Monday, February 01, 2016

खर्च करो यार, कमाने में वक्त न जाया करो

आज अख़बार में यह खबर पढ़ी, "उधार में सिगरेट नहीं देने पर युवकों ने दुकान में लगा दी आग।"

लड़कों की हरकतें एकदम अमेरिका, ब्रिटेन टाइप लगीं। बात मानने से मना किया तो फूंक दिया पूरा ईराक।

युवकों ने दूकान को आग के हवाले किया। अमेरिका ने इराक को तबाह करके आई इस आई इस के हाथ थमा दिया।

इससे यह लगता है कि चाहे व्यक्ति हो या देश, सिरफिरे युवाओं कि हरकतें एक जैसी होती हैं। आखिर अमेरिका भी तो एक युवा देश ही है। महज 500 सौ साल उम्र का।

ख़राब सी लगने वाली बात। बताओ उधार नहीं दिया तो आग लगा दी। बड़े बदमाश थे लड़के। लेकिन अगर लड़के बदमाश होते तो उसी समय जबरिया करके सिगरेट हथिया लेते जब दुकानदार ने मना किया था। आखिर वे कई थे और दूकानदार अकेला। पढ़ा भले न हो स्कूल में कि संगठन में शक्ति होती है लेकिन जानते पक्का होंगे। तभी तो दुकान पर इकट्ठे आये थे।

लड़के बदमाश नहीं थे। न सिगरेट के पक्के लती। सिगरेट की लत लगी होती तो इतनी देर सबर नहीं कर पाते कि 9 बजे से रात डेढ़ बजे तक इन्तजार कर पाते। उसी समय या तो छीनकर या मांगकर फूंक लिए होते कलेजा।

शायद यह मूल्यों का लफड़ा है। दुकानदार के जीवन मूल्य के अनुसार, उधार प्रेम की कैंची होगा। जबकि लड़के लोग उधार को प्रेम का पुल मानते होंगे। उनके लिए उधार प्रेम का फ्लाईओवर होगा। एक मरियल सा पुल बनने में जितना लोहा लगता है उतने में हजारों, लाखों कैंचियां बन सकती हैं। इसलिए पुल और कैंची की भिड़ंत में कैंची की ऐसी-तैसी तो होना पक्का है।

पहले के लोग कहते होंगे:

'खर्च करने से पहले कमाया करो।'

अब यह फलसफा पुराना हुआ। आज का नारा तो है:

'खर्च करो यार, कमाने में वक्त न जाया करो।'

आपके पास कमीज खरीदने के पैसे भले न हों लेकिन बाजार आपको बाइक और मोबाईल जबरियन थमा देगा। ले जाओ बेट्टा ऐश करो। पैसे तो हम वसूल ही लेंगे। उधार लेकर आओ। क़िस्त पर क़िस्त चुकाओ। स्मार्ट नागरिक बन जाओ।

खैर अब दुकान फुँकनी थी तो फुंक गयी। होनी को तो कोई टाल नहीं सकता। इस घटना में नकारात्मक पक्ष देखने से भी कोई फायदा नहीं। ऐसे में इस घटना के कुछ उजले पहलू देखे जाएँ।

सबसे पहला फायदा तो बीमा कंपनियों को हो सकता है। बीमा एजेंट जहाँ से पान, मसाला खाते हैं उनके दुकानदारों को सलाह देते हुए कह सकते हैं," भैया मेरी सलाह मानो अपनी दुकान का बीमा करा लो। अच्छी स्कीम है। चार लाख का करा लो बीमा। कभी दस-बीस हजार का सामान फुंकवा के वसूल लेना रकम। सर्वे का कराना और पैसा दिलाना हमारी जिम्मेदारी। तुम अपने हो तो बता रहे हैं। फिर न कहना बताया नहीं। बगल वाले मिश्रा जी कराइन हैं बीमा। दो-तीन महीने बाद प्लान है वसूली का।

सिगरेट कंपनी वाली मर्दानगी वाले विज्ञापन में इस बात को कलात्मक तरीके से दिखा सकते हैं कि मरगिल्ले से सीने वाले आदमी के अंदर सिगरेट पीते ही इतनी ताकत आ जाती है कि वह आधी रात में जाकर दुश्मन के इलाके में जाकर उसका आशियाना तहस-नहस कर आता है। देशप्रेम वाली फिल्मों में दुश्मन की तौर पर पाकिस्तान को लिया जा सकता है।

सरकारें इस घटना की आड़ में सिग्रेट पर टैक्स बढ़ा सकती हैं। सिगरेट कम्पनियां टैक्स बढ़ने के नाम पर सिगरेट के दाम बढाकर टैक्स की ज्यादा चोरी कर सकती हैं। क्रिकेट के और मैच करा सकती हैं।
सिगरेट महंगी होते ही एक सिगरेट को साझा करने वाले दोस्तों की संख्या दो से बढ़कर चार हो सकती है। युवाओं में भाईचारा बढ़ सकता है इस बात से।

फायर ब्रिगेड वाले और फायर टैंकर खरीद सकते हैं इसी बहाने कि पता नहीं कब कौन कोई टैंकर मांग बैठे आग बुझाने के लिए।

सबसे ज्यादा फायदा पुलिस वाले उठा सकते हैं इस बात से। किसी भी पान की दुकान के पास से गुजरते लडक़ों को पकड़कर उनके घरवालों को बुलाकर समझा सकते हैं कि आपके लड़के दुकान पर उधार सिगरेट मागने जा रहे थे। न देने पर ये दुकान फूंकने की योजना बना रहे थे।

इस पर शायद बच्चों के घर वाले कहें-"लेकिन मेरा लड़का तो सिगरेट पीता ही नहीं।"

इस पर पुलिस वाले कह सकते हैं। हम कब कह रहे हैं कि पीता है आपका लड़का सिगरेट। लेकिन जब वह पान की दुकान के पास से गुजरेगा तो आज नहीं तो कल पीना सीखेगा ही। फिर आप जब उसको पैसे दोगे नहीं तो वह उधार मांगेगा। नहीं देगा तो दुकान फूंकेगा। इसलिए आज नहीं तो कल तो वह करेगा ही यह अपराध जिसकी आशंका में हम इसे पकड़कर लाये हैं। वो तो कहो फूंकने से पहले हमने पकड़ लिया। सस्ते में छूट जाएगा आपका बच्चा। बाद में इसी छुड़वाने में बहुत खर्च होता।

पता नहीं इसके बाद क्या हो। शायद बाप भी कहीं से उधार लेकर बच्चों को छुड़वाए।

जो हो लेकिन इस घटना से शिक्षा यही मिलती है हमको जीवन के बदलते मूल्यों के हिसाब से जीना सीखना होगा। बाजार की मर्जी के हिसाब से अपनी कहावतों में बदलाव लाना होगा। 'उधार को प्रेम की कैंची' मानने की जगह 'मोहब्बत का पुल' समझना होगा, 'इश्क का फ्लाईओवर' समझना होगा। इस पर फर्राटे से गुजरना होगा।

दुनिया में सब यही यही कर रहे हैं। तो आपको करने में क्या एतराज है भाई। आप कोई अनोखे हैं क्या? दुनिया में रहना है तो दुनिया के उसूल तो मानने ही होंगे। आपके लिए कोई अलग दुनिया थोड़ी बनाई जायेगी।

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