Friday, April 15, 2011

ब्लाग पोस्ट की चोरी बचाने के कुछ सुगम उपाय

http://web.archive.org/web/20140419221516/http://hindini.com/fursatiya/archives/1951

ब्लाग पोस्ट की चोरी बचाने के कुछ सुगम उपाय

पिछली पोस्ट जबरियन छपाई के हसीन साइड इफ़ेक्ट पर ई-स्वामी की टिप्पणी थी-
गुरुदेव,
सारा दोष साली आपकी स्टाईल का है!
बंदे की स्टाईल से लिखने की ट्राई मारो आप, फ़िर किसी का बाप भी किसी अखबार के लिये नही चुरा सकता!
अब अगर किसी को ई-स्वामी की स्टाइल देखनी हो तो उनके ब्लाग पर देख सकते हैं। लेकिन यह उनकी स्वाभाविक स्टाइल नहीं है। यह तो उनकी बिगड़ी हुई स्टाइल है। अगर उनकी ओरिजनल ईस्टाइल देखनी हो तो उनकी शुरुआती पोस्टें देख सकते हैं।
पिछली पोस्ट से जुड़ी ही खुशदीप की पोस्ट आई जिसमें उन्होंने अखबारों की चोट्टागिरी का जिक्र किया है। उस पोस्ट पर टिपियाते हुये मुझे अपनी एक पुरानी पोस्ट याद आ गयी। यह पोस्ट तब लिखी गयी थी जब ब्लागवाणी के संचालक मैथिली जी ने ब्लागवाणी शुरु करने के पहले लोगों के ब्लाग से पोस्टें लेकर संकलक का काम शुरु किया था। कुछ-कुछ हिंदीब्लॉगजगत की तर्ज पर। लोगों ने उनकी खूब खिंचाई की। उन पर चोरी का आरोप लगाया।
इस पर मैंने ब्लाग से पोस्टों की चोरी बचाने के कुछ उपाय लिखे थे। वे उपाय मुझे आज भी उतने ही कारगर लगते हैं जितने आज से चार साल पहले लगते थे। जिन साथियों को पूरी पोस्ट पढ़नी हो वे यहां पढ़ सकते हैं। यहां तो केवल ब्लाग-चोरी से बचने के कुछ सुगम उपाय दिये हैं। यह रिठेल है लेकिन पुरानी पोस्ट का गुटका संस्करण! इसको दुबारा पढ़ते हुये आज से चार साल पहले के ब्लागर साथी और उस समय का माहौल भी याद आ गया। :)

ब्लाग चोरी से बचने के कुछ सुगम उपाय

ब्लाग चोरी
वैसे तो किसी भी लेखक यह लेखक के लिये बड़ी खुशी की बात है उसका लिखा लोग पढ़ें-चाहे चुरा-चुरा के ही सही। नोबल पुरस्कार विजेता लेखक गैबरीला मार्खेज अपने जीवन के सबसे आल्हादित करने वाले अनुभवों में एक उस अनुभव को मानते हैं जब उन्होंने देखा कि उनकी किताब ‘हन्ड्रेड यीयर्स इन सालूट्यूड’ को लड़के दस भागों में बांट-बांट करके पढ़ रहे थे। लेकिन हमारे तमाम साथी जो चाहते हैं कि उनका ब्लाग बिना उनकी अनुमति के कोई चुरा न सके तो उसके कुछ तरीके हमने खोजे हैं। अगर आप अपने ब्लाग को इस लायक समझते हैं उसकी चोरी की जा सकती है तो इन तरीकों को आजमाने के बारे में विचार करें। ये तरीके हालांकि हमने खोजे हैं लेकिन इनको अगर आप अपना बनाकर भी अपनाते/प्रचार करते हैं तो हमें कोई एतराज नहीं होगा। दुनिया के तमाम लोकगीत उनके रचयिताऒं के नाम के बगैर गाये जा रहे हैं।
१. सबसे पहला उपाय न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी के प्रसिद्ध सिद्धान्त पर आधारित है। अगर आप सही में चाहते हैं कि आपके ब्लाग पोस्ट की कोई चोरी न कर सके तो सबसे सुगम उपाय है कि आप तुरंत लिखना बन्द कर दें। आप जैसे ही लिखना बंद कर देंगे आपके ब्लाग की चोरी भी तुरंत बंद हो जायेगी।
२. पहले उपाय की पूरी सफलता के लिये जरूरी है कि आप अपना ब्लाग बन्द करने के पहले उसका पासवर्ड बदल दें और बदला हुआ पासवर्ड उसी तरह बिसरा दें जिस तरह चुनाव जीता हुआ आम नेता अपने इलाके की जनता और इलाके को भूल जाता है। अगर आपने पासवर्ड बदला नहीं तो आपके दोस्त जिनको आपने तकनीकी सहायता के लिये अपना पासवर्ड बताया है आपके नाम से खुटुर-पुटुर कर सकते हैं और आपमें दुबारा ब्लाग लिखने की इच्छा के कीटाणु भारत में चेचक, मलेरिया ,टी.बी., पोलियो की बीमारियों के कीटाणुऒं के तरह वापस सक्रिय हो सकते हैं।
