Wednesday, October 12, 2016

सर्जिकल स्ट्राइक पर ताजा खबरें

हरिभूमि 12.10.16


आम गृहस्थ के लिये घर के पचास काम होते हैं। 49 टरका भी दो एक तो बच ही जाता है। निकलना ही पड़ता है घर से बाहर 'सर्जिकल स्ट्राइक' के लिए।

अब ये ससुर 'सर्जिकल स्ट्राइक' भी इतना पॉपुलर हो गया है कि आदमी निपटने भी जाता है तो कहकर जाता है – “तू बैठ ज़रा अपन अभी शौचालय से 'सर्जिकल स्ट्राइक' करके आते है।“

'सर्जिकल स्ट्राइक' में पड़ोसी देश के कितने आतंकवादी जन्नत में हूरों से मिलने निकल लिए इसकी तो संख्या में मतभेद हैं लेकिन इस 'सर्जिकल स्ट्राइक' के हल्ले में तमाम जरूरी लगने वाले मुद्दे उबलती हुई कड़ाही से कोल्ड स्टोरेज में जमा हो गये। वे मुद्दे ऐसे निपट गए कि उनके शव तक न खोजे मिलेंगे।

जनता को भी इसी बहाने एक नया शब्द मिला -सर्जिकल स्ट्राइक । महीने में एकाध बार इसी तरह नए-नए शब्द उछलते रहे तो पांच साल का समय सीखते हुये ही बीत जाएगा। सरकार अपनी उपलब्धियां बताते हुए कहेगी -'हमने अपनी जनता को सबसे ज्यादा नये शब्द सिखाये। हमने सबसे ज्यादा जुमले जोड़े। बोलो जोड़े कि नहीं।'

इस सवाल के जबाब में जनता झकमारकर हाँ कहने के सिवा और क्या कर सकती है ।

हमारे एक मित्र हैं। उन पर आदतन विपक्षी दल की आत्मा सवार रहती है। हर बात का स्टीयरिंग गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी की तरफ़ मोड़ देते हैं। 'सर्जिकल स्ट्राइक' से उत्साहित होकर मित्र ने सवाल उछला -'ये सरकारें आतंकवादियों पर 'सर्जिकल स्ट्राइक' की तर्ज पर अपने यहां गरीबी, भुखमरी के खिलाफ 'सर्जिकल स्ट्राइक' क्यों नहीं करती। घात लगाकर बेरोजगारी को क्यों नहीं निपटा देती।

मित्र के सर्जिकल हमले से भौंचक्के रह गए हम। जबाब नहीं सूझा फिर भी कह ही दिए -'ये 'सर्जिकल स्ट्राइक' सेना करती है। जबकि गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी से निपटने का काम सरकार का है। सरकार का काम सेना को कैसे सौंपा जा सकता है।

फिर सरकारें सेना के काम की वाहवाही बटोरने की बजाय अपना काम क्यों नहीं करती? गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी को क्यों नहीं निपटातीं? - मित्र बख्सने के मूड में नहीं थे।

मित्र के सवाल का कोई जबाब हम दे पायें तब तक पास बैठे मोबाइल में डूबे एक दूसरे मित्र ने जबाब उछाला-“ लोकतंत्र में सरकारों के लिये गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी बने रहना उतना ही जरूरी होता है जितना कि पाकिस्तान में सेना बने रहने के लिये आतंकवादी। इसीलिये वहां आतंकवादी की खेती होती रहती है यहां गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी को खाद पानी मिलता रहता है।“


हम कुछ और कहें तब तक दोनों मित्र टेलिविजन पर ’सर्जिकल स्ट्राइक’ पर ताजा खबरें सुनने लगे।

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