Friday, April 17, 2015

पुलिया से हल्दीघाटी होते हुए कमरे पर।

कल दोपहर को सलमान मिले। 250 रूपये की बर्फ बेंच चुके थे। 10 अप्रैल को उनका नया मोबाइल आना था। पूछने पर बताया आ गया है। 8000 रूपये का मिला। अभी चलाना आता नहीं। घर में धरा है। चाचा कहते हैं साथ न ले जाया करो -'हिरा जायेगा।'

आज आने में देर हुई सलमान को क्योंकि उनका ठेला पंक्चर हो गया था। जब देखा तब भी हवा निकली हुई थी। ठीक करवाना है।

दस जून को कानपुर जाएंगे सलमान। कुछ दिन वहां रहेंगे। फिर लौटकर डोनट बेचने का काम करेंगे।कानपुर जाएंगे तो मोबाइल साथ ले जाएंगे।हमने सलमान से पूछा- "...तुम्हारे हर काम दस तारीख को ही होते हैं। 10 को मोबाइल आया।10 को कानपुर जाओगे। " इस पर मुस्कराया बालक।

इस बीच एक बच्चा आ गया। बर्फ खाने। बीसीए कर रहा है। आधारताल के किसी संस्थान से। प्राइवेट। माखनलाल चतुर्वेदी इंस्टिट्यूट से डिग्री मिलेगी।चौथा सत्र चल रहा है फिलहाल।

पढ़ने की बात चली तो सलमान ने बच्चे को बिना मांगी सलाह दी। पढ़ाई करनी है तो लखनऊ निकल जाओ। टॉप क्लास कालेज है वहां।

हमको हंसी आई। लखनऊ में कोई नामी संस्थान है नहीं कम्प्यूटर की पढाई का और ये बच्चा बता रहा है टॉप क्लास पढ़ाई होती है वहां।

हरेक के अपने-अपने विचार होते हैं। कल तक अकबर महान पढ़ने वाले बच्चे अब प्रताप महान पढ़ेंगे इतिहास में। राणा प्रताप के घोड़े चेतक के बारे में पढ़ी कविता याद आ गयी:
"राणा की पुतली फिरी नहीं
तब तक चेतक मुड़ जाता था।"

चेतक की कविता से लगा कि आज की मीडिया चेतक की तरह है। सरकारें राणा प्रताप की तरह। कविता आज भी चरितार्थ हो रही है:

राणा की पुतली फिरी नहीं
तब तक चेतक मुड़ जाता है।

कहां कहां टहल लिए सुबह सुबह पुलिया से हल्दीघाटी होते हुए कमरे पर।
फोटो दिखाया था सलमान को तो बोला- "मस्त है।" आप बताओ कैसा है। :)

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