३. दूसरा उपाय जगत प्रसिद्ध चिर सनातन आलस्य और शर्म के सिद्धान्त पर आधारित है। आपका सुनने में अटपटा लग रहा होगा कि आलस्य और शर्म का कैसा मिलन! क्योंकि आलसी तो बेशर्म होता है। लेकिन हम आपको बतायें यह सच है। जब गांगुली और चैपेल मिल सकते हैं, लोकतांत्रिक अमेरिका राजतांत्रिक अरब देशों से जुड़े रह सकते हैं तो आलस्य और शर्म ने कौन आपकी भैंस खोली है जो आप इनको मिलने नहीं देना चाहते। आप से भले तो वे जाट हैं जो ऊंची-नीची जातियों वाले प्रेमियों को भले ही काट के मार दें लेकिन उनको अलग नहीं करते। आप इस बात को अच्छी तरह समझने के लिये पहले दोनों सिद्धान्त अच्छी तरह समझ लें तब हो सकता है आप हमारी बात से हमसे ज्यादा सहमत हो सकें।
आलस्य का सिद्धान्त: इस सिद्धान्त को भारत में मलूकदास के सिद्दान्त (अजगर करे न चाकरी….)के रूप में सबसे पहले पहचाना गया। लेकिन बाद में हम गफलत में रहे और अंग्रेज लोगों ने इसे विद्युतधारा न्यूनतम प्रतिरोध के रास्ते में बहती है(करेंट फालोस द लीस्ट रेजिस्टेंट पाथ’) के वैज्ञानिक सिद्धान्त का जामा पहना दिया। इससे साबित होता है कि बिजली जो बहुत चपल मानी जाती है वह भी लम्बे रास्ते से जाने में डरती है। शार्टकट ही अपनाती है।
इसी सिद्धान्त का सहारा लेते हुये कोई भी चोर अपनी चुरायी चीज को बिना कुछ मशक्कत किये हिल्ले लगाना चाहता है। ऐसे ही जो आपके ब्लाग से कुछ चुरायेगा और अगर पूरा का पूरा जस का तस छापना चाहेगा तो वह उस पर कोई भी अतिरिक्त मेहनत करने से बचना चाहेगा।
शर्म का सिद्धान्त: यह एक जन सिद्धान्त है। जैसे बेईमान से अधिकारी भी अपने मातहतों से ईमानदारी की अपेक्षा करता है वैसे ही बड़े से बड़ा चोर भी अपनी चोरी पकड़े जाने से डरता है। भ्रष्ट से भ्रष्ट नेता ,नौकरशाह भी अपनी हराम की कमाई को अपनी मेहनत की कमाई ही बताते हैं और पकड़े जाने पर उनकी आय से अधिक जो भी सम्पत्ति उनके यहां पायी जाती है उसे वे अपने अपने पिता, अंकल, आंटी द्वारा गिफ़्ट में दिया बताते हैं। रंगे हाथो घूस लेते पकड़े जाने वाले भी कहते हैं कि उन्हें गलत फंसाया गया है। इस सिद्धान्त को अमली जामा पहनाया हमारे मोहल्ले के कल्लू ढाबे वाले ने। कल्लू पहलवान ने अपने होटल के सारे बरतनों पर गुदवा दिया था- यह बरतन मेरा नहीं है इसे मैं कल्लू ढाबे वाले के यहां से चुराकर लाया हूं। अब किस माई के लाल में हिम्मत होगी कि वे दस रुपये के गिलास के लिये अपनी लाखों की इज्जत का फालूदा निकवायें।
ब्लाग चोरी
आलस्य और शर्म का सिद्धान्तइसमें आप उपरोक्त दोनों सिद्धान्तों की मूल भावना का उपयोग करते हुये पोस्ट लिखें। जैसे मैं अपने ब्लाग के लिये जब पोस्ट लिखूंगा तो हर पैराग्राफ़ के शुरू में लिख दूंगा:


यह पोस्ट मेरी लिखी हुई नहीं है। इसे फुरसतिया ने लिखा है। फुरसतिया ब्लागजगत के नामी लेखक हैं और महाब्लागर की उपाधि से नवाजे जाते हैं जिससे वे उसी तरह बिदकते हैं जैसे गांगुली को देखकर कभी चैपेल बिदकते थे।
