Saturday, July 05, 2014

भैयालाल से मुलाकात


आज फिर भैयालाल की तरफ जाना हुआ।अपनी बेल्ट बनवाने। वे तन्मयता से जूता चमका रहे थे। काम करने के बाद औजार और कील-काँटा यथास्थान जमाया।

पता चला कि वे विकलांग होने के पहले मिस्त्री का काम करते थे। दुर्घटना में पाँव गंवाने के बाद एक महीने तक चमड़े का काम सीखा। पान-मसाला बेचने या और कोई काम करके रोजी कमाने की बजाय जूते मरम्मत का काम ठीक लगा। 250-300 रूपये की कमाई हो जाती है रोज।

हमने भैयालाल को उनकी फोटो/विवरण दिखाए और कमेन्ट दिखाए तो वे खुश हुए।

वहां अख़बार दिखे तो मैंने पूछा तो पता चला तीन लोकल अख़बार लेते हैं भैयालाल। हमको भारतेंदु हरिश्चंद्र के लेख "भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है" का वो वाक्य याद आया जिसमें उन्होंने लिखा था कि इंग्लैण्ड में कोचवान खाली समय में अख़बार पढ़ता है। यहाँ तो भैयालाल तीन अख़बार पढ़ते हैं। फिर भी उन्नति नहीं हो रही। अलबत्ता यह खबर जरूर पता चली की व्यापम घोटाले में नामजद एक अधिकारी ने मिटटी का तेल छिड़ककर आत्महत्या कर ली।


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