Tuesday, October 22, 2013

अरे चांद अब दिख भी जाओ

http://web.archive.org/web/20140420082340/http://hindini.com/fursatiya/archives/5009

अरे चांद अब दिख भी जाओ

करवा चौथ१आज करवा चौथ का दिन है। घर-घर चांद उपासे हैं। अपने चांद की सलामती के लिये दिन भर भूखे रहेंगे। चांद की सलामती के लिये चांद अब चांद को देखकर ही व्रत तोडेंगे। पानी तक न पिया जायेगा।
खूब खिला है बाजार। करवाचौथ के पहले से चांद श्रंगार में जुटे हुये हैं। मेंहदी रच रही है। फ़ेसियल हो रहा है। पूरे मन से तन सज रहे हैं। धन हवा हो रहा है। हजार-हजार की मेंहदी लगी है मोहल्लों में, मॉल में। सुन्दरता की नुमाइश हो रही है। सब तरफ़ वातावरण “मधुर यह सुन्दर देश हमारा” सरीखा बना हुआ।
लोग अपने कैमरों से फ़ोटो खींच-खींच कर सोशल मीडिया पर सटा रहे हैं। कोई झुककर पूजा करते हुये वाले पोज को प्रोफ़ाइल पिक्चर बनाये हुये है। तीन दिन से झुकी हुई कमर को लोग लाइक कर रहे हैं। करते जा रहे हैं। बेरहम लोग। कमर है कि पत्थर भाई। इसको लाइक मत करो पोज बदलवाओ। अब तरस भी खाओ। सीधे खड़े होकर जरा मुस्कराओ। त्यौहार है, त्यौहार की तरह मनाओ। जरा चहको, खिलखिलाओ।
अपनी पत्नी को पूजा में सहयोग करने के चांद भी निकल चुके हैं। दफ़्तर जाने वाले जल्दी आ जायेंगे। प्रवासी चांद गाड़ियां पकड़कर लौट रहे हैं। वेटिंग/आर.ए.सी. की बाधायें फ़लांगते हुये घर में घुस रहे हैं। घर घुसुये चांद और शराफ़त से अपने चांद को संभाल रहे हैं। अदायें दिखाते हुये चांद को संभालते हुये चांद और शरीफ़ टाइप लग रहे हैं।
कुछ पति बड़े ऐंठते हुये पूजा में सहयोग करते हैं। कुछ शान से चरण स्पर्श भी कराते हैं पत्नियों से। कुछ छुई-मुई बन जाते हैं। जो इसे बेकार प्रथा मानते हैं वे पत्नी पर झल्लाते हैं। व्रत को फ़िजूल बताते हैं। मोहब्बत से हड़काये जाते हैं। शर्माते हैं। मुस्काते हैं। फ़िर सर झुकाकर पत्नी के लिये नाश्ता बनाते हैं।
करवाचौथ की कमेंट्री करता हुआ कवि कहता है:
चांद चहकते हैं घर-घर में,
एक टंगा है आसमान में।

करवा चौथ२सजी हथेली पर मेंहदी है,
अकड़ा गया, हाथ सजने में।

पूजा के लिये है झुकी सुंदरी,
ऐंठी फोटो की कमर सुबह से।
फ़ेसियल यार बहुत मंहगा है,
छोड़ो, मुस्काओ खिल जायेंगे।
चांद उपासे हैं चांद के लिये,
चांद उड़ाता माल सुबह से।
अरे यार कुछ तो चहको जी,
भूखे हैं तेरे लिये सुबह से।
मुझे आज तक यह समझ में नहीं आया कि दूर दिखते चांद को देखकर घर के चांद व्रत क्यों तोड़ते हैं? वो कंकरीला, पथरीला चांद जिसमें सांस लेने की हवा तक नहीं। आबादी के नाम पर सिर्फ़ एक बुढिया चरखा कातती रहती है। वो चांद इत्ता जरूरी कैसे हो गया कि उसको देखकर ही व्रत तोड़ा जायेगा? क्या इसलिये कि दूर का चांद सुहाना लगता है?
शक्ल-सूरत के अलावा भी चांद की हरकतें अपन को कभी जमीं नहीं। देखिये कभी कहा भी था अपन ने।
चांद की आवारगी है बढ़ रही प्रतिदिन
किसी दिन पकड़ा गया तो क्या होगा?