अब जब हर पैरा में यह लिखा होगा तो बड़े से बड़ा बेशर्म भी इसे अपनी साइट में जस का तस नहीं छापना चाहेगा। और उसका आलस्य का सिद्धान्त उसे हर पैरा से इस लिखे हुये को हटाने से रोकेगा। जिन साथियों को अपनी पोस्ट की सुरक्षा की ज्यादा ही चिंता है वे इसे पैरा के शुरु और आखिरी दोनो जगहों पर या फिर हर एक लाइन के बाद लिख सकते हैं।
४. उदासीनता का सिद्धान्त:यह सिद्धान्त गीता के निष्काम कर्म के सिद्धान्त की चोरी करके बना है। इसमें आप अपने ढेर सारे ब्लाग खोल लीजिये और उनके पोस्टिंग करना भूल जाइये जैसे कभी दुष्यन्त शकुन्तला को बिसरा गया था। आप उनमें पोस्टिंग ही नहीं करेंगे तो चोरी कौन करेगा, काहे की करेगा? हिंदी के तमाम ब्लागर्स इसी नीति का अनुसरण करते हुये अपने ब्लाग की चोरी बचाये हुये हैं। अब भला बताइये कौन माई का लाल चोर है जो जीतेन्द्र के याहू३६०, लाइवजरनल, रेडिफमेल और सिन्धीब्लाग से कुछ चुराकर कहीं कुछ पोस्ट कर दे। जगदीश व्योम जी की भी ब्लाग-बारात महीनों से चल रही है बिना लुटे। सिर्फ इसी उदासीनता के सिद्धान्त के चलते। इसमें ज्यादा पुख्तापन लाने के लिये आप अपना पासवर्ड उसी तरह भूल जाइये जिस तरह आजकल की राजनीति में प्रवेश करने के पहले लोग अपनी नैतिकता, देशनिष्ठा , ईमानदारी का विसर्जन करके तब शुरुआत करते हैं और हो सके तो समय की कमी का ‘ताजगी प्रदाता द्रव’ भी छिड़क लीजिये।
५. जैसा बोले वैसा लिखें: जैसे आम तौर पर अगड़म-बगड़म चेहरे-मोहरे वाला भारतीय नौजवान भी अपनी जीवन-संगिनी की कल्पना करते हुये महामहिम कलाम साहब की हमेशा ऊंचे सपने देखने वाली बात मानकर स्वप्न-सुंदरी से नीचे की कल्पना को खारिज कर देता है वैसे ही अपना नाम भी मुश्किल से लिख पाने में समर्थ ब्लाग- चोर भी ऐसे किसी भी ब्लाग से चोरी नहीं करना चाहेगा जिसमें वर्तनी की चूक होगी। तो आप भी ब्लाग-चोर की भावुक मानसिक कमजोरी का शोषण करें और अपने ब्लाग में ढेर सारी वर्तनी की कमियां कर दें।
अगर आप बेंगाणी बन्धुऒं की तरह बिंदास लिखते हैं या आशीष की नकल मारते हैं तो आपका आधा काम तो हो गया समझिये। जो कुछ कमी रह गयी उसे आप प्रयास करके दूर करिये। लिखने में वर्तनी की अधिक से गलतियां करने का प्रयास करिये। जो लोग अपनी गलतियां सुधारने के लिये कुछ साथियों की सहायता लेते थे वे अपने रोल आपस में बदल सकते हैं। अब वर्तनी सही लिखना सिखाने वाला साथी अपने चेले से गलत वर्तनी सीखने का गंडा बंधवा सकता है। लोगों को थोड़ा मेहनत करनी पड़ेगी वर्ना एक ई-स्वामी की पुरानी सुलेमानी टकसाली भाषा और कालीचरण के बिंदास भोपाली अंदाज से भी नकल मार सकते हैं।
अच्छा और सही लिखने वालों को यह सुझाव थोड़ा अटपटा लगेगा कि जानते-बूझते कैसे गलत लिखें लेकिन उनसे हमारा यही कहना है कि वे बेकार की भावुकता में न पड़ें। चोरी बचाने के लिये कुछ तो प्रयास करना पड़ेगा। उनके दिल को दिलासा देने के लिये मैं एक ठोस बोले तो सालिड बहाना बताता हूं,‘जब हम अपने चारों तरफ़ पूरी दुनिया को गलत करते देखते हैं और खुद भी कई बार अनुसरण करते हैं और उससे भी आत्मा नहीं कचोटती तो गलत लिखने से ही कौन सा आसमान टूट जायेगा। उसमें तो आत्मा भी ‘इन्वाल्व’ नहीं होती। भाषा और आत्मा में कोई कांटा तो भिड़ा नहीं होता। भाषा की आत्मा से कौनौ रिश्तेदारी थोड़ी है।’
