Monday, August 06, 2012

शर्तें लगाई नहीं जाती दोस्तों के साथ

http://web.archive.org/web/20140420082710/http://hindini.com/fursatiya/archives/3195

शर्तें लगाई नहीं जाती दोस्तों के साथ

मित्रता
कल सुबह-सुबह उठे तो पाया कि मोबाइल में दो-तीन मित्रता दिवस के संदेशे फ़ड़फ़ड़ा रहे थे।

देख-दाख के दोस्तों को सेम टु यू किया। एक का संदेशा दूसरे को अपने नाम से भेज दिया।

इस के बाद कई दोस्तों को फ़ोनियाया! हाल-चाल लिये-दिये। किसी को मित्रता-दिवस मुबारक बोला। किसी को नहीं। कुल जमा दस-बारह दोस्तो से दोस्ती इधर-उधर कर ली।

शाम को कुछ समझ में नहीं आया तो पत्नी-बच्चों से भी दोस्ती निपटा ली। उधर से भी पलटवार हो गये। लगा जैसे सब लोग भरे बैठे हैं। जहां आपने दोस्ती का नहला फ़ेंका उधर से दहला आ गया!

फ़ेसबुक पर तमाम दोस्ती के किस्से देखे। पूरे फ़ेसबुक पर दोस्ती छितराई हुई थी। कई ने बड़ी ऊंची-उंची बातें लिखीं थीं। वे उस समय बहुत धांसू लगीं लेकिन इस समय कोई याद नहीं आ रहीं। हमने सबको लाइक करके छोड़ दिया। जिनको कल लाइक नहीं किया उनको आज कर लें-समय बिताने के लिये करना है कुछ काम।
वैसे याद आने को यह भी याद नहीं आ रहा कि दोस्तों ने ’हैप्पी फ़्रेंड शिप’ डे के पहले अपन को क्या लिखा था।

अपन ने उनको क्या लिखा यह तो और याद नहीं आ रहा। याद करके कोई फ़ार्मेलिटी थोड़ी करनी है।

ये दोस्ती भी बड़ी विकट चीज है। हमारे कई बेहद अजीज दोस्त जिनके साथ ऐसा समय बीता कि हमेशा साथ रहते थे अब भी दोस्त हैं। वे अब भी बहुत प्रिय हैं। आपस में अंतरंग और पारिवारिक संबंध हैं। फ़ेसबुक पर भी साथ हैं। लेकिन उनसे बात करने की इच्छा नहीं होती। आनलाइन तो बिल्कुल्लै नहीं। जब मन हुड़कता है फ़ोनिया लेते हैं। फ़ोन और नेट ने यह तसल्ली दी है कि जब भी मन होगा बतिया लेंगे।

मित्रता
ये मित्र शुभकामना संदेशों से परे के मित्र हैं। जन्मदिन, उपलब्धि पर बधाई का अदान-प्रदान हुआ तो अच्छा न हुआ तो और अच्छा। कभी भी रेगुलराइज कर लेंगे। ससुरा कोई इनकम टैक्स का रिटर्न थोड़ी है जो तारीख निकल गयी तो पेनाल्टी पड़ेगी। यह भरोसा है कि कुछ भी हो जाये यहां दोस्ती का खोमचा महफ़ूज है! ये दोस्ती हम नहीं छोड़ेंगे का गाना भले न गाया जाये लेकिन ऐसा लगता है कि सबंध बिजली के स्विच की तरह हैं जब जुड़ेंगे करेंट बहने लगेगी। यहां ग्रिड कभी फ़ेल नहीं होता।

हमको याद है कि एक बार हमारे एक दोस्त ने हमको चिट्ठी चिट्ठी लिखी कि हम तुमको बहुत याद करते हैं। हमने पलट के लिखा- त का कोई एहसान करते हो। हमारा साझा समय ऐसा बीता कि याद आती होगी उसकी। कोई प्लान बना के थोड़ी याद करते होगे ये बात पचीस साल से भी ज्यादा पुरानी है। शायद दोस्त को याद भी न हो। हम संगीत का ककहरा तक नहीं जानते। मेरा वह मित्र पक्का शास्त्रीय गायक है। जब भी कानपुर में कोई कार्य्रक्रम होता है वह हमको फोन करता है। हम सुनने जाते हैं उसका गायन भले ही कुछ पल्ले न पड़े। ये दोस्ती ससुरी जो न कराये।

