Friday, February 21, 2014

यहां कौन पूछता है चाय को?

आज ‪#‎सूरज‬ भाई से सुबह मुलाक़ात नहीं हो पायी. अभी फोन आया है. बोले भाईजान इस समय अमेरिका में रोशनी फैला रहे हैं. तुम्हारी याद आयी तो फोनिया रहे हैं. हमें लगा ससुर जो अमेरिका जाता है वो फोनिया के हवा-पानी जरुर मारता है. शायद ये भी मारे . लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं . अलबत्ता हमने घर भर में कई बार चिल्ला के जरूर सबको बता दिया कि हल्ला मत मचाओ . अमेरिका से फोन पर बात कर रहे हैं.

हमने #सूरज भाई से पूछा कैसा लग रहा है? बोले -कूल ? हम बोले वाह भाई क्या अदा है -चाय-वाय मिली कुछ? वो मायूस होकर बोले -ना यार ! यहां कौन पूछता है चाय को? हमने पूछा व्हाट्सएप पर पठाएं? वो बोले- सुबह सोते रहे अब मौज ले रहे हो? व्हाट्सएप भी तो बिक गया अब ? हम बोले उससे क्या? एक चाय का कप जिसमे भाप सरीखी कुछ उड़ रहा था भेजे तो फ़ौरन उनका स्माइली आ गया| साथ में सबेरे के कुछ वीडियो क्लिप्स भी.

एक वीडियो में एक कुत्ते का पिल्ला पंजे से अपनी पीठ खुजा रहा था. पीठ पर घाव बन गया था लेकिन कुत्ते का पिल्ला जुटा था खुजाने में. खुजलीरत पिल्ले को देखकर मीडिया की याद आ गयी जो महीनों से अगले प्रधानमंत्री के मुद्दे को खुजलाती घूम रही है. अगले सीन में एक बच्चा बबलगम का गुब्बारा फुलाते हुए घूम बीच सड़क पर अलसाया सा टहल रहा था. जिस समय हमें लगा की शायद बच्चा गुब्बारे को और फुलायेगा उसी समय उसने बबलगम बीच सड़क पर अपने पद से इस्तीफे की तरह पटक दिया और भागकर सड़क किनारे बने अपने दड़बे नुमा घर या घरनुमा दड़बे में घुस गया. आगे दड़बे किनारे पड़े एक आदमी के बराबर व्यास के पाइप के एक सिरे पर खड़ा एक लड़का अपना दबाब कम करा था. उसको देखकर लगा की अंग्रेजी का 'वाई ' कपड़े पहनकर शीर्षासन कर रहा है. हमने सूरज भाई को फोन करके कहना चाहा की वाह भाई आप भी खूब मजे लेते हो लेकिन उनकी लाइन व्यस्त आ रही है. पक्का अपनी किरणों को दुलारा रहे होंगे. कोई जगह बदलने से स्वभाव थोड़ी बदल जाता हैं. है कि नहीं ?

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