Tuesday, February 25, 2014

कभी तो हंस लिया करो पाजी


कल सूरज भाई से मुलाक़ात नहीं हुयी . आज ज़रा जल्दी ही आ गए. अपन भी चाय बना के बैठे थे. सूरज भाई चाय पीते हुए साथ में टहलने लगे. पास के मंदिर से कीर्तन की आवाज आ रही है. भजन गठबंधन सरकार के दलों की तरह अलग-अलग कामनाएं कर रहे हैं. ताल-मेल के अभाव में उनकी मंशा साफ़ नजर नहीं आ रही है. लेकिन ये पक्का है वे भजन हैं भजन के अलावा और कुछ नहीं.

सडक पर कुछ बच्चियाँ साइकिल पर स्कूल जा रही हैं. सफ़ेद सलवार और नीले स्वेटर में चमकती हुयी. सफ़ेद दुपट्टा उनके गले पर V का आकार बना रहे हैं. बच्चियों के विजय ध्वज की तरह.

सड़क पर एक सफ़ेद पक्षी हवा में टहल सा रहा है. एयर ग्लाइडिंग टाइप. हवा में लहराते हुए मस्त कलाबाजी सा करता. सूरज भाई उसकी पीठ सहला रहे हैं . पक्षी की पीठ चमक रही है -रिन की चमकार की तरह. सूरज भाई का स्पर्श पाकर पक्षी और भी इस्टाइल से उड़ने लगा . इसके बाद पास के पेड़ पर जाकर बैठ गया.

सामने एक ट्रक जा रहा है. ट्रक पर केले लादे हैं . ट्रक सड़क पर इस तरह जा रहा है जैसा की राग दरबारी (http://ragdarbaari.blogspot.in/ ) में श्रीलाल शुक्ल जी बताये थे -

" वहीं एक ट्रक खड़ा था। उसे देखते ही यकीन हो जाता था, इसका जन्म केवल सड़कों से बलात्कार करने के लिये हुआ है। जैसे कि सत्य के होते हैं, इस ट्रक के भी कई पहलू थे। पुलिसवाले उसे एक ऒर से देखकर कह सकते थे कि वह सड़क के बीच में खड़ा है, दूसरी ऒर से देखकर ड्राइवर कह सकता था कि वह सड़क के किनारे पर है। चालू फ़ैशन के हिसाब से ड्राइवर ने ट्रक का दाहिना दरवाजा खोलकर डैने की तरह फैला दिया था। इससे ट्रक की खूबसूरती बढ़ गयी थी; साथ ही यह ख़तरा मिट गया था कि उसके वहां होते हुये कोई दूसरी सवारी भी सड़क के ऊपर से निकल सकती है। "

इस वाले ट्रक पर जो लिखा था वह आप भी देखिये और अमल में लाइए. आज ही नहीं हमेशा :

"कभी तो हंस लिया करो पाजी "

यहाँ 'पाजी' में श्लेष अलंकार की छटा दर्शनीय हैं .'पाजी' की एक मतलब पंजाबी वाले भाई साहब है. दूसरा मतलब 'पाजी' मतलब बदमाश है. मतलब जो हंसेगा नहीं वह 'पाजी' कहा जाएगा.

सूरज पाजी इसे देखते हुए पहले मुस्कराए और फिर हंसने लगे. उनको हंसते देख समूची दुनिया मुस्कराने लगी . आप भी मुस्कराइए न.

फ़ोटो: कल सूरज भाई से मुलाक़ात नहीं हुयी . आज ज़रा जल्दी ही आ गए. अपन भी चाय बना के बैठे थे. सूरज भाई चाय पीते हुए साथ में टहलने लगे. पास के मंदिर से कीर्तन की आवाज आ रही है. भजन गठबंधन सरकार के दलों की तरह अलग-अलग कामनाएं कर रहे हैं. ताल-मेल के अभाव में उनकी मंशा साफ़ नजर नहीं आ रही है. लेकिन ये पक्का है वे भजन हैं भजन के अलावा और कुछ नहीं.

सडक पर कुछ बच्चियाँ साइकिल पर स्कूल जा रही हैं. सफ़ेद सलवार और नीले स्वेटर में चमकती हुयी. सफ़ेद दुपट्टा उनके गले पर V का आकार बना रहे हैं. बच्चियों के विजय ध्वज की तरह.

सड़क पर एक सफ़ेद पक्षी हवा में टहल सा रहा है. एयर ग्लाइडिंग टाइप. हवा में लहराते हुए मस्त कलाबाजी सा करता. सूरज भाई उसकी पीठ सहला रहे हैं . पक्षी की पीठ चमक रही है  -रिन की चमकार की तरह. सूरज भाई का स्पर्श पाकर पक्षी और भी इस्टाइल से उड़ने लगा . इसके बाद पास के पेड़ पर जाकर बैठ गया.

सामने एक ट्रक जा रहा है. ट्रक पर केले लादे हैं . ट्रक सड़क पर इस तरह जा रहा है जैसा की राग दरबारी (http://ragdarbaari.blogspot.in  ) में श्रीलाल शुक्ल जी बताये थे -

" वहीं एक  ट्रक खड़ा था। उसे देखते ही यकीन हो जाता था, इसका जन्म केवल सड़कों से बलात्कार करने के लिये हुआ है। जैसे कि सत्य के होते हैं, इस ट्रक के भी कई पहलू थे। पुलिसवाले उसे एक ऒर से देखकर कह सकते थे कि वह सड़क के बीच में खड़ा है, दूसरी ऒर से देखकर ड्राइवर कह सकता था कि वह सड़क के किनारे पर है। चालू फ़ैशन के हिसाब से ड्राइवर ने ट्रक का दाहिना दरवाजा खोलकर डैने की तरह फैला दिया था। इससे ट्रक की खूबसूरती बढ़ गयी थी; साथ ही यह ख़तरा मिट गया था कि उसके वहां होते हुये कोई दूसरी सवारी भी सड़क के ऊपर से निकल सकती है। "

इस वाले ट्रक पर जो लिखा था वह आप भी देखिये और अमल में लाइए. आज ही नहीं हमेशा :

"कभी तो हंस लिया करो पाजी "

यहाँ 'पाजी'  में श्लेष अलंकार की छटा दर्शनीय हैं .'पाजी'  की एक मतलब पंजाबी वाले भाई साहब है. दूसरा मतलब 'पाजी'  मतलब बदमाश है. मतलब जो हंसेगा नहीं वह 'पाजी' कहा जाएगा. 

सूरज पाजी इसे देखते हुए पहले मुस्कराए और फिर हंसने लगे. उनको हंसते देख समूची दुनिया मुस्कराने लगी . आप भी मुस्कराइए न. :)

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