Wednesday, October 01, 2014

सर्वहारा पुलिया पर पेंशनर

 दुपहरिया को सर्वहारा पुलिया ये लोग मिले। खड़े हुए भाईजी हाथ में कुछ  रगड़ रहे थे। हमें लगा शायद चुनही तम्बाकू रगड़ रहे हों। लेकिन पूछा तो पता चला कि बगल  में उगे एक जंगली फूल की पंखुडियां रगड़ रहे थे। बगल की पंजाब नेशनल बैंक में पैसा निकालने आये रहे लेकिन बैंक का कंप्यूटर सर्वर डाउन होने के चलते निकल नहीं पाया पैसा। तीन बजे बुलाया गया है। 

फैक्ट्री से चार साल पहले रिटायर हुए हैं। पेंशन लेने आये थे। लेकिन सर्वर के चलते यहाँ आ गए।इत्मीनान से बैठने।

बात चल ही रही थी कि तब तक एक और बैंक पीड़ित ग्राहक वहां आकर खड़े हो गये। नाम भोले। वे भी फैक्ट्री से सात-आठ साल पहले लेबर से रिटायर हुए। वे बगल की यूको बैंक  में पैसा निकालने आये थे लेकिन बैंक में पैसे कम पड़ गए। दस हजार रूपये चाहिए थे लेकिन बैंक में केवल 2 हजार थे। बोले फिर आइयेगा। 

बैंक में पैसे की कमी का कारण शायद यह रहा हो कि अगले कुछ दिन बैंक बंद होने की खबर से पैसा भी छुट्टी पर चला गया होगा। या फिर यह भी हो सकता है कि नोट वाले गांधीजी, गांधी जयंती पर होने वाले तमाम पाखंडी कार्यक्रमों के डर से, कहीं इधर-उधर दुबक गये हों।

कारण जो भी रहा हो। बैंक ने भले अपने ग्राहकों को निराश किया लेकिन सर्वहारा पुलिया पर उनके लिए आराम की निशुल्क व्यवस्था है।
दुपहरिया को सर्वहारा पुलिया ये लोग मिले। खड़े हुए भाईजी हाथ में कुछ रगड़ रहे थे। हमें लगा शायद चुनही तम्बाकू रगड़ रहे हों। लेकिन पूछा तो पता चला कि बगल में उगे एक जंगली फूल की पंखुडियां रगड़ रहे थे। बगल की पंजाब नेशनल बैंक में पैसा निकालने आये रहे लेकिन बैंक का कंप्यूटर सर्वर डाउन होने के चलते निकल नहीं पाया पैसा। तीन बजे बुलाया गया है।

फैक्ट्री से चार साल पहले रिटायर हुए हैं। पेंशन लेने आये थे। लेकिन सर्वर के चलते यहाँ आ गए।इत्मीनान से बैठने।
बात चल ही रही थी कि तब तक एक और बैंक पीड़ित ग्राहक वहां आकर खड़े हो गये। नाम भोले। वे भी फैक्ट्री से सात-आठ साल पहले लेबर से रिटायर हुए। वे बगल की यूको बैंक में पैसा निकालने आये थे लेकिन बैंक में पैसे कम पड़ गए। दस हजार रूपये चाहिए थे लेकिन बैंक में केवल 2 हजार थे। बोले फिर आइयेगा। 

बैंक में पैसे की कमी का कारण शायद यह रहा हो कि अगले कुछ दिन बैंक बंद होने की खबर से पैसा भी छुट्टी पर चला गया होगा। या फिर यह भी हो सकता है कि नोट वाले गांधीजी, गांधी जयंती पर होने वाले तमाम पाखंडी कार्यक्रमों के डर से, कहीं इधर-उधर दुबक गये हों।

कारण जो भी रहा हो। बैंक ने भले अपने ग्राहकों को निराश किया लेकिन सर्वहारा पुलिया पर उनके लिए आराम की निशुल्क व्यवस्था है।

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