पढ़ाते है और आप घर पर ट्यूशन देते हैं. दोनों ही जरुरी हैं. पढ़ाई और पेपर लीक तो आपसे ही होगा.
    :)
  12. anitakumar
    हम भी बैठे हैं आप की क्लास में, आज तो घंटा बज गया कल हाजिर जरूर रहिएगा नये पाठ के साथ
  13. : फ़ुरसतिया-पुराने लेखhttp//hindini.com/fursatiya/archives/176
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