Sunday, March 03, 2013

कुत्तों का मेला, सौंदर्य और प्रदर्शनी

http://web.archive.org/web/20140420082107/http://hindini.com/fursatiya/archives/4068

कुत्तों का मेला, सौंदर्य और प्रदर्शनी

आज सुबह कुत्तों का मेला देखने गये। :)

कल रात ही हमारे साथी बनर्जी जी ने अल्टीमेटम दे दिया था -सुबह चलना है। सुबह हुई नहीं कि उठो चलो का हांका होना शुरु हो गया। हम तो फ़िर भी उठ जाते हैं। हमारे साथ के देवांजंन की गुडमार्निंग इतवार को बारह बजे होती है। साढ़े नौ बजे निकले सिटी स्पोर्ट्स क्लब जबलपुर के लिये जहां मेला लगा था कुत्तों का।

मेले में देखा तरह-तरह के कुत्ते प्रदर्शनी में आये थे। सात ग्रुप की तीस वैराइटी के कुत्ते। पूरे मैदान में कुत्ते अपने मालिक/मालकिनों को अपने पीछे दौड़ा रहे थे। ढाई साल का चुहिया बिरादरी का कुत्ता इत्ता छोटा दिखा कि उसको अपने कोट की जेब में डाल के चल दे कोई। एक चुहिया बिरादरी वाले कुत्ते को बेस्ट ऑफ़ ब्रीड का इनाम का मिला तो उस पर कनपुरिया मित्र की प्रतिक्रिया आई- महँगाई का असर कुत्तों पर भी दिख रहा है इसकी खुराक कम कर दी गयी है पोषण नही मिला तो ये हाल हो गया है साल भर रुक जाता तो चूहा केटेगिरी में भी फर्स्ट आ जाता दो साल बाद अमीबा।

कुछ कुत्ते इत्ते तगड़े दिखे जैसे कोई मल्टीनेशनल कंपनी। किसी को भी ’टेकओवर’ करने के लिये जीभ लपलपाते हुये से। खड़े हो गये तो लगे कि अपन से ऊंचे हैं। एक कुत्ता इत्ता स्लिम, ट्रिम, हैंडसम टाइप दिखा कि अगर कुत्तों के मैट्रीमोनियल छपते होंगे तो उसके बारे में लिखा जाता- छरहरा, स्मार्ट, भोजन का खर्च चार अंकों में। इच्छुक लोग संपर्क करें।

कुत्ते को लोग खूबसूरत पिंजड़ों में लाये थे। जैसे डोली में बैठाकर सवारियां लाई जाती हैं। शो शुरु होने के पहले उनका मेकअप कर रहे थे लोग। बाल संवार रहे थे, कंघी करना, डियो से नहलाना, मुंह में पानी की पिचकारी से पानी पिलाना। कुत्ते और तमाम कुत्तों को देखकर भौंक रहे थे। शायद हेल्लो, हाऊ डू यू डू , व्हाट्स अप कह रहे हों।
माइक पर कुत्ता समारोह का संचालन शुद्ध हिन्दी में अपने राजेश जी कर रहे हैं। उतनी ही प्रांजल भाषा में जितनी में वे साहित्यिक समारोहों का संचालन करते हैं। कोई समारोह उन पर भाषा के भेदभाव का आरोप नहीं लगा सकता। लेकिन शो शुरु होते ही भाषा फ़िर वही अंग्रेजी हो गयी- लास्ट काल फ़ार टोकेन नंबर फ़िफ़्टी नाइन! :)

एक बच्ची जिसका नाम तान्या था अपनी मम्मी के साथ अपने पामेरियन कुत्ते को लेकर आई थी। आठ महीने का कुत्ता जिसका नाम शैडो था अपने आंखों में बाल लटकाये इधर-उधर टहल रहा था। पता चला कि उसका रजिस्ट्रेशन न होने के कारण उसको एडमिट कार्ड नहीं मिल सका। वह परीक्षा से वंचित हो गया। यह भी कि शैडो को तान्या की जिद पर उसके पापा ने बर्डडे गिफ़्ट किया था-कोलकत्ता से मंगाकर।

प्रतियोगिता से पहले कुत्तों की जांच होती दिखी। उसका ब्लडप्रेशर टाइप नापा गया, हार्टबीट भी। शायद यह भी देखा जाता हो कि कहीं कुत्ते ने कोई शक्तिवर्धक दवा तो नहीं ले रखी है। मेटलिक सेंसर से कुत्ते की वैसे ही जांच हो रही थी जैसे एयरपोर्ट पर यात्रियों की चेकइन करते समय होती है।

कुत्तों को माइक की आवाज से डिस्टर्बेंन्स हो रहा था सो साउंड बाक्स की दिशा बदली गयी। वैसे ही जैसे क्रिकेट खिलाड़ी की मांग पर स्टेडियम की साइड स्कीन इधर-उधर की जाती है।

निर्णायकों में एक महिला निर्णायक भी थीं। चुस्त-दुरुस्त। एक बार फ़िर लगा कि महिलायें हर उस क्षेत्र में बराबरी से दखल दे रही हैं जो कभी सिर्फ़ पुरुषों के लिये आरक्षित माने जाते थे।