वैसे इस सिद्धान्त का पालन करने में ज्यादा मुश्किल नहीं होनी चाहिये। आप बस जैसा बोलते हैं वैसा लिखने का प्रयास करें। आपके गलत वर्तनी लिखने का अपराधबोध इस गर्व बोध के पीछे छिप जायेगा कि आपके जीवन में दोहरापन नहीं है। आप जैसा कहते हैं वैसा करें भले न लेकिन जैसा बोलते हैं वैसा लिखने तक की प्रगति आप कर चुके हैं।
६.क्लिष्टता का सिद्धांत:यह सिद्धान्त उन लोगों के लिये ज्यादा मुफ़ीद है जो लिखने के साथ-साथ अपने ज्ञान का बोझा भी ढोते हैं। ऐसे ज्ञान-कुली टाइप के लोग अपनी ‘लेखन-सवारी’ के आगे-आगे अपने ज्ञान-पायलट दौड़ा देते हैं। ये ‘ज्ञान-पायलट’ दुनिया-जहान में अपनी ‘लेखन-सवारी’ के आने की सूचना देते हुये उनका डंका पीटते चलते हैं। जैसे किसी नेता की शान में गुस्ताखी हो जाने पर नेता से ज्यादा खून उसके शागिर्दों का खौलता है ऐसे ही लेखकों के लेखन के बारे में कुछ भी कहने पर उनके ‘ज्ञान-पायलट’ टीन-टप्पर की तरह तुरंत सुलग जाते हैं। ऐसे लोगों के लिये ब्लाग चोरी बचाना बड़ा सुगम उपाय है। वे जितनी क्लिष्ट भाषा लिखते हैं उसमें थोड़ी सी क्लिष्टता , बस दाल में नमक बराबर, और मिला दें तो बस उनका काम पक्का समझिये। फिर तो उनके ब्लाग पर चोरी करने वाला उसी तरह बिदकेगा जिस तरह से कानपुर में कोई भी विदेशी निवेशक पूंजी निवेश से घबराता है।
इस तरह की भाषा का नमूना मेरी जानकारी में फिलहाल अभी ब्लाग जगत में कोई नहीं है। ऐसी भाषा दुर्लभ है लेकिन इसकी पहचान यही है कई बार पढ़ने बावजूद आपको यह बिल्कुल न समझ में आये। ऐसी भाषा को ‘राजभाषा‘ नहीं ‘महाराज-भाषा’ कहा जाता। इसका एक उदाहरण मैं श्रीलाल शुक्ल जी के एक लेख से देता हूं:-

“जहां तक सम्पत्ति के किसी अन्तरण के निबन्धन निर्दिष्ट करते हैं कि उस सम्पत्ति से उदभूत आय (क) अन्तरक के जीवन से, या (ख) अन्तरण की तारीख से अठारह वर्ष की कालावधि से अधिक कालावधि तक पूर्णता: या भागत: संचित की जायेगी, वहां एतस्मिनपश्चात यथा- उपबन्धित के सिवाय ऐसा आदेश वहां तक शून्य होगा जहां तक कि वह कालावधि जिसके दौरान में संचय करना निर्दिष्ट है, पूर्वोक्त कालावधियों में से दीर्घतर कालावधि से अधिक हो और ऐसी अन्तिमवर्णित कालावधि का अन्त होने पर सम्पत्ति और उसकी आय इस प्रकार व्ययनित की जायेगी मानो वह कालावधि जिसके दौरान में संजय करना निदिष्ट किया गया है, बीत गयी है।”
यह भाषाई नमूना भारत सरकार के विधि मंत्रालय के एक प्रकाशन से लिया गया था। जाहिर है ऐसी भाषा पढ़ने के लिये नहीं पूजने के लिये लिखी जाती है। आप ऐसी भाषा का अभ्यास कर लीजिये फिर देखिये आपका ब्लाग की सामग्री न रहकर पूजा स्थल बन जायेगा। लोग मत्था टेककर आपके ब्लाग को प्रणाम करने लगेंगे। आपके ब्लाग को देखते ही चोर के अन्दर इतनी पवित्र भावनायें भर जायेंगी कि चोरी जैसी निक्रष्ट भावना उस तरफ़ मुंह भी नहीं कर पायेगी।
७.तारीफ़ में आत्मनिर्भरता का सिद्धान्त:तारीफ़ में आत्मनिर्भरता का सिद्धान्त मुख्यत: इस नियम पर आधारित है कि व्यक्ति को अपना सारा काम खुद करना चाहिये। यह पश्चिमी अवधारणा है अत: इसी घालमेल में निजता का सिद्धान्त भी मिल गया। इसके तहत आप अपनी पोस्टों में अपनी खूब तारीफ़ लिखिये। खूबसूरत न हों तो अपनी ढेर सारे फोटुयें भी लगाइये यह मानकर कि खूबसूरती देखने वाले की आंखों मे बसती है। जब आप अपनी तारीफ़ करेंगे और उसमें आत्मनिर्भरता की स्थिति को प्राप्त हो जायेंगे तो निजता का सिद्धान्त अपने आप लगने लगता है। फिर लोग आपको इतना भी तंग नहीं करना चाहें कि आपके ब्लाग की तरफ़ मुंह उठाकर भी सांस लें। अगर कोई आपके ब्लाग की चोरी करेगा तो उसकी साइट का भी यही हाल होगा यह मानते हुये लोग अपनी आपकी साइट से चोरी करने के विचार से हाथ खींच लेंगे जैसे भारत सरकार देश के सर्व शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे कार्यक्रमों से अपने हाथ खींचती जा रही है।
