Saturday, August 30, 2014

पुलिया पर योग प्रदर्शन


अब्बास भाई के प्रस्थान के बाद और अपन के ’दफ़्तर प्रयाण’ पहले ’सर्वहारा पुलिया’ पर ही विराजे साहब जी से बातचीत हुई। पता चला कि वे छत्तीसगढ के विलासपुर न्यायालय में नौकरी करते हैं। घर जबलपुर के शोभापुर में है। बेटा जबलपुर हाईकोर्ट में वकील है। तबियत खराब होने के चलते फ़िलहाल घर आये हैं स्वास्थ्य लाभ की मंशा से। नाम है अतुल तिवारी।

तिवारी जी से बातचीत करते हुये पता चला कि उनको साइकिल पर बैठकर योग करने का शौक है। हम थोडा ताज्जुब मुद्रा में आये तो तिवारी जी ने स्टैंड पर खडी साइकिल की स्प्रिंग आगे की ताकि स्टैंड उतर न जाये और फ़टाक से गद्दी पर बैठकर योगमुद्रा में आ गये। मुझे लगा जैसे बाबा रामदेव को योग करने और दिखाने में टेलीविजन पर ही मजा आता है शायद उसी तरह तिवारीजी का योग साइकिल और पुलिया पर ही सधता है। करने से ज्यादा दिखाने पर जोर।

ऐसे ही ध्यान आया कि कुछ दिन पहले एक व्यक्ति सामने ’बुर्जुआ पुलिया ’ के पास साइकिल पर आल्थी-पाल्थी मारे बैठा था। लेकिन जब तक हम उसको कैमरे की गिरफ़्त में ले पाते तब तक वह वहां से ’गो वेन्ट गान’ हो गया। आज तिवारी जी को देखकर लगा यही होंगे वे महानुभाव। यही लगना कि मिलना तभी होता है जब बदा होता है।

फ़ोटो: अब्बास भाई के प्रस्थान के बाद और  अपन के  ’दफ़्तर प्रयाण’ पहले ’सर्वहारा पुलिया’ पर ही विराजे साहब जी से बातचीत हुई। पता चला कि वे छत्तीसगढ के विलासपुर न्यायालय में नौकरी करते हैं। घर जबलपुर के शोभापुर में है। बेटा जबलपुर हाईकोर्ट में वकील है। तबियत खराब होने के चलते फ़िलहाल घर आये हैं स्वास्थ्य लाभ की मंशा से। नाम है अतुल तिवारी।

तिवारी जी से बातचीत करते हुये पता चला कि उनको साइकिल पर बैठकर योग करने का शौक है। हम थोडा ताज्जुब मुद्रा में आये तो तिवारी जी ने  स्टैंड पर खडी साइकिल की स्प्रिंग आगे की ताकि स्टैंड उतर न जाये और फ़टाक से गद्दी पर बैठकर योगमुद्रा में आ गये। मुझे लगा जैसे बाबा रामदेव को योग करने और दिखाने में टेलीविजन पर ही मजा आता है शायद उसी तरह तिवारीजी का योग साइकिल और पुलिया पर ही सधता है। करने से ज्यादा दिखाने पर जोर।

ऐसे ही ध्यान आया कि कुछ दिन पहले एक व्यक्ति सामने ’बुर्जुआ पुलिया ’ के पास साइकिल पर आल्थी-पाल्थी मारे बैठा था। लेकिन जब तक हम उसको कैमरे की गिरफ़्त में ले पाते तब तक वह वहां से ’गो वेन्ट गान’ हो गया। आज तिवारी जी को देखकर लगा यही होंगे वे महानुभाव। यही लगना कि मिलना तभी होता है जब बदा होता है। :)

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