Sunday, January 04, 2015

रामफल से मुलाक़ात


आज दोपहर को फिर रामफल से मिलना हुआ। मिलने पर बोले-हम समझे कहीं बाहर चले गए आप।


तबियत ठीक-ठीक। रूपये में चार आना फायदा है। बात करते हुए उनका लड़का, बहुरिया और बच्चे आ गए। रामफल ने लपककर नातिन को गोदी में लिया। प्यार किया।पुच्चियाँ लीं। बीस रूपये जेब से निकालकर उसको दिए। बच्ची ने बैग में धर लिए। इसके बाद रामफल अपने नाती को प्यार करने में मशगूल हो गए।

बेटे ने बताया कि अब रामफल को सुनाई ठीक देता है। लेकिन अक्सर घर में मशीन निकाल देते हैं। पर पुलिया पर आते समय मशीन साथ लाते हैं। आज भूल गए तो बेटे ने घर से लाकर दी। 

तबियत के बारे में बताया कि रामफल पहले बीड़ी बहुत पीते थे।फेफड़े में छेद हो गया। डाक्टर ने जिंदगी का खतरा बताया तब छोड़ी। उसी के चलते सांस और बीपी की तकलीफ है। रामफल की पत्नी भी शुगर, बीपी, अस्थमा की दवाई खाती हैं।

रामफल का बेटा 10 वीं तक पढ़ा है। मोटर मैकनिक का काम जानता है लेकिन दूकान बन्द हो जाने के चलते मजूरी का काम करता है। न्यूनतम मजदूरी आजकल 300 के आसपास है लेकिन न्यूनतम मजदूरी का चक्रव्यूह ऐसा है कि सौ-सवा सौ रूपये इसमें खेत हो जाते हैं। दिन में मजूरी करने के बाद रात में अपने बहनोई ( जो कि हाल में ही खत्म हो गए) की जगह चौकीदारी का काम करता है ताकि बहन का परिवार चलता रहे। बहन के बच्चे पढ़ने में अच्छे हैं । उसको आशा है कि साल दो साल में बहन के बच्चे अपने पैरों पर खड़े हो जाएंगे।

इस बीच रामफल का भतीजा उनका ठेला बाजार में लगवाने के लिए आ गया। वह फल का सब काम जनता है लेकिन करने के नाम पर सिर्फ रामफल का ठेला ढोता है। हमने पूछा की कुछ करते क्यों नहीं तो चुपचाप सुनता रहा।

रामफल से एक किलो का पपीता,आधा दर्जन केले और दो संतरे लेकर हम वापस आ गए। कीमत 50 रूपये। लंच में मेस के खाने की जगह आधा पपीता और दो केले खाये गए। पत्नी की फल खाने की हिदायत का पालन हो गया -रामफल से मुलाक़ात के बहाने।

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