कुछ लोग दोस्तों के बारे में उपभोक्तावाद घराने के विचार रखते हैं। मानते हैं कि दोस्त वो जो समय पर काम आये। तुलसीदास जी भी लिखे हैं :

धीरज, धरम, मित्र अरु नारी,
आपत काल परखिये चारी।
मतलब दोस्ती की कापियां तब जंचती हैं जब आप पर विपत्ति आई हो। ये स्वार्थी नजरिया है। पता नहीं मित्र कौन मुसीबत में फ़ंसा हो कि उसे हवा ही न लगे कि आप विपत्ति मोड में चल रहे हो। क्या पता उसको मौका ही न मिले कि वो आपके काम आ सके। या हो सकता है कि आपकी विपत्ति में सहयोग करना उसकी औकात के बाहर की बात हो। इस मामले में वसीम बरेलवी साहब बड़े समझदार हैं। वे लिखते हैं:
शर्तें लगाई नहीं जाती दोस्तों के साथ,
कीजै मुझे कुबुल मेरी हर कमी के साथ।
लब्बो और लुआब दोनों यह कि भाई जैसे हैं वैसे निभाओ। सुधरने के लिये जान न खाओ।
इसी मसले पर तमंचा तिहाड़वी लिखते हैं:
  1. जिंदगी कटेगी चैन से, कोई मुरीद ना रखें
    हां, अपने आंसुओं का कोई चश्मदीद ना रखें!
  2. और दोस्ती जो चाहें, चले ताउम्र तो
    दोस्तों से कोई भी उम्मीद ना रखें।
बहुत हो गया दोस्ती पुराण! अब चला जाये दफ़्तर से दोस्ती निभाई जाये। ससुरा बहुत कमीना दोस्त है। 24 साल से दोस्ती निभाये चला जा रहा है। :)

21 responses to “शर्तें लगाई नहीं जाती दोस्तों के साथ”