हर गोरी के मुखड़े पे तम्बू तान देता है
कोई मजनू थपड़िया देगा तो क्या होगा?
लहरों को उठाता है, वापस पटकता है
सागर कहीं तऊआ गया तो क्या होगा?
लेकिन विडम्बना ही तो है कि जिस चांद की हरकतें ऐसी नागवार गुजरती हों उसका ही इंतजार पलक पांवड़े बिछाकर किया जाये। घरैतिन जब दिन भर की भूखी हो तब लगता है कि जल्दी व्रत का बवाल कटे। चांद दिखे और अपने चांद के चेहरे पर चांदनी खिले। चांद को फ़ोन लगाकर कहने का मन होता है:
अरे चांद अब दिख भी जाओ
ज्यादा नखरे मत दिखलाओ।

भूखी है प्यारी श्रीमती हमारी,
खुश-खुश दिखती है बेचारी।
भूख से चेहरा मुर्झाया सा है,
फ़ूल खिला ज्यों सूख गया है।
आज जरा जल्दी आ जाओ,
बाकी दिन तुम मौज मनाओ।
तुम तो चांद बहुत दूर मे हो,
कंकड़-पत्थर के बने धरे हो।
मेरे चांद को मत तड़पाओ,
मेरी आफ़त मत बढ़वाओ ।
तुझे ट्रीट हम अलग से देंगे,
ढेरों कवितायें तुम पर लिख देंगे।
बस आज यार जल्दी आ जाओ
अरे चांद अब दिख भी जाओ।
बहुत हुई लफ़्फ़ाजी। अब चलें देखा जाये। चांद निकला आया हो शायद। कहा है जब मन से तो मानेगा ही। जायेगा कहां?
अनूप शुक्ल

7 responses to “अरे चांद अब दिख भी जाओ”

  1. आशीष श्रीवास्तव
    ना हमने व्रत रखा है ना रखने दिया है। ये बात और है कि शाम के भोजन के लिये दो तीन व्यंजन ज्यादा बनाये जा सकते है!
  2. Puja Upadhyay
    आज के दिन तो चाँद को धमकी देने और थप्पड़ मारने की बात मत कीजिये. कहीं गुस्सा हुआ बैठा तो शाम को देर से दिखेगा. बीवी का पारा चढ़ेगा. आज उसके भाव बढे हैं :)
    Puja Upadhyay की हालिया प्रविष्टी..इतवारी डायरी: सुख
  3. सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी
    थोड़ी मक्खनबाजी उन बादलों की भी कर लीजिए जो ऐन वक्त पर चाँद को ढंक लेने की फिराक में रहते हैं और व्रतधारिका को समझाना पड़ता है कि चाँद छुपा बादल में… देखा हुआ समझा जाय।
    सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी की हालिया प्रविष्टी..दशहरे के दिशाशूल
  4. प्रवीण पाण्डेय
    आज । ो सभी पति सहयोग की भावना से ग्रसित हैं।
    प्रवीण पाण्डेय की हालिया प्रविष्टी..कितनी पहचानें
  5. sharmila ghosh
    अरे वाह… बहुत सुन्दर पोस्ट है दादा . शुभकामनाएँ .
  6. HindiThoughts.Com
    :) बहुत खूब
    HindiThoughts.Com की हालिया प्रविष्टी..Poem on Moon in Hindi
  7. फ़ुरसतिया-पुराने लेख
    […] अरे चांद अब दिख भी जाओ […]

No comments:

Post a Comment