Thursday, September 25, 2014

बहन जी पुलिया पर

 कल ये बहन जी पुलिया पर दिखीं। नवरात्र के मौके पर मिट्टी के इन पात्रों की मांग रहती है। नवरात्र में इनमे 'जवारी' उगाई जाती है। मिट्टी के बर्तन बेचने के लिए जाने के पहले पुलिया पर आराम करने को रुकी थीं। सर पर टोकरी में बरतन रखे थे। वे पुलिया के पास खड़ीं थीं। शायद उतारने में समस्या थी। एक साइकिल सवार बच्चे ने देखा तो रुका। साइकिल खड़ी की । टोकरी उतरवाने में सहायता की। चला गया।

बरतन ये खुद नहीं बनाती हैं। कुम्हारों से लेकर जरूरत मंदों तक पहुंचाती हैं। 'चार पैसा' कमाती हैं।बिना कमाई के कौन काम करेगा ? 

सामान बेचने के लिए आते-जाते वे पुलिया पर रुककर कुछ देर जरूर सुस्ताती हैं। तीन बच्चे हैं। इनके 'वो' फैक्ट्ररी में ही काम करते हैं।

मन किया पूछें कि मंगल पर भारत के अन्तरिक्ष यान के पहुंचने के बारे में आपका क्या कहना है?  लेकिन फिर नहीं पूछे। उनको सामान बेचने जाना था। हमें दफ्तर।
कल ये बहन जी पुलिया पर दिखीं। नवरात्र के मौके पर मिट्टी के इन पात्रों की मांग रहती है। नवरात्र में इनमे 'जवारी' उगाई जाती है। मिट्टी के बर्तन बेचने के लिए जाने के पहले पुलिया पर आराम करने को रुकी थीं। सर पर टोकरी में बरतन रखे थे। वे पुलिया के पास खड़ीं थीं। शायद उतारने में समस्या थी। एक साइकिल सवार बच्चे ने देखा तो रुका। साइकिल खड़ी की । टोकरी उतरवाने में सहायता की। चला गया।

बरतन ये खुद नहीं बनाती हैं। कुम्हारों से लेकर जरूरत मंदों तक पहुंचाती हैं। 'चार पैसा' कमाती हैं।बिना कमाई के कौन काम करेगा ? 

सामान बेचने के लिए आते-जाते वे पुलिया पर रुककर कुछ देर जरूर सुस्ताती हैं। तीन बच्चे हैं। इनके 'वो' फैक्ट्ररी में ही काम करते हैं।

मन किया पूछें कि मंगल पर भारत के अन्तरिक्ष यान के पहुंचने के बारे में आपका क्या कहना है? लेकिन फिर नहीं पूछे। उनको सामान बेचने जाना था। हमें दफ्तर।

No comments:

Post a Comment