  1. Padm Singh पद्म सिंह
    बहुत अच्छा …
    एक श्लोक और लिख देने का मन है
    एक नसीहत दे रहा हूँ दोस्ती मे मानना
    हाथ कंधे पर ही रखना जेब मे मत डालना
    Padm Singh पद्म सिंह की हालिया प्रविष्टी..गज़ल
  2. ajit gupta
    वह दोस्‍ती ही क्‍या जिसका ग्रिड फैल हो जाए। ग्रिड का उपयोग खूब किया है। बहुत अच्‍छी लगी पोस्‍ट। चलिए मित्रता दिवस पर आप फेसबुक पर प्रकट हुए और आपका यह लिंक हमें मिल गया। नहीं तो हम इतने अच्‍छे व्‍यंग्‍य और धारदार लेखनी से वंचित ही थे। आभार आपका। ऐसे ही दो-चार अच्‍छे लिंकों से परिचय करा दीजिए जिससे सुबह जब नेट खोले तो मन तरोताजा हो जाए।
    ajit gupta की हालिया प्रविष्टी..खबर बहादुर
  3. देवांशु निगम
    हैप्पी फ्रेंडशिप डे !!!!
    दोस्त लोग सब होते ही शानदार हैं!!!!
    हमारे कई दोस्तों का कहना है कि “कसम से यार अगर तुम दोस्त न होते तो तुम्हारा गिटार बजाना न झेल पाते हम लोग” :) :) :)
  4. सतीश चंद्र सत्यार्थी
    आज हम भी दोस्ती-पुराण पर ही कुछ लिखने के मूड में थे.. पर आपने सब (और ज्यादा ही) लिख दिए :)
    जो बचपन वाली दोस्ती है उसमें फ्रेंडशिप दे, सौरी, थेंक्यू कहाँ होता है…. तमंचा तिहाड़वी का लास्ट वाला शेर उनके नाम जैसा ही ज़ोरदार है..
    सतीश चंद्र सत्यार्थी की हालिया प्रविष्टी..अन्ना आंदोलन के मायने
  5. संतोष त्रिवेदी
    दोस्ती के बारे में बड़ा साफ फंडा बताया है.हम आपसे तो वैसे बात करते रहते हैं पर दोस्ती के दिन बात नहीं हुई.
    …कल का दिन ज़रूर हमारे लिए ख़ास बन गया,जब एक दोस्त को मजबूरी में दुश्मन बनाना पड़ा क्योंकि उसने सामान्य शिष्टाचार भी त्याग दिया था,अपने अहं की खातिर !
    …यह बिलकुल दुरुस्त बात है कि कोई भी दोस्त हमें हमारी कमी के साथ स्वीकारे,पर यदि ईमान में खोट हो तो फिर कैसी दोस्ती ?
    संतोष त्रिवेदी की हालिया प्रविष्टी..संयुक्त-राष्ट्र चले जाओ जी !
  6. रवि
    और दोस्ती जो चाहें, चले ताउम्र तो
    दोस्तों से कोई भी उम्मीद ना रखें।
    इसीलिए तो हमारी दोस्ती चल रही है चकाचक और आगे भी अनंत काल तक चलेगी चकाचक :)
    रवि की हालिया प्रविष्टी..ईमानदारों की सरकार
  7. aradhana
    मेरे बहुत करीबी दोस्तों को ना ‘मित्रता दिवस’ याद रहता है और ना उन्हें इसमें कोई दिलचस्पी है. कल ही एक घनिष्ठ मित्र ने फोन किया. दस मिनट बतियाए, पर फ्रैंडशिप डे ‘विश’ नहीं किया :) ‘उपयोगितावादी’ मित्रता (जिसे आपने उपभोक्तावादी कहा है) के भी मैं सख्त खिलाफ हूँ. मैं नहीं मानती कि ‘दोस्त वही जो किसी काम आये.’ दोस्ती में हिसाब-किताब नहीं होता और दोस्ती को परखने की कोशिश करना, उसका अपमान करना है.
    aradhana की हालिया प्रविष्टी..स्मृति-कलश
  8. neeraj tripathi
    शर्तें लगाई नहीं जाती दोस्तों के साथ,
    कीजै मुझे कुबुल मेरी हर कमी के साथ।
    बहुत सही :)
  9. sanjay jha
    हैप्पी ‘फ्रेंडशिप’ डे चाहे जैसा भी हो लेकिन, आपने ये पोस्ट देकर उसे मजेदार बना दिया……………
    कोलेज के ज़माने में एक शेर’ दोस्ती के नाम पे तकिया-कलाम के तरह कुछ ऐसे चिपका रहा….
    “यारों को पालना तवायफों का काम है…….
    मर्द के लिए एक-आध दोस्त ही काफी होते हैं…”
    @ और दोस्ती जो चाहें, चले ताउम्र तो
    दोस्तों से कोई भी उम्मीद ना रखें।……………जे सच्ची बात है……………
    प्रणाम.
  10. Kajal Kumar
    प्रवास के दौरान हाल ही में मैंने पाया कि जि‍स होटल में मैं ठहरा हुआ था वहां सप्‍ताह में चार दि‍न, सोमवार से वृहस्‍पति‍वार, शाम को होटल ‘सोशल गैदरिंग’ करता था. इसके अंतर्गत, होटल में ठहरे हुए लोग मुफ्त ड्रिंक्‍स-स्‍नैक्‍स के लि‍ए आमंत्रि‍त रहते थे. इसका मतलब जो मुझे समझ आया वह ये था कि अकेले लोगों को दूसरों का साथ मि‍ल सके, दीगर बात यह है कि मैंने वहां भी लोगों को अकेले ही खाते-पीते पाया.
