Friday, March 14, 2014

डोन्ड बि परेशान, लव यू मम्मा


साढे सात बज गये। फ़ैक्ट्री का हूटर बज रहा है। सारे शहर को बताता कि ड्यूटी का समय हो गया।

सूरज की किरणें अपनी ड्यूटी पर आ गयी हैं। सूरज भाई अभी मिलेंगे तो पूछूंगा कि क्या उनके यहां भी हूटर बजता है? हूटर बजते ही अलसाई किरणें आंख मलते उठने की सोचती होंगी। कुछ की मम्मी किरणें बच्ची किरणों को डांटती होंगे- "जल्दी उठ वर्ना सुबह की बस छूट जायेगी। जाना है न तेरे को धरती पर चमकने के लिये। कल जिस खूबसूरत कली पर रही दिन भर वह अब खिलने वाली होगी। "

किरण अलसाई सी बस मम्मी एक मिनट और एक मिनट और करती लेटी रहती होगी। डांट खाती होगी। रोज की तरह जैसे ही दूर चौराहे पर सूरज बस का हार्न सुनती होगी तो फ़टाक से बिस्तर से भागकर हाथ-मुंह धोकर फ़्राक पहनकर मम्मी किरण को टाटा, बाय बाय करती हुयी सूरज बस में बैठकर धरती की ओर चल देती होगी। बस में अपनी सीट पर ऊंघते बैठे मम्मी की बात याद आती होगी- अरे नाश्ता तो कर ले। रोज भूखे चली जाती है।
वह किरण अब धरती पर पहुंच गयी है। कल जिस कली पर दिन गुजारा उसने अब वह फ़ूल बन गया है। किरण को आते देखते ही और खिल गया। किरण उसकी पंखुडियों पर पसर कर धीरे से उसे हाय कहते हुये मुस्कराती है। अगली बात करने से पहले अपनी मम्मी को एस.एम.एस. करती है- "मैं यहां पहुंच गयी। आराम से हूं। नाश्ता कर लिया है। तुम भी कर लो। डोन्ड बि परेशान। लव यू मम्मा। "

मम्मी किरण, बच्ची किरण का मैसेज पाकर चैन से आ जाती होंगी। पलट के -"लव यू बेटा। टेक केयर " लिखकर सोचती होगी -कल से इसको टिफ़िन में नाश्ता दे दिया करूगी।

बरामदे में रोशनी का टुकड़ा पसरा हुआ। इसका शान्त स्वभाव देखकर लग रहा है इसई के घराने वालों के लिये पंत जी लिखे होंगे:

शान्त स्निग्ध ज्योत्सना उज्ज्वल।
स्निग्ध ज्योत्सना से याद आया कि किरणें इतनी चमकती कैसे रहती हैं? क्या इनके भी कोई ब्यूटी सैलून होते हैं? क्या ये भी फ़ेशियल, ब्लीचिंग कराती हैं? क्या पता इनके यहां भी गोरेपन की क्रीम का जलवा हो। आज सूरज भाई से पूछेंगे।

‪#‎सूरज‬ भाई अब आ गये हैं। साथ चाय पीते हुये हम बतिया रहे हैं। चाय पीते हुये उन्होंने पूछा कि इसमें कौन चाय की पत्ती डाली है? हमने कहा -पता नही। लेकिन पत्ती के बारे में क्यों पूछ रहे? वे बोले कुछ नहीं बस ऐसे ही। सोच रहा था चुनाव के समय ’बाघ-बकरी ’ चाय चलनी चाहिये। इस समय बकरी जैसे जनता को यह लगने लगता है कि उसकी बाघ से दोस्ती है और बाघ चुनाव जीतते ही उसकी सब परेशानियां खतम हो जायेंगे।
हमने कहा- सूरज भाई आप तो राजनैतिक हो लिये आज।

#सूरज भाई मुस्कराते हुये चाय पीते रहे।उनकी मुस्कराहट से किरणें और चमकने लगीं। सबेरा हो गया है।

No comments:

Post a Comment