कुत्तों की अलग-अलग तरह से नंबरिंग हो रही थी। दौड़ा के, चला के, स्ट्रेच करके। एक एक्शन में देखा कि कुत्ते अपनी टांगे फ़ैलाकर पूंछ को एंटिना की तरह ऊंची करके पोज दे रहे थे।

कुत्तों के मालिक/मालकिन अपने कुत्तों के सौंन्दर्य एवं कला प्रदर्शन में लगे थे। कभी-कभी कोई कुत्ता उनके निर्देशों का पालन न करता तो वे उदास हो जाते।

कुछ बड़े कुत्ते तो एकदम घोड़े जैसी दुलकी चाल से चलते दिखे। उनकी चाल में किसी विकसित राज्य के मुखिया सा आत्मविश्वास दिखा। उनके मालिक उनके इशारे पर उनको चला रहे थे।
एक
पामेरियनपामरेनियन कुत्ते की फोटो देखकर हमारे धीरेंद्र पांडेय बोले-इसको डंडे में बाँध कर जाला भी साफ़ किया जा सकता है! वो तो भला हो कि किसी पशुप्रेमी ने उनकी बात नहीं सुनी वर्ना आज इत्तवारै के दिन उनपर ठुक जाता मुकदमा पशुओं की बेइज्जती खराब करने का।

वहीं पर बड़ी मूंछों वाले एस.पी.पाण्डेयजी मिले। एस.पी. बोले तो सत्यप्रकाश पाण्डेय इलाहाबाद के पास सिराथू के रहने वाले हैं। फ़ौज की नौकरी से नायक के पद से रिटायर होने वाले पाण्डेयजी बैंकों की सुरक्षा का काम देखते हैं। उनकी मूंछें देखकर लगा कि मंछे हों तो पाण्डेयजी जैसी। :)

कुत्ता बड़ा स्वामिभक्त जानवर होता है। शो में देखा कि कुत्तों की देखभाल के लिये नौकर लगे थे। हमारी मेस में दो कुत्ते बाघा और लाली रहते हैं। सोचा उनको भी ले जाते। लेकिन उनको कैसे ले जाते। उनका वहां रजिस्ट्रेशन नहीं होता। वे आवारा कुत्ते हैं। लेकिन कोई भी आवाज होने पर मेस पूरी मेस को अपनी आवाज पर उठा लेते हैं। बीच में एक बार कांजी हाउस वाले पकड़कर ले गये थे बाघा को तो उसको बनर्जी जी ने छुड़वाया। एक बार जीप के नीचे लुढ़कनी खाने से बाघा का आत्मविश्वास उससे रूठा हुआ है जैसे सहवाग से उनका बल्ला। वह सहम-सहमा दीखता है जैसे अपने बॉस के सामने कोई कामचोर अधिकारी। :)

नीचे कुत्तों के मेले से कुछ और फोटो :
कुत्तों की जांच मेज।
इसको देख के लगा कि ये कुत्ता है ऊंट का बच्चा! वजन साठ किलो के करीब

क्या इस्टाइल है

धूप का चश्मा लगाये हीरो कुत्ता

अपनी बारी के इंतजार में एक डम्पलाट कुत्ता

अपनी बिरादरी चुहिया बिरादरी में सबसे अच्छा कुत्ता उमर दो साल

पामरेनियन कुत्ता

महिला निर्णायक

कुत्तों के मेले का नजारा

कुत्तों की इतनी प्रजाति थी मेले में

5 responses to “कुत्तों का मेला, सौंदर्य और प्रदर्शनी”

  1. arvind mishra
    “मेले में कुल 273 कुत्ते और कुतियाँ आयी थीं .अभी प्रदर्शन में कुछ देर थी ..मगर तभी वह खौफनाक माम्बा सांप मैदान में दिखा ..भगदड़ मच गयी .कितने कुत्ते कुतियाँ मालिक से पट्टे छुडा भाग चले …. कुछ एक दूसरे को देख गुर्राते रहे ,कुछ बुरी तरह झगड़ पड़े और 73 कुत्ते कुतिया तो प्रणय संसर्ग में आबद्ध हो गए !”
    जान गुडी की प्रसिद्ध कृति स्नेक की याद हो आयी! भाग्यशाली हैं आप ऐसे दृष्टांत के चश्मदीद बनें ! :-)
    सुधारें =पामेरियन नहीं पामरेनियन !
    arvind mishra की हालिया प्रविष्टी..कितना भटक गया इंसान :-(
  2. सतीश सक्सेना
    पामरेनियन…
    सतीश सक्सेना की हालिया प्रविष्टी..एक चिड़िया ही तो थी,घायल हुई -सतीश सक्सेना
  3. प्रवीण पाण्डेय
    आप तो श्वानमय वातावरण से भी एक पोस्ट झटक लाये..
    प्रवीण पाण्डेय की हालिया प्रविष्टी..टा डा डा डिग्डिगा
  4. Yashwant Mathur

    दिनांक 07/03/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
    धन्यवाद!
  5. : फ़ुरसतिया-पुराने लेख
    [...] कुत्तों का मेला, सौंदर्य और प्रदर्शनी [...]

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