    पश्‍चि‍मी समाज की यह स्‍थि‍ति त्रासद है कि लोग अजनबी को देख कर मुस्‍कुराते तो हैं पर बात करने की अपेक्षा कि‍सी को नहीं होती. संभवत: यही कारण है कि उन्‍हें फ़ेंडशिप डे और सोशल गैदरिंग की दरकार रहती है.
  11. राहुल सिंह
    बड़ी स्‍पेशल है यह ऑफिस वाली दोस्‍ती.
    राहुल सिंह की हालिया प्रविष्टी..शुक-लोचन
  12. Gyandutt Pandey
    हमें तो पता ही न चला और फ्रेण्डशिप दिवस गुजर गया। सौ पचास लाइक ही बटोर लेते वर्ना!
  13. Alpana
    हम सुनने जाते हैं उसका गायन भले ही कुछ पल्ले न पड़े। ये दोस्ती ससुरी जो न कराये।……..
    :)))))))..हा हा हा! आप की हालत कैसी रही होती होगी ,उस समय के दौरान सोच कर ही हँसी छूट गयी!
    कुछेक पंक्तियाँ तो अवश्य ही तुरंत लिखी जाती होंगी!
    रोचक लेख!
    और दोस्ती जो चाहें, चले ताउम्र तो
    दोस्तों से कोई भी उम्मीद ना रखें।
    वाह! असंभव की उम्मीद .बहुत खूब शेर है यह!
    चाणक्य जी ने इससे बिलकुल अलग बात की थी कि कोई दोस्ती बिना स्वार्थ के नहीं होती.
    Alpana की हालिया प्रविष्टी..वो पहली मुलाकात!
  14. ghughutibasuti
    तो पच्चीस साल पहले भी कोई कहता कि..
    हम तुम्हें याद करते हैं
    तो आप कहते कि
    तो क्या कोई एहसान करते हैं!
    वाह!
    घुघूती बासूती
    ghughutibasuti की हालिया प्रविष्टी..सत्तावनवाँ अध्याय खत्म……………………. घुघूती बासूती
  15. विवेक रस्तोगी "पुरातनकालीन ब्लॉगर"
    हम तो दोस्त भी बदल लेते हैं, जब लगता है कि दोस्त कमीनेपन पर उतर आया है तो ये दफ़्तर नाम का दोस्त बदलना ही उचित इलाज है ।
    विवेक रस्तोगी “पुरातनकालीन ब्लॉगर” की हालिया प्रविष्टी..जिस्म २ देह का प्रेम प्रदर्शन… (Jism 2..)
  16. धीरेन्द्र पाण्डेय
    मित्रता से ज्यादा दुश्मनी स्थाई होती है उत्साहवर्धक होती है प्रोडक्टिव होती है दुश्मनी में बड़े बड़े काम हो जाते है चाणक्य एक उदाहरण है | रूस अमरीका के दुश्मनी से न जाने कितने आविष्कार हो गए मनुष्य चाँद पर चला गया | अत: दुश्मनी भी जिंदाबाद |
  17. देवेन्द्र पाण्डेय
    सबसे अच्छी दोस्ती कृष्ण और सुदामा की लगती है। यहीं से सीखा..
    दोस्त से कभी मदद नहीं मागनी चाहिए। दोस्त है तो स्वयम् जान ही जायेगा कि मैं कष्ट में हूँ और मदद करने लायक होगा तो मदद करेगा ही। यदि कहीं वह मदद करने में असमर्थ हुआ और मैने मदद मांग ली तो सोचो, उसे मदद न कर पाने का कितना दुःख होगा! मैं उसे मदद न कर पाने का दुःख नहीं दे सकता। आखिर वो मेरा दोस्त है!
    ..गौर करने वाली बात यह है कि यह बात सुदामा ने कृष्ण के संबंध में कही थी जो तीनो लोकों के स्वामी थे।:)
  18. dr anurag
    तमंचा का फोन नंबर दीजिये जरा ,धांसू आदमी मालूम  होते है i
    तमाचा का फोन नंबर दीजिये जरा ,धांसू आदमी मालूम होते है .
    dr anurag की हालिया प्रविष्टी..के आती है जिंदगी आते आते आते ……
  19. संजय अनेजा
    वसीम बरेलवी साहब, तमंचा तिहाड़वी, पद्म सिंह, संजय झा के शेर-ओ-श्लोक अगले दोस्ती दिवस पर इस्तेमाल करेंगे, दिवस याद रहा तो|
    तुलसीदास जी की बात नहीं कहेंगे, पिछड़े और नारी विरोधी मान लिए जायेंगे|
    संजय अनेजा की हालिया प्रविष्टी..An interview with Field Marshal Sam Manekshaw
  20. Abhishek
    फेसबुक आजकल ऐसे दिन भूलने नहीं देता. तड़ातड़ अपडेट/टैग आते हैं :)
    Abhishek की हालिया प्रविष्टी..‘मैं’ वैसा(सी) नहीं जैसे ‘हम’ !
  21. फ़ुरसतिया-पुराने लेख
    [...] शर्तें लगाई नहीं जाती दोस्तों के साथ [...]

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