८. ईमेल का सिद्धान्त:आप अगर सच में कुछ अच्छा लिखने की कबिलियत रखते हैं और ऊपर बताये सभी उपायों से कोई भी आपको जंचता नहीं है तो आप इस तरीके को अमल में ला सकते हैं। आप अपना कोई सबसे अच्छा लेख/कविता अपने ब्लाग पर पोस्ट कर दें और यह सूचना चिपका दें
मैं ऐसा लिखता हूं जिसको इस तरह का पढ़ना हो वो मुझे मेल करे हम मेल से लेख/कविता भेजूंगा। फिर आपके पास जो मेल आयें उनको अपनी रचनायें भेजें। जब तक आपके पास पाठकों के मेल नहीं आते तब तक आप स्वयं ही सौ-पचास ई-मेल बनाकर खुद को भेजें और इसका प्रचार अपनी साइट पर करें। प्रचार की सामग्री लोग नहीं चुराते। फिर आपके सदस्य बढ़ते जायेंगे। यह तरीका कारगर तरीका है और इस तरीक से आप एक बड़े समूह का संचालन भी कर सकते हैं। समूह के संचालन की प्रक्रिया समझने के लिये आप याहू कविता ग्रुप की गतिविधियां देख सकते हैं। अनूप भार्गव जी बड़ी सफलता से इसे चला रहे हैं।
९. ब्लागनाद और यू-ट्यूब का सिद्धान्त: आप अपना चिट्ठा बोलकर पोस्ट करें। यू-ट्यूब में रिकार्ड करके पोस्ट करें। किसी माई के लाल की हिम्मत नहीं कि आपकी रचना चुराकर पोस्ट करे। लोग अपना लिखा हुआ पोस्ट कर नहींपाते आपका बोला हुआ कौन पोस्ट करेगा। इस तरकीब में सम्भावित सफलता की प्रतिशत आपकी आवाज की खराबी के समानुपाती होता है। जितनी रद्दी आपकी आवाज होगी ,आपका ब्लाग चोरी की सम्भावना से उतना ही बचा रहेगा।
१०.इधर-उधर, यहां -वहां का सिद्धान्त: आप प्रयास करें कि आप अपनी सरल से सरल बात किसी के भी यहां तक कि आपके भी समझ में न आये। इसके लिये तमाम उपाय हैं। आप एक बात को तीन-चार बार पांच-छह तरीके से लिखें। हिंदी के बीच में गलत अंग्रेजी लिखें। गलत अंग्रेजी में सलत फांसिसी के उद्धरण लिखें जिसमें रूसी परिस्थितियों के हवाले से जर्मनी की घटनाऒं का इटली के मौसम के मद्देनर कनाडाई अंदाज में विश्लेषण हो। लोग अमेरिकन अंदाज में आपके ब्लाग को ‘ओह क्या कूड़ा है’(व्हाट अ रबिश) कहकर आगे बढ़ लेंगे। चोरी जैसी बात सोचने के बजाय आपके ब्लाग से दूर अति दूर जाने में उनको जन्नत के सुख की प्राप्ति महसूस होगी।
ये कुछ सुगम उपाय हैं जिनमें से आप अपने लिये कोई एक उपाय छांटकर अमल में ला सकते हैं। इन उपायों की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि आपने कितनी ईमानदारी से इन उपायों पर अमल किया।
अगर आपने इनमें से किसी भी उपाय को अमल में लाने का तय किया है तो आपसे अनुरोध है कि अपने अनुभवों से हमें जरूर लाभान्वित करें ताकि हम उनको दूसरों को भी बता सकें।
अगर आपको इन सभी उपायों को अपनाने के बावजूद भी ब्लाग-चोरी से निजात नहीं मिली तो आप हमें लिखें आपके लिये सम्भव है हम कुछ और बेहतर उपाय बता सकें।

31 responses to “ब्लाग पोस्ट की चोरी बचाने के कुछ सुगम उपाय”

  1. प्राइमरी के मास्साब
    हम जैसे नौसिखिओं के काम आने लायक पोस्ट !
