#सूरज
भाई पेड़ों के पत्ते से ऐसे झांक रहे हैं जैसे अपन भद्दर जाड़े में रजाई से
मुंह निकाल के लेटे-लेटे टीवी देखते रहते हैं। हमने पूछा -आपकी बच्चियां
किधर ? बोले- आ रही हैं। बिना सजे-संवरे , सुन्दर बने कहीं निकलती नहीं।
हमसे कहा- आप चलो आगे पापा हम आते हैं। ये ल्लो आ गयीं न सब नटखट , शरारती
बच्चियां। देखते-देखते सूरज की सब लाड़लियां समूची कायनात में पसर गयीं।
#सूरज भाई वात्सल्य से चमकती आंखों से अपनी बच्चियों को निहारते हुये चाय
पीते रहे।
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Wednesday, February 05, 2014
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