Wednesday, January 14, 2015

जाहिल की बात पे हल्ला-गुल्ला

जाहिल की बात पे हल्ला-गुल्ला,
तुम भी क्या बौराये हो लल्ला?

जो कहता बच्चे चाहिये चार उसे
खुद काहे न करता बिस्मिल्ल्ला?

जाड़ा कितना जबर पड़ रहा,
सूरज अब तक काहे न निकला?

किरणों को नोटिस भिजवाओ,
उजाले से पता करो जी मामला।

ई कोहरा चहक रहा है 'नठिया'
इसके दुइ कंटाप लगाओ लल्ला।

चाय आ गयी गर्म चकाचक,
डालो कप में जल्दी से लल्ला।

आओ भैया सूरज चाय पिलाये
खत्म हो गयी तो मचाओगे हल्ला।

-कट्टा कानपुरी

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