    वैसे कुछ कुछ हम ……इसी ट्यूटोरियल का सहारा ले रहे थे ……..आपने रिठेल करके …..प्रतिद्वंदी लाने का कार्य कर दिया |
    प्राइमरी के मास्साब की हालिया प्रविष्टी..अच्छे और बुरे शिक्षक
  2. Arvind Mishra
    बहुत व्यावहारिक सुझाव -मगर चोरियां तब भी नहीं रुकी हैं -दरअसल हर ब्लागर के मन में यह भावना छुपी रहती है और कई बिचारों में तो दम तोड़ने के कगार पर आ गयी लगती है कि हाय रे मेरी कोई पोस्ट क्यों चोरी न हुयी..फुरसतिया की होती है ,खुशदीप की होती है ..आखिर मेरे लेखन में ऐसा भी क्या खोट कि कोई चोरी नहीं करने आता …हाय दिल चुराने तो फिर भी नामाकूल आ जाते हैं …मगर ये मेरा लेखन मेरे दिल से भी गया गुजरा हो गया ….
    तो ऐसी अवसाद की घड़ी में वे खुद प्रयास करके अपनी सामग्री चुरवा देते हैं -आ आ यार चुरा ले न …! और फिर शान से लिखते हैं देखो देखो किसी ने मेरा भी चुरा लिया ..दिल तो पहले ही चुरा लिया गया था ……
    Arvind Mishra की हालिया प्रविष्टी..चार सौ वर्ष पुराने कच्छप महराज घर से बेघर
  3. भारतीय नागरिक
    :) हम तो चाहते हैं कि हमारे ब्लाग से भी चोरी हो और आप हो कि चोरी बन्द कराने के नुस्खे सुझा रहे हो…
    भारतीय नागरिक की हालिया प्रविष्टी..अन्ना हजारे के अनशन के तारतम्य में
  4. सतीश सक्सेना
    काश मेरी भी एक पोस्ट कोई चोरी कर ले जाए …लगता है कबाडियों के यहाँ, चोर भी नहीं आते :-(
    सतीश सक्सेना की हालिया प्रविष्टी..तुम पथ भटक यहाँ क्यों आयीं -सतीश सक्सेना
  5. Khushdeep Sehgal, Noida
    फिर तो पोस्ट चोरी होने पर हलकान होने की जगह ठुमकते हुए गाना चाहिए…
    चुरा के पोस्ट मेरी…अखबरिया चली…
    जय हिंद…
  6. विवेक रस्तोगी
    मसाला भी तो होना चाहिये ना ब्लॉग पर चुराने के लिये :)
    विवेक रस्तोगी की हालिया प्रविष्टी..देखते हैं कि अन्ना और जनता के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का कितना असर हुआ है Now I have to check the Effect of Anna and public Movement against Corruption
  7. प्रवीण पाण्डेय
    आपके सारे सिद्धान्त अच्छे लगे। क्यों न चोरी को अच्छा कार्य मानकर उसे मान्यता दे दी जाये।
  8. देवेन्द्र पाण्डेय
    कमाल है ! ये सब विचार तो मेरे हैं ! कहीं छपवाया नहीं, पोस्ट नहीं किया, अरे अभी लिखा भी नहीं फिर भी आपने छाप दिया ! अब मैं क्या करूँ…?
  9. dr.anurag
    चिरकूटो का दखल हर जगह है
    dr.anurag की हालिया प्रविष्टी..कभी चलना आसमानों पे मांजे की चरखी ले के
  10. सृजन शिल्पी
    पुराने दिन याद करके मजा आ गया। ई-स्वामी की ऑरिजनल स्टाइल भी अब दिखी। क्या कमाल है !
    सृजन शिल्पी की हालिया प्रविष्टी..जनांदोलन – मीडिया के लिए टीआरपी है या सच्चा सरोकार
  11. कुश भाई "जो चोर नहीं है "
    इस पोस्ट को चोरी कर ले जा रहा हूँ.. फिर सबको मेल से भेजूंगा या बोलके यू ट्यूब पे अपलोड करूँगा
    कुश भाई “जो चोर नहीं है ” की हालिया प्रविष्टी..सुगर क्यूब पिक्चर्स प्रजेंट्स सिक्का
  12. किंकर्तव्य-मूढ़
    का टिप्पणी करें…. पहले ई बताओ कि क ऊन पेड़ पर लटक के ई पोस्टिया लिख्यौ है, वोहिका विवरण दिया जाये, तकि हमहूँ शरणागत होय ले ई, फोटुआ अच्छी आयी है.. लेखऊनो ज़ब्बर है । पेड़वा केर नाम पठाओ तौ हमहूँ एकु जब्बर ठेली !
