Monday, September 26, 2011

मियां मोहब्बत तुम्हारे बस की नहीं

मियां मोहब्बत तुम्हारे बस की नहीं तोबा कर लो,
तुम्हारे तो होश-ओ-हवास हमेशा दुरुस्त रहते हैं।

बहुत लम्बी लाइन लगी थी उनके चाहने वालों की,
रूपा फ़्रंटलाइन की बनियाइन पहन के आगे हो गया।

वो मोहब्बत में फ़ेल होने के जुगाड़ में है,
उसकी तमन्ना है बहुत बड़ा शायर बनना।

तुमसे बात करने से क्या फ़ायदा जी,
तुममें कोई कमी तो दिखती ही नहीं !

कल को कहीं झगड़ने का मन हुआ तो,
किस बात पे कोसेंगे तुम्हें बताओ भला।

वो बोला मैं तेरा फ़ैन हूं बहुत दिन से
आज मेरी चाय का पैसा तू ही दे दे।

देखा नहीं औ उस पर मरना भी शुरू कर दिया,
न जाने कैसे-कैसे जल्दबाज लोग हैं दुनिया में।

न जाने क्या खता हुयी मुझसे मुलाकात में,
वो बोले आपसे मिलकर बहुत अच्छा लगा।

वो क्यों मुझपे इतना भरोसा करता है,
मैंने तो उसे हमेशा अंधेरे में ही रखा है!

बेवकूफ़ियां नहीं दिखती खत में तो लगता है
तू मुझसे खफ़ा है खत मन से लिखा नहीं।

खत में शेर लिखना बंद करो बहुत हुआ,
मेरी सहेलियां तुमको शायर समझने लगीं।

संदेशे में भेजे शेर पढ़कर जी धड़कने लगता है,
वो शायर कौन है उससे मुलाकात कराओ न प्लीज।

तुम मेरी खूबियां बयान करते हो तो डर लगता है
लगता है कि किसी और का खत मुझे भेज दिया।

दो दिन बाद शहर लौटे शायर से चिपट कर शेर बोले,
आपके पीछे बहुत परेशान किया आपके मुरीदों ने।

No comments:

Post a Comment