Saturday, December 20, 2014

नर्मदा सबका भला करती हैं

नर्मदा किनारे ग्वारी घाट । एक श्रद्धालु घाट की आखिरी सीढ़ी पर बैठकर सर पानी में छुआकर माँ नर्मदा को प्रणाम करता है। लोग पास की दुकानों से फूल दीप खरीदकर नदी में प्रवाहित कर रहे हैं। दीप नदी में डगमगाते हुए तैरना शुरू करके फिर आगे सरपट तैरते जा रहे हैं।

पास में ही नर्मदा सफाई के लिए बोर्ड पर अनुरोध लिखा है- दीप को नदी में प्रवाहित न करें। लोग बोर्ड की तरफ पीठ करके नदी में दीप प्रवाहित करते हुए दनादन फोटोबाजी कर रहे हैं।

आरती शरू होने वाली है।पण्डित जी बता रहे हैं -जगत जननी माँ नर्मदा के दर्शन मात्र से सब कष्ट दूर हो जाते हैं।

एक बच्चा ,जो रोज माँ नर्मदा के दर्शन करता होगा, घाट पर भेलपुरी बेच रहा है। रीवा का रहने वाला। पिता किसान। हाईस्कूल की छोड़कर तीन साल पहले छोड़कर जबलपुर आ गया। भेलपुरी बेचता है। अकेले रहता है। कष्ट दूर करता है।

बच्चे की शर्ट पर रोमन में न्यूट्रान लिखा है।पूछने पर बताता है-"ऐसे ही कढ़ाई है।" कल को कोई वैज्ञानिक न्यूट्रान को देखने का दावा करेगा तो हमारी पोस्ट बांचकर कोई कहेगा-इसमें कौन बड़ी बात। हमारे यहां तो बच्चे न्यूट्रान की कढ़ाई शर्ट पर किये घूमते हैं।

आरती शुरू हो गयी है।आज की आरती सेना के कुछ अधिकारियों के सौजन्य से है। पैसा दिया है उन्होंने। एक समय के बाद कोई भी धर्म बिना पैसे के चल नहीं पाता। घर्म का प्रसार उसके प्रचार में खपाए गए पैसे के समानुपाती होता जाता है।

घाट के किनारे चाट वाला माँ नर्मदा के प्रति आस्था जताते हुए कहता है। माँ हमारा पालन करती है। हम गलत पैसा नहीं लेंगे। शंका हो तो दस बार पूछिये हम ग्यारह बार बताएँगे।

'हर हर नर्मदे' के साथ भक्तों की तालियों के साथ नर्मदा स्तुति शरू हो गयी है। नर्मदाष्टक पाठ "त्वदीय पाद पंकजम,नमामि देवि नर्मदे" के साथ शुरू हो गया है। आवाजें लयात्मक होती जा रही है।पांच भक्त नर्मदा की तरफ मुंह किये चौकी पर चढ़े चंवर डुला रहे हैं।

नर्मदाष्टक पाठ के बाद नर्मदा आरती शरू हो गयी।भक्तगण झूमते हुये ताली बजाते हुए आरती पाठ कर रहे हैं। ताली के नाम से मुझे परसाई जी की बात याद आ गयी- "देश का गणतंत्र ठिठुरते हुए लोगों की तालियों पर टिका है।" इसी तर्ज पर कहा जा सकता है क्या कि-" किसी भी धर्म का धंधा आरती की लय में डूबे भक्तों की तालियों पर टिका होता है?"

नर्मदा नदी से जुड़े सामान्य जन के मन में नर्मदा मैया के प्रति अगाध श्रद्धा है।

अमृतलाल बेगड़ जी ने एक संस्मरण में लिखा-"जब मैंने वृद्धा से उसकी पोती के तारीफ़ करते हुए कहा-आपकी पोती बहुत संस्कार शील है। आपने उसे बहुत अच्छे संस्कार दिए हैं। इस पर वृद्धा ने जबाब दिया-नर्मदा की नहाईं छोरी है। संस्कार कैसे अच्छे नहीं होंगे।"

आरती आयोजन से दूर घाट पर कुछ बच्चे खेल रहे हैं। एक चार पांच साल का बच्चा गुब्बारे बेच रहा है। दो बच्चियां - 'एक रुपया दे दो' कहती हुई घाट पर टहल रही हैं।

पूजा आरती के बाद, जिन लोगों ने आरती के लिए चन्दा दिया, उनको सम्मानित किया जा गया। उनके सुख समृद्धि की कामना की गयी।

नर्मदा सबका भला करती हैं। आपका भी करें। नर्मदे हर।

ये तस्वीर मेरे बेटे Saumitra Mohan ने खींची।

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