  13. eswami
    हम में से कई तो यहाँ लेखन करने नहीं मस्ती करने आये थे, सब उम्र और वक्त की बात है. मुझे जब जब गंभीरता से लिया जाने लगता मैं अजीबोगरीब लेखन करने लगता लेकिन कभी भी पाठक छले नहीं जाते, वो परख लेते हैं और मांग भी कर लेते हैं की अब मूड बदलो.
    इसी के चलते जब किसी गम्भीर मुद्दे को दरकिनार किया गया तो अच्छा-बुरा सब तरह का लेखन कर के उस मुद्दे पर ध्यान लाने का प्रयास किया – सफलता भी मिली.
    मुझे दूसरो को को ज्यादा मिली टिप्पणियाँ या उन के चुराए जाते चिट्ठो या छपती किताबों को देख कर अलग आनंद मिलता है – यही आशा भी थी, लेकिन जितनी उम्मीद थी उतना सफल नहीं हुए उतने संगठित नहीं रहे.
    एक विधा की स्थापना का दौर देखना अलग अनुभव था. हम में से कई बाल-बच्चेदार होने से पहले अंतरजाल पर हिंदी के शुरूआती दौर के साक्षी रहे हैं. लेकिन अब अपनी अपनी वजहों से कही और सक्रीय हो गए हैं.
    कोई अगर अभी चुराए जा भी रहे हो तो खुश हो लो क्योंकि मुझे नहीं लगता की ये विधा अब ज्यादा दिन देखेगी. ये लिखते समय अजीब सी निर्लिप्तता लग रही है. लगता है कुछ नया आएगा कुछ अलग आएगा जो अगर हमें ना सही, किसी और को ही, इससे ज्यादा रोमांच देगा – वो क्या है नहीं पता. :)
    eswami की हालिया प्रविष्टी..ए फ़ॉर अखाडा- बी फ़ॉर बखेडा सी फ़ॉर क्रिकेट!
  14. Ghanshyam Maurya
    बढ़िया लेख सर जी. लेकिन इसे पढ़ कर चोरी करने वाले भी सतर्क हो जायेंगे और कोई लूप होल या नए तरीके ढूँढने की कोशिश करेंगे.
  15. Gyan Dutt Pandey
    आजकल ब्लॉगजगत ज्यादा देख नहीं पा रहा। हो क्या रहा है? ब्लॉगजगत में चोरी बढ़ गई है, ब्लॉगजगत की चोरी बढ़ गई है या केवल आप की कुछ पोस्टें चुरा ली गई हैं?!
    Gyan Dutt Pandey की हालिया प्रविष्टी..पण्डित रामलोचन ब्रह्मचारी और हनुमत निकेतन
  16. ashish
    लेकिन “चोर चोरी से जाए हेरा फेरी से ना जाए ” इ बात का तोड़ कहा है? दुसर बात भावना (लेख वाली ) की चोरी पर जरा टार्च मारिये
  17. sanjay jha
    ४ साल पहले प्रासंगिक था……आज भी है………८ साल बाद भी रहेगा……….ये मेरा दृढ विश्वास है………………
    इ-स्वामीजी की टिपण्णी………टांक कर रखनेवाला है………हम रख भी लेते…….लेकिन हम करते क्या……….
    हमरी कौन सी……कुछौ चोरी होनेवाला है…….हम तो खुदै इस जगत(ब्लॉग) के चोर हैं ……..देखा जाय तो…..
    कायदे से टिप्पिनी भी ९०% उधार से करते हैं………..खुदा न खास्ता……कभी भाई लोग……हिसाब-किताब…..
    करने बैठ गए……….तो बोरिया बिस्तर समेत ९-२-११ होना परिगा……………….
    देखा जाय तो सब-कुछ आपसी समझ……….ताल-मेल पे निर्भर है……….बर्ना, कब किसका सेफ्टी-वाल्व ढीला………..पर जाय, कहा नहीं जा सकता……………….बमचक पोस्ट है, खूब सैर किये……छक लिए…….
    प्रणाम.
  18. shikha varshney
    पहला उपाय न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी..हमें तो ये सबसे ज्यादा जंचा…:)
    shikha varshney की हालिया प्रविष्टी..दिल बोले अन्ना मेरा गाँधी
  19. चंद्र मौलेश्वर
    `ये तरीके हालांकि हमने खोजे हैं लेकिन इनको अगर आप अपना बनाकर भी अपनाते/प्रचार करते हैं तो हमें कोई एतराज नहीं होगा। ‘
    अगर चोरी का इल्ज़ाम नहीं लगेगा तो अपनाते/प्रचारते हैं :) हम भी डॊ.अरविंद मिश्र जी की तरह उदास हैं कि ‘.आखिर मेरे लेखन में ऐसा भी क्या खोट कि कोई चोरी नहीं करने आता ’। काश! ऐसा होता और कोई खुशदीप खुश होकर अपने ब्लाग पर भी समाचार लगा ही देता :) :)
    चंद्र मौलेश्वर की हालिया प्रविष्टी..मजाज़ – Majaaz
  20. वन्दना अवस्थी दुबे
    हमें भी पहला उपाय ही जंच रहा है….वैसे हमारे ब्लॉग पर चोरी करने अयेगा कौन? चुराने लायक कुछ होगा, तब न चुरायेगा? :(
    वन्दना अवस्थी दुबे की हालिया प्रविष्टी..डॉ कमलाप्रसाद- ऐसे कैसे चले गये आप
  21. Ashish
    अभी कुछ दिन पहले ही पढ़ी थी पुरानी पोस्ट .
    बढ़िया है , और हम तो पहले सिद्दांत का ही पालन कर रहे है ,न रहेगा ब्लॉग न होगी चोरी |
    सातवे सिद्दांत में वर्णित स्थिति को प्राप्त है और आठवी की तरफ अग्रसर | :)
    पर तब का करेंगे जब चोर चोरी से जाये पर हेराफेरी से न जाये |
    अब रेठेल की महिमा पर कुछ अमृत वचन हो जाये तो और मौज आ जाये .
    आशीष
  22. Shahnawaz Siddiqui
    :-) बेहतरीन टिप्स हैं… न होगा बांस ना बजेगी बांसुरी…. :-)
  23. Smart Indian - स्मार्ट इंडियन
    जा आलेख पढ कै तो मजो आय गओ। लेकिन भैया, बिल्कुल ऐसो ही लेख हमने तीन साल पहले चौरकर्म डॉट कॉम पै पढो हो, जौ कैसे भओ?
    Smart Indian – स्मार्ट इंडियन की हालिया प्रविष्टी..रथवान – एक प्रेरक गीत
  24. सुशील बाकलीवाल
    इस गुटका संस्करण को देखकर लगता है कि मूल लेख तो पूरे उपन्यास में समा जाने लायक ही रहा होगा ।
  25. Prashant Priyadarshi (जो जानता है कि कुश चोर नहीं है)
    ये तो वही बात हो गई की आप पूरा कोड सामने रख दें और हैकर उसकी काट ढूंढ कर ले आये..
    आप जब सारे उपाय लिख देंगे तो चुराने वाले को भी सहूलियत मिलेगी.. हम तो कहते हैं कि चार साल पहले जो आपने लिखा था बस वहीं से चोरी की नींव पड़ी रही होगी.. :)
    Prashant Priyadarshi (जो जानता है कि कुश चोर नहीं है) की हालिया प्रविष्टी..नम्मा चेन्नई!!!!
  26. राजेंद्र अवस्थी
    बहुत बढ़िया, चोरी बचाने के सुगम उपाय तो पता चल गए, किन्तु यदि , चोर पकड़ने के नुस्खे भी बता देते तो और अच्छा होता….
  27. pawan k mishra
    अब महाब्लागर वह है जिसकी पोस्ट सबसे ज्यादा चोरी होती है
    पोस्ट चोरी होना गर्व की बात है
    वैसे भी हम बड़ी शान से बताने का प्रयास करते है की अम यार मेरी पोस्टे तो चोरी हो रही है
  28. amrendra nath tripathi
    बढ़िया मनसायन !!
    amrendra nath tripathi की हालिया प्रविष्टी..रामनवमी पै हार्दिक बधाईयक सोहर कंठ – शकुंतला श्रीवास्तव
  29. सतीश चन्द्र सत्यार्थी
    पेट में दरद हो गया जी हँसते हँसते…. इतना मत ठेला कीजिये एक बार में…
    परनाम..
    सतीश चन्द्र सत्यार्थी की हालिया प्रविष्टी..दुनिया की सबसे बेहतरीन और तेज इंटरनेट सेवा
  30. Manish
    :) :) :)
    सुझाव था कि अपनी बगिया पे हँसिया ले के टूट पड़ना. वैसे जो भी था. गजब का था. ;)
    Manish की हालिया प्रविष्टी..प्रेम : “आओ जी”
  31. फ़ुरसतिया-पुराने लेख
    